Flash News

हरि ॐ। यह ब्लाग हमें सदगुरु श्री अनिरुद्ध बापू (डा. अनिरुद्ध जोशी) के बारें में हिंदी में जानकारी प्रदान करता है।

Comments

Mail Instagram Pinterest RSS

वॉर ऑफ करंटस्

पहली मुलाकात में ही थॉमस अल्वा एडिसन को निकोल टेसला के योग्यता का अंदाजा लग चुका था। टेसला के ‘अल्टरनेटिंग सिस्टम’ अर्थात ‘एसी’ को मान्यता मिल जायेगी तो अपना औद्योगिक साम्राज्य दहल उठेगा, इस विचार से एडिसन बौखला उठे। इसीलिए, ऊपरी तोर पर उन्होंने डॉ.टेसला के ‘एसी’ सिस्टम का मजाक उड़ाया उनके संशोधन को हँसी का कारण बनाने के बावजूद भी टेसला के कार्यक्षमता का अपनी कंपनी में लाभ उठाने के लिए योजना भी एडिसन ने बना ली। और बिलकुल कम वेतन में उन्हें अपने सहायक के रुप में काम पर रखना चाहा । वे अपने कंपनी के कर्मचारियों को बहुत कम तनख्वाह देते थे, इसीलिए एडिसन इतने प्रसिद्ध होने के बाद भी वे कंजूस नाम से जाने जाते।

War of Currents

1884 में निकोल टेसला ने एडिसन के कंपनी में काम करने का ङ्गैसला कर लिया था। एक सामान्य इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रुप में टेसला ने अपना काम शुरु कर दिया। बहुत कम समय में ही एडिसन की कंपनी की जटिल समस्याओं को सुलझाने का काम टेसला को सौंप दिया गया। एडिसन की कंपनी में उपयोग में लाये जानेवाले ‘डायरेक्ट करंट’ अर्थात ‘डीसी’ के प्रति टेसला का पूरा विरोध था। क्योंकि उसके पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण था। वास्तविक रुप में एडिसन विद्युतप्रवाह के पुरस्कर्ता थे ङ्गिर भी ‘डीसी’ पद्धति एडिसन ने नहीं बनाई थी। परन्तु लोगों में एडिसन के बारे में गलत धारणाएँ थी। परन्तु ‘डीसी’ के संशोधन कर्ता दरअसल ‘मायकल ङ्गॅरेडे’ थे। प्रथम इलेक्ट्रिक मोटर इन्होंने ने ही बनाई थी।

ङ्गॅरेडेद्वारा संशोधित इस पद्धति का सर्वाधिक उपयोग एडिसन ने किया और विद्युतसंवाहन गति को ग्राहकों तक पहुँचाया परन्तु इसका उपयोग करने के बहुत पहले से ही ‘डीसी’ पद्धति से विद्युतसंवाहन किया जाता था। ‘डायरेक्ट करंट’ नाम न देकर इसी पद्धति द्वारा ङ्गॅरेडे विद्युत प्रवाह का उपयोग करते थे। जिस समय टेसला एडिसन के कंपनी में काम करते थे उस समय एडिसन ने ‘बल्ब’ बनाकर दुनिया को दिखाया। बल्ब के लिए ‘डीसी’ पद्धति से विद्युतसंवाहन का कार्य किया जाता था। जिसमें काङ्गी दोष था। इन में से अनेक दोषों को टेसला ने दूर किया था। उदाहरण के तौर पर एडिसन द्वारा आविष्कृत ‘डायरेक्ट करंट जनरेटर्स’ को हम से सकते हैं।

War of Currents
इस ‘डायरेक्ट करंट जनरेटर्स’ के डिझाईन को बदलकर दिखाने की चुनौती एडिसन ने डॉ.टेसला को दी थी। यह चुनौती तो जैसे-तैसे पूरी हुई। इसके पश्‍चात एडिसन ने डॉ.टेसला को पचास हजार डॉलर्स देने का वादा किया। टेसला ने दो महीने के परिश्रम के पश्‍चात ‘डायरेक्ट करंट जनरेटर्स’ की डिझाईन बनाकर दिखायी। इस डिझाईन से एडिसन के कंपनी को काङ्गी लाभ होनेवाला था, आज की तारीख में देखा जाये तो अरबों डॉलर्स इतना लाभ था। एडिसन के ‘डीसी सिस्टम’ में सुधार कर के उसे अधिक प्रभावकारी बनाने का श्रेय भी डॉ.टेसला को ही जाता है।

पहले किए  गए चर्चानुसार टेसला का ‘डीसी’ सिस्टम के प्रति पहले से ही विरोध था। इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण थे। मात्र ‘डीसी सिस्टम’ का भी उन्होंने अभ्यास किया था। इस पद्धति की अच्छाइयों का अभ्यास उन्होंने किया था। परन्तु उसकी बराबरी में ‘एसी’ पद्धति का उपयोग और भी अधिक उपयोगी, व्यवहारी एवं नैसर्गिक है इस बात का उन्हें पूरा विश्‍वास था।

‘डायरेक्ट करंट जनरेटर’ की डिझाईन को बदलने के बाद टेसला ने एडिसन को उनके वचन की याद दिलाई। देखा जाए तो एडिसन को उनकी मुक्त कंठ से प्रशंसा कर उनके बडकपन को मानते हुए उन्हें 50 हजार डॉलर्स देने चाहिए थे। परन्तु एडिसन ने ऐसा कुछ भी नहीं किया बल्कि टेसला का मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘तुम सर्बियन लोगों को अमरीकन हँसी-मजाक समझ में ही नहीं आता’ इस प्रकार के उद्गार एडिसनने व्यक्त किया। इतना बड़ा अपमान और धोका होने पर टेसला ने यह नौकरी छोड़ने का ङ्गैसला कर लिया।

इस नौकरी को छोड़ने के पश्‍चात एडिसन ने टेसला के खिलाफ विघातक युद्ध शुरु किया। इस युद्ध में एडिसन ने बिलकुल गिरी हुई हरकते करते हुए टेसला के ‘एसी’ सिस्टम को बिलकुल ङ्गालतू करार कर दिया। ऐसी हरकतें करने के लिए एडिसन किसी भी हद तक गिर सकता था। उनके इस युद्ध को ‘वॉर ऑङ्ग करंटस्’ के नाम से जाना जाता है।

एडिसन की कंपनी छोड़ने के बाद टेसला ने अपनी खुद की कंपनी ‘टेसला इलेक्ट्रिक लाईट अ‍ॅण्ड मैन्युङ्गॅक्चरिंग’ इस नाम से शुरु की। इसे बंद करने के पश्‍चात् उन्होंने ‘टेसला इलेक्ट्रिक कंपनी’ शुरु की। इन दोनों कंपनियों के बारे में हम आगे चलकर देखेंगे। परन्तु आगे चलकर टेसला ने जार्ज वेस्टींग हाऊस के ‘वेस्टींग हाऊस इलेक्ट्रिक अ‍ॅण्ड मॅन्युङ्गॅक्चरिंग’ कंपनी में काम करना शुरु कर दिया। यह कंपनी उस समय बिजली के क्षेत्र में अग्रगण्य स्थान रखती थी।

इस कंपनी के ‘डीसी सिस्टम’ से ‘एसी सिस