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हरि ॐ। यह ब्लाग हमें सदगुरु श्री अनिरुद्ध बापू (डा. अनिरुद्ध जोशी) के बारें में हिंदी में जानकारी प्रदान करता है।

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वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पो-अगला भाग

‘वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पो’ में लॉर्ड केल्वीन भी सहभागी हुए थे। ‘इंटरनेशनल नायगरा कमीशन’ के अध्यक्ष के रूप में उनकी अपनी पहचान थी। इस ‘नायगारा कमिशन’ पर नायगारा के उस जगप्रसिद्ध जलप्रपात पर जलविद्युत प्रकल्प बनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। टेसला के प्रदर्शन को देखकर लॉर्ड केल्वीन आश्चर्यचकित हो उठे थे। पहले ‘एसी करंट सिस्टम’ के विरोध में रहनेवाले लॉर्ड केल्वीन इस प्रदर्शन के पश्चात्‌ पूर्णरूप से ‘एसी करंट सिस्टम’ के समर्थक बन गए। इतना ही नहीं, बल्कि लॉर्ड केल्वीन ने नायगारा पर जलविद्युत प्रकल्प बनाने का प्रोजेक्ट उन्होंने डॉ.टेसला कार्यरत रहनेवाली वेस्टिंग हाऊस इलेक्ट्रिकल कंपनी को ही दिया।

१ मई १८९३ के दिन ‘वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पोझिशन’ की जोरदार शुरुआत हुई। पहले दिन ही इस ‘एक्स्पो’ की एक लाख से अधिक लोगों ने मुलाकात की। इस भव्य प्रदर्शन में जगह-जगह पर प्रस्तुत किये गए विविध कक्ष एवं दालानों में लोग दाखिल हुए। ‘एक्स्पो’ का प्रथम दिन होने के कारण लोगों का उत्साह और भी अधिक दुगुना हो गया था। परन्तु इस एक्स्पो के देखने के लिए आने वाले सभी लोग विस्मित हो उठे थे रात्रि के समय। जब इस एक्स्पो के कारण वहॉं का सारा वातावरण विविध प्रकार के प्रकाश से जगमगा उठा था। ध्यान रहे १८९३ में रात्रि के समय रोशनी की इतनी अधिक जगमगाहट देखने का सुअवसर इससे पहले किसी को भी नहीं मिला था। इसीलिए इतना अधिक प्रकाश देखने पर  ‘एक्स्पो’ को भेट देने वाले लोगों को कितनी हैरानी हुई होगी, इसके बारे में जान लेना उचित होगा।

World Columbian Expo – 2
यही कारण था कि इस ‘एक्स्पो’ की ‘इलेक्ट्रिसिटी बिल्डिंग का दालान’ आकर्षण का प्रमुख केन्द्र साबित हुआ। डॉ.टेसला ने ‘हाय फ्रिक्वेन्सी’ तथा ‘हाय व्होल्टेज’ का उपयोग करके विविध प्रकार के गॅसवाले ट्यूबज तैयार किये थे। इसकी जानकारी हम हासिल कर चुके हैं। उन्हीं ट्यूबज्‌ का उपयोग उन्होंने एक्स्पों में (पिछले लेख में) विविध प्रकार की ‘लाईटिंग’ के लिए किया था। आज के समय में ‘ट्यूबलाईटस्‌’  तथा ‘निऑन साईन्स’ का आरंभ डॉ.टेसला द्वारा तैयार किए गए इन्हीं लाईटस्‌ से हुआ। अर्थात ‘फ्ल्युरोसंट लाईटिंग’ के जनक के रूप में भी हम डॉ.निकोल टेसला की पहचान दे सकते हैं। औद्योगिक क्षेत्र में इस प्रकार की लाईटस्‌ की खोज करने के ४० वर्ष पूर्व ही डॉ.टेसला अपनी प्रयोग शाला में इस लाईटस्‌ का उपयोग करते थे।

