यह दृश्य देख इस प्रेस कॉन्ङ्गरन्स में उपस्थित लोगों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। एडिसन ने ‘एसी करंट सिस्टम’ के दुष्परिणाम दिखाने के लिए जानवरों को शॉक देकर मारा था। मात्र यहाँ पर डॉ.टेसला ने स्वयं के शरीर का उपयोग करके इतने प्रचंड भारवाले विद्युतप्रवाह का प्रदर्शन करके दिखलाया था। आश्चर्य की बात तो यह थी कि इस बात का बुरा असर उनके शरीर पर तिलमात्र भी नहीं हुआ था। यह देख वहाँ पर उपस्थित शास्त्रज्ञों का भी समावेश था। परन्तु यह पत्रकार परिषद में किया गया प्रयोग केवल यहाँ तक ही मर्यादित नहीं रहा।
डॉ.निकोल टेसला द्वारा प्रस्तुत की गई ‘अल्टरनेटिंग करंट’ की संकल्पना क्रान्तिकारी साबित हुई। परन्तु इसे मान्यता प्राप्त करवाने के लिए इन्हें काङ्गी संघर्ष करना पड़ा। कारण उस समय जिसे सबसे बड़ा प्रसिद्ध वैज्ञानिक माना जाता था, वहीं थॉमस अल्वा एडिसन ‘अल्टरनेटिंग करंट’ अर्थात ‘एसी’ का सबसे बड़ा विरोधक था, एसी सिस्टम के विद्युत भारसंवाहन के विरोध में वे बिलकुल गिरी हुई हरकतें करने से भी पीछे नहीं हटे। प्राणियों एवं मृत्युदंडवाले अपराधियों को बिजली के करंट देकर लोगों के मन में एसी सिस्टम के प्रति गलत धारणाएँ निर्माण की। उनकी इस तरह की हरकतों को देखकर नम्र एवं भावुक प्रवृत्तिवाले डॉ.टेसला का मन व्यथित हो उठा।
मानवीय जीवन को और भी अधिक सुखद बनाने के विचार धारणा रखनेवाले एवं उसी के लिए निरंतर प्रयासरत रहनेवाले डॉ.टेसलाने अपने ‘एसी सिस्टम’ के प्रति होनेवाले गलत प्रचारों को रोकने का ङ्गैसला किया। इसके लिए उन्होंने एडिसन के ही भाषा में उत्तर देने के बजाय उन्होंने जार्ज वेस्टिंग हाऊस की सहायता से एक ‘प्रेस कॉन्ङ्गरन्स’ का आयोजन किया। इस में उन्होंने जाने-माने शास्त्रज्ञों एवं उद्योगपतियों को आमंत्रित किया। इस प्रयोगशाला में डॉ.टेसला ने ‘एसी करंट’ द्वारा कुछ एक लाख व्होल्ट जितनी बिजली की निर्मिती करनेवाले जनरेटर्स बिठाये थे। यदि योग्य प्रकार से नियंत्रित करके इसका उपयोग किया जाये तो ‘एसी सिस्टम’ का विद्युतभारसंवाहन मानवजाति के लिए बिलकुल भी धोखादायक नहीं हो सकता है। यही डॉ.टेसला इस प्रयोगद्वारा साबित करना चाहते थे। इसीलिए वे उस जनरेटर के पास कुर्सी रखकर बैठ गए। इस बात को वे अन्य प्रकार से भी सिद्ध कर सकते थे परन्तु अपनी जान की परवाह न करते हुए वे स्वयं ही उस स्थान पर बैठ गए। मानवजाति की भलाई के लिए अपनी जात को भी खतरें में डाल देनेवाले डॉ.टेसला के इस व्यक्तित्व की महानता का अहसास हमें इस बात से ही हो जाता है।
एक तरङ्ग एसी सिस्टम के दुष्परिणाम को सिद्ध करने के लिए दूसरों के जान को खतरे में डालनेवाले एडिसन तो दूसरी ओर दूसरों की भलाई के लिए स्वयं के जीवन को ही खतरे में डालनेवाले डॉ.टेसला जिन्होंने इतना बड़ा धोखादायक विद्युत प्रयोग अपने शरीर पर करके दिखलाया। यह देख वहाँ पर उपस्थित सम्मानित लोग स्तब्ध रह गए। इन में माननीय शास्त्रज्ञों का भी समावेश था। परन्तु यह पत्रकार परिषद का प्रयोग यही तक सीमित नहीं रहा।
यहीं पर पहली बार डॉ.टेसला ने ‘वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी’ अर्थात बिना वायर के ही विद्युतसंवहन के प्रात्यक्षिक भी दिखाये। इसके लिए इन्होंने दो ‘फ्ल्युरोसंट बल्ब’ एवं ट्युब स्वयं अपने हाथों में पकड़कर जलाकर दिखलाया। उन्होंने यह कैसे साध्य किया इसके लिए हमें उनके न्यूयॉर्क के प्रयोगशाला में उनके द्वारा किए गए संशोधन की जानकारी प्राप्त करनी पड़ेगी।
