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हरि ॐ। यह ब्लाग हमें सदगुरु श्री अनिरुद्ध बापू (डा. अनिरुद्ध जोशी) के बारें में हिंदी में जानकारी प्रदान करता है।

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बहुमूल्य सम्मान

      राजा ऑब्रेनेव्हिक ने स्वयं आगे बढ़कर डॉ.टेसला के मार्गदर्शनानुसार बेलग्रेड इस शहर में बिलकुल एक ही वर्ष में बिजली लाकर दिखा दिया। बेलग्रेड शहर में बिजली का आना, इस शहर के लिए एक अद्‌भूत घटना साबित हुई। यहॉं की जनता ने बिजली का उत्साहपूर्वक धूम-धाम से स्वागत किया। सर्बिया के राजा ऑब्रेनेव्हिक ने डॉ.टेसला को ‘मेडल ऑफ सेंट सावा’ इस सन्मान से सम्मानित किया। विज्ञान के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी अतुलनीय कारागीरी करनेवालों को यह मेडल दिया जाता था।

डॉ.निकोल टेसला न्यूयॉर्क वापस आ गए और उन्होंने अपना संशोधन कार्य शुरू किया। इस वर्ष, अर्थात १८९२ में टेसला को दो विशेष प्रकार के पुरस्कार मिले। इनमें से एक ‘मेडल ऑफ सेंट सावा’ यह पुरस्कार उन्हें यूरोप दौरे के समय प्राप्त हुआ था। डॉ.टेसला जब यूरोप पहुँचे, तब उन्हें ‘बेलग्रेड’ शहर के प्रशासन की ओर से आमंत्रित किया गया। बेलग्रेड यह सर्बिया की राजधानी थी। वहॉं के नागरिकों की डॉ.टेसला के संशोधन की जानकारी प्राप्त हो, इसके लिए उन्हें आमंत्रित किया गया था।

१जून १८९२ के दिन डॉ.टेसला रात्रि के ११बजे बेलग्रेड के रेल्वे स्टेशन पर उतरे। उनके स्वागत के लिए हजारों की तादात में लोग वहॉं पर उपस्थित थे। ये सारे लोग डॉ.टेसला से मिलने के लिए वहाँ आये थे। इन सभी लोगों को डॉ.टेसला के इस असामान्य कारीगरी के प्रति बेहद अभिमान हो रहा था। अपने सर्बिया देश के इस महान सपूत ने जो कार्य किया है इसके प्रति अपने देश का नाम रोशन हुआ, इस प्रकार के उद्‌गार वहाँ पर उपस्थित लोग प्रकट कर रहे थे। इसीलिए उन लोगों ने वहाँ पर उपस्थित रहकर डॉ.टेसला का जोरदार स्वागत किया!

इस सुअवसर पर डॉ.टेसला को पुष्पगुच्छ एवं उपहार देकर बहुत सारे लोगों ने उनके प्रति आदर व्यक्त किया। डॉ.टेसला ने इन सभी लोगों के अभिवादन का स्वीकार किया। वे उन सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उस समुदाय से धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। ‘तुम सर्बिया के महान सपूत हो’ इस प्रकार का उद्‌गार वहॉं पर प्रस्तुत भीड़ का हर व्यक्ति प्रस्तुत कर रहा था। इनके इस विशेष सम्मान के लिए एक खास घोड़ेवाली बग्गी भी तैयार की गई थी। अपने देशवासियों द्वारा किया जानेवाला यह मान-सम्मान देख वे भावविभोर हो चुके थे। इस सुअवसर पर डॉ.टेसला ने अपने से मिलनेवालों को प्यार भरा अभिवादन किया।

इस स्वागत के प्रति डॉ.टेसला ने उपस्थित लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और यह भी कहा कि, ‘अब तक मुझे अपनी कुछ संकल्पनाओं को प्रत्यक्ष में उतारने का  सौभाग्य प्राप्त हुआ। लेकिन अभी मेरे उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हुई हैं। मेरे ये ध्येय अभी काफी दूर हैं। जिस दिन मेरी सारी संकल्पनाओं को मैं प्रत्यक्ष में उतार पाऊँगा और उससे संपूर्ण मानव जाति का कल्याण होगा तभी असल में मैं अपने आपकों सर्बिया का सपूत मानकर, मेरा जीवन धन्य हुआ ऐसा समझूँगा’ ऐसे उद्‌गार उन्होंने विनम्ररूप में व्यक्त किया।

दूसरे ही दिन डॉ.टेसला की मुलाकात सर्बिया के युवा राजा अलेक्झेंडर ऑब्रेनॉव्हिक से हुई। बेलग्रड शहर को बिजली की आवश्यकता है यह बात डॉ.टेसला ने वहाँ के राजा को बताई। डॉ.टेसला के विचार तथा उनके द्वारा वहाँ के नागरिकों के सन्मुख प्रस्तुत लिए जानेवाले प्रात्यक्षिक आदि देखकर राजा ऑब्रेनॉव्हिक बिलकुल आश्चर्यचकित रह गए। यही कारण था कि वहाँ के राजाने स्वयं आगे बढ़कर डॉ.टेसला के मार्गदर्शनानुसार बेलग्रेड शहर में केवल एक साल में बिजली लाकर दिखा दिया। बेलग्रेड शहर में बिजली का आना वहाँ के शहर के लिए एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण घटना साबित हुई। वहाँ की जनता ने बिजली का स्वागत बहुत ही जोरदार तरीके से किया। सर्बिया के राजा ऑब्रेनॉव्हिक ने डॉ.टेसला को ‘मेडल ऑफ सेंट सावा’ इस सम्मान से सम्मानित किया। विज्ञान के तथा उसी प्रकार के अन्य क्षेत्रों में अतुलनीय कारीगीरि करनेवालों को सम्मानित करने के लिए इसी प्रकार का मेडल दिया जाता है।