फ्ल्युरोसंट लाईटस्‌ के प्रदर्शन यह डॉ.टेसला द्वारा ‘एक्स्पो’ में दिखाए गए कुछ प्रयोगों में से एक था। ‘एग ऑफ कोलंबस’। इसी कारण उपस्थित लोग हैरान थे। इस प्रयोग की जानकारी हासिल करने से पहले उसकी पृष्ठभूमि की जानकारी जान लेना ज़रूरी है। कोलंबस ने १५९३ में अमरिका खंड की खोज की। इसके पश्चात्‌ कुछ लोगों के साथ चर्चा करते समय, किसी ने प्रश्न उठाया कि अमरीका की खोज यह कोई बहुत बड़ा कार्य नहीं है, उस पर अन्य लोगों ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलायी। यह सुनकर कोलंबस परेशान हो उठे। उन्होंने उपस्थित लोगों को चुनौती दी। अपने हाथ में एक अंडा लेकर कोलंबस ने उन से कहा कि बिना किसी भी आधार के इसे खड़ा करके दिखाये । कोई भी ऐसा नहीं कर पान के कारण उन्होंने हार स्वीकार कर ली। तब कोलंबस ने उस अंडे को हलके से पटककर पिचका दिया और अपनी कलाई पर खड़ा करके दिखाया।

World Columbian Expo – 2

ये था तो बहुत आसान, परन्तु उसे कैसे करना है इस युक्ति को जान लेने के बाद स्वाभाविक है, अमरीका की खोज आसान हो जाता है। यह बात खोज करने के पश्चात्‌ ही पता चली इससे पहले यह एक चुनौती थी। यह कोलंबस ने स्पष्ट कर दिया। कोलंबस द्वारा अमरीका की खोज किये जाने को ४०० साल बीत गए। उसी की याद में स्मृतिप्रित्यर्थ ‘वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पोझिशन’ का आयोजन किया गयाथा। इस प्रदर्शन में ही डॉ.टेसला ने कोलंबस द्वारा दी गयी। उसी चुनौती को स्वीकार किया।  एक तांबे का अंडा बनाकर डॉ.टेसला ने उसे बिना किसी आधार के खड़ा करके दिखलाया। बिजली एवं चुंबकीय तत्त्वों का उपयोग करके डॉ.टेसला ने उस अंडे को खड़ा करने की  महिमा कर दिखलाई। लकड़ी की एक वर्तुलाकार थाली लेकर उसमें उन्होंने तांबे के उस अंडे को रख दिया। यह लकड़ी की थाली जिस टेबल पर रखी गई उस टेबल के नीचे डॉ.टेसला ने ‘रोटेटिंग मॅग्नेटिक फिल्ड मोटर’ बिठाई थी। इसी मोटर को ‘अल्टरनेटिंग करंट जनरेटर मोटर’ कहते हैं। इसी के कारण वहाँ पर चक्राकार चुंबकीय क्षेत्र तैयार हो गया था। इसी चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव के कारण ही तांबे का वह अंडा भॅंवरे के समान गोल-गोल घुमने लगा। इस चुंबकीय क्षेत्र की फ्रिक्वेन्सी बढ़ाने के पश्चात्‌ अंडे के घुमने की गति भी बढ़ गई। एक मर्यादित समय के अन्तर्गत इस अंडे की गति इतनी अधिक बढ़ गई कि वह स्थिर लगने लगा, यही उसकी विशेषता थी।