न्यूयॉर्क में इस लैब की स्थापना डॉ.टेसला ने जॉर्ज वेस्टिंग हाऊस द्वारा प्राप्त निधि से की थी। न्यूयॉर्क के इस लॅब में बहुस्तरीय संशोधन एवं उप्तादन हेतु अनेक बातों का ध्यान रखा गया था। इस लैब में अनेक विभागों का समावेश था जहाँ पर वे सखोल एवं सूक्ष्म धरातल पर अपना संशोधन किया करते थे। इसी स्थान पर प्रयोग के दरमियान अनेक निरीक्षण उनके सामने आये। इन सबसे संतुष्ट न हो वे और भी अधिक खोजे करते हुए अनेक पेटंट संपादन किए। ‘एसी सिस्टम’ भी उन्होंने इसी प्रकार तैयार किया और उसको अधिकाअधिक सुधार करते रहे। उन्होंने ‘एसी जनरेटर्स’ की ङ्ग्रिक्वेन्सी बढ़ाई और उसे 30,000 हर्टस् तक ले जाकर उसका परिक्षण किया। इसी में से ‘हाय ङ्ग्रिक्वेन्सी अल्टरनेटिंग करंट’ का जन्म हुआ। संपूर्ण विश्व में विद्युतभार संवहन करने हेतु उन्होंने इसी प्रणाली का विचार किया था। इसी प्रणाली का उपयोग करके उन्होंने विविध प्रकार के जनरेटर्स बनाये थे। उसके पेटंट आज भी टेसला के नाम से जाने जाते हैं। ये एसी करंट यदि हाय ङ्ग्रिक्वेन्सी के हैंङ्गिर भी उनका मानव शरीर पर कोई बुरा भी असर नहीं होता। किसी भी प्रकार का विघातक परिणाम नहीं होता। आकस्मिक तौर पर यदि करंट बिना किसी प्रकार की चोट पहुँचाये अपने आप बाहर निकल जाता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे ‘स्किन इङ्गेक्ट’ कहते हैं। इस प्रयोग के आधार पर डॉ.टेसला ने यह सिद्ध कर दिया था कि ‘एसी सिस्टम’ मानवीय जीवन के लिए किसी भी प्रकार से धोखादायक नही है।
इसीलिए वे इस प्रकर के वैज्ञानिक कसौटी पर सही एवं सत्य साबित होनेवाला निर्दोष ‘एसी सिस्टम’ विकसित कर सके।
ऐसा ही एक प्रयोग करते समय उन्होंने एक बिलकुल अनोखे प्रकार का वैज्ञानिक चत्मकार का अनुभव किया इस प्रयोग में उन्होंने एक धातु की झीनी तार ली और उसी के द्वारा उच्च दबाववाला ‘एसी करंट’ छोड़ दिया और तुरंत ही सर्किट बंद कर दिया। इससे वह वायर जल गई। उन्होंने पुन: ‘व्होल्टेज’ बढ़ाया इस समय उन्हें अपने ही शरीर में करंट का अहसास हुआ। उन्होंने सोचा शायद उस जली हुई वायर के टुकड़े चुभ रहे होंगे, परन्तु ऐसा कुक्छ भी न था। वैज्ञानिक कसौटी पर जाँच करके देखने पर उन्हें कहीं भी चोट नहीं आई थी। इस प्रभाव को रोकने के लिए उन्होंने पुन: प्रयोग किया इस समय उन्होंने अपने एवं उस सर्किट के बीच एक काँच की टाइल्स रखी और उससे इस ङ्गूट दूर रहकर निरीक्षण किया। इस प्रयोग का परिणाम भी वही निकला। अब उन्होंने अनेक प्रयोग किये परन्तु परिणाम वही निकला। इन सारे प्रकारों को उन्होंने ‘इंपल्स’ शीर्षक दिया। यहीं से डॉ.टेसला के वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी संकल्पना की निर्मिती हुई।
सर्किट एकदम बंद करने से ये ‘इंपल्स’ उत्पन्न हुए और इस ‘इंपल्स’ ने वायरलेस अर्थात बिना वायर के आधार ही प्रवास किया। इनमें से ही एक महत्त्वपूर्ण कार्य का उदय हुआ। अर्थात डॉ.टेसला ने इसके पश्चात् अपने सारे संशोधन एवं खोज कार्य ‘इंपल्सेस ङ्ग्रिक्वेन्सी’ ‘रेझोनान्स’ के आधार पर ही किया। इसके बारे में हम आगे चलकर जानकारी प्राप्त करेंगे।
http://www.aniruddhafriend-samirsinh.com/wireless-electricity-part-1/
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