Some more honours for Dr. Nikola Tesla

१८९२ में युरोप से न्यूयॉर्क वापस आने पर डॉ.निकोल टेसला को ए.आय.ई.ई.(AIEE) - अमेरिकन इन्स्टिट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स के उपाध्यक्षपद से विभूषित किया गया। ‘एआयईई’ यह संस्था १८८४ में स्थापित की गई थी। वायर कम्युनिकेशन, लाईट एवं पॉवर सिस्टम अर्थात बिजली का उपयोग करके ध्वनि एवं प्रकाश को दूर तक पहुँचाने के लिए संशोधन करना यही इस संस्था का ध्येय था। इस कार्य हेतु कुछ मशहूर इंजीनियरों की यह अत्यन्त प्रतिष्ठित एवं अग्रगण्य संस्था मानी जाती थी।

आज भी यह संस्था एक भिन्न नाम से कार्यरत है तथा इस संस्था को आज भी उतना ही सम्मान दिया जाता है। १९६२ में ‘एआयईई’ तथा ‘इन्स्टिट्यूट ऑफ रेडियो इंजिनिअर्स’ एवं नये सिरे से स्थापित होनेवाले इलेक्ट्रॉनिक्स इंजिनियरिंग की शाखाओं ने एकजूट होकर ‘आयईईई’(IEEE)' (इन्स्टिट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल ऍण्ड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजिनिअर्स) अथवा ‘आय ट्रिपल ई’ इस प्रकार का नाम धारण किया। डॉ.टेसला १८९२ से १८९४ तक ‘एआयईई’ के उपाध्यक्ष पद की शोभा बढ़ाई।

Some more honours for Dr. Nikola Tesla

इस मानसम्मान को प्राप्त करते समय डॉ.टेसला के ‘अल्टरनेटिंग करंट’ एवं ‘वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी’ के संशोधन को मान्यता  प्राप्त होने लगी। उसी प्रकार अल्टरनेटिंग करंट  का धीरे-धीरे प्रत्यक्ष रुप में उपयोग भी शुरु हो गया था।

१८९३ में ‘वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पो’ का दुनियाभर में सबसे भव्य प्रदर्शन किया जानेवाला था। इसके एक वर्ष पूर्व ही इस एक्स्पो के ‘इलेक्ट्रिकल कॉन्ट्रॅक्ट’ का  लिलाम शुरु हो गया। थॉमस अल्वा एडिसन के जनरल इलेक्ट्रिक इस कंपनी ने इस ‘एक्स्पो’ के विविध प्रकार के प्रदर्शन के लिए विद्युतभारसंवाहन करने के लिए सूचना  दी थी। इस सूचना में विद्युतभार संवाहन के लिए १८ लाख डॉलर्स का खर्च ‘जनरल इलेक्ट्रिक’ ने आलेखित कर  रखा था। परन्तु जॉर्ज वेस्टिंग हाऊस के ‘वेस्टिंग हाऊस इलेक्ट्रिक कंपनी’ ने मात्र अपनी सूचना में इसके लिए बिलकुल ४ लाख डॉलर्स आलेखित कर रखा था। जनरल इलेक्ट्रिक एवं वेस्टिंग हाऊस  इलेक्ट्रिक कंपनी की ओर से आलेखित किए जानेवाले खर्च में इतनी अधिक तफावत थी, इसका कारण था कि ‘वेस्टिंग हाऊस कंपनी’ डॉ.निकोल टेसला के अल्टरनेटिंग करंट का उपयोग  कर रही थी।

अपनी अपेक्षा बहुत ही कम रकम आलेखित करने से यह प्रोजेक्ट ‘वेस्टिंग हाऊस इलेक्ट्रिक’ को मिल जायेगा और इससे अल्टर नेटिंग करंट और भी अधिक लोकप्रिय हो जायेगा, इस डर से ‘जनरल इलेक्ट्रिक’ ने अपनी सूचना में डाली गई रकम ७०% प्रतिशत से कम करके ५.५ लाख डॉलर्स पर लाकर रख दी। परन्तु जनरल इलेक्ट्रिक का यह डाव-पेच भी अयशस्वी साबित हुआ। ‘वेस्टिंग हाऊस इलेक्ट्रिक कंपनी’ को ही  ‘वर्ल्ड कोलंबियन  एक्स्पो’ को विद्युतभार संवाहन का प्रोजेक्ट दिया गया।

Some more honours for Dr. Nikola Tesla

जनरल इलेक्ट्रिक तथा वेस्टिंगहाऊस कंपनी जिस वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पो के प्रोजेक्ट को पाने के लिए दौड़-धूप कर रही थी, वह एक्स्पो अर्थात हकीकत में क्या था? उस  इतना अधिक महत्त्व क्यों दिया जा रहा था? इस बात की जानकारी हासिल करने के लिए शिकागो में लगने वाले एक्स्पो की जानकारी हमें व्यवस्थित रुप में लेनी चाहिए। यही एस्पो डॉ.टेसला के संशोधन का  सर्वोच्च प्रदर्शन का व्यासपीठ बन गया। इसी कारण १८९३ का  ‘वर्ल्ड कोलंबियन एस्क्पो’ अमरीका के इतिहास की अत्यन्त संस्मरणीय घटना साबित हुई थी। इसके बारे में विस्तृत जानकारी हम इस लेखमाला के अगले भाग में देखेंगे।

http://www.aniruddhafriend-samirsinh.com/some-more-honours-for-dr-nikola-tesla/

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