World Columbian Expo – 2
इस प्रयोग के माध्यम से डॉ.टेसला ने अल्टरनेटिंग करंट एवं मॅग्नेटिझम के क्षमता का प्रात्यक्षिक प्रस्तुत किया। डॉ.टेसला अपने गहराई तक अध्ययन किए ज्ञान एवं अपने प्रयोगशीलता के कारणही इस प्रयोग को यशस्वी कर सके। ‘वर्ल्ड कोलंबियन एक्सोपिझिशन’ को जबरदस्त यश प्राप्त हुआ। छह महीनों तक यह ‘एक्स्पो’ चलता रहा। इस कालावधि में लगभग दो करोड़ ८० लाख लोगों ने इस एक्स्पो का लाभ उठाया। १८९३ के बारे में यदि हम देखते हैं तो यह एक अभूतपूर्व यश साबित होता है। इस एक्स्पों में दो और भी बातें लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई थीं। ‘ग्रेट हॉल ऑफ इलेक्ट्रिसिटी’ यहाँ पर डॉ.टेसला के ‘एसी पॉवर सिस्टम’ का पूर्णत: प्रदर्शन किया जाता था। वहीं ‘हॉल ऑफ मिशनरी’ यहाँ पर बहुत बड़े आकार के एसी जनरेटरर्स लगाये गये थे। पूरे एक्स्पो को लगनेवाली बिजली की निर्मिती यही से की जाती थी।

वैज्ञानिक दृष्टिकोन के अनुसार अत्यन्त उच्च स्तर के इस प्रयोग की व्यापकता को देख सभी लोग स्तब्ध रह गए। परन्तु इसे जान लेना उतना कठिन नहीं था कारण डॉ.टेसला ने दर्शकों की खातिर इसे बिलकुल आसान कर दिया था। इन दोनों बातों का बहुत अच्छा परिणाम इस प्रदर्शन को देखने आने वालों पर हुआ। इस प्रदर्शनी में आने वालों का कहना था कि हम सभी लोग एक ऐतिहासिक घटना के साक्षीदार हैं। यहीं से एक बहुत बड़ी वैज्ञानिक क्रांति का आरंभ हुआ है। इस बात का एहसास भी वहाँ पर उपस्थित लोगों को हुआ। इस प्रदर्शन के कारण उद्योगपति, तंत्रज्ञ एवं सर्वसामान्यों के मन में ‘एसी करंट सिस्टम’ के बारे में उठने वाला डर भी निकल गया।

इस सारी भीड़ में लॉर्ड केल्वीन सहभागी हुए थे। ‘इंटरनॅशनल नायगारा कमिशन’ के अध्यक्ष के रूप में लॉर्ड केल्वीन की अपनी एक पहचान थी। यह ‘नायगारा कमिशन’ पर नायगारा के उस जगत प्रसिद्ध जलप्रपात पर जलविद्युत प्रकल्प बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। डॉ.टेसला के प्रदर्शन को देखकर लॉर्ड केल्वीन पहले से ही स्तब्ध थे। पहले ‘एसी करंट सिस्टम’ के विरोध में रहने वाले लॉर्ड केल्वीन इस प्रदर्शन के पश्चात्‌ पूर्णरूप से ‘एसी करंट सिस्टम’ के समर्थक बन गए। इतना नहीं, बल्कि लॉर्ड केल्वीन ने नायगारा के जलविद्युत प्रकल्प बनाने का प्रोजेक्ट उन्होंने डॉ.टेसला कार्यरत रहनेवाले वेस्टिंग हाऊस इलेक्ट्रिकल कंपनी को दे दिया। ये अब तक डॉ.टेसला को मिलने वाल दूसरा महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट था।

प्रदर्शन तक ही मर्यादित रहने वाले डॉ.टेसला के संशोधन का अब प्रत्यक्ष रूप में  उपयोग होने वाला था। इसके बाद से ‘एसी करंट सिस्टम’ पूर्णरूप से पूरी दुनिया में प्रस्थापित होने वाला था। इसी कारण ‘वॉर ऑफ करंट’ डॉ.टेसला  के ‘एसी करंट सिस्टम’ के विजय से समाप्त होने वाला था। नायगारा पर जलविद्युत प्रकल्प बनाने का स्वप्न डॉ.टेसला ने बहुत पहले ही देख रखा था और इस स्वप्न को साकार करने का सुअवसर उन्हें लॉर्ड केल्वीन ने दिया। इस प्रोजेक्ट के रूप में । कुछ लोग ऐसे भी थे जो उनके इस प्रगति से खुश नहीं थे।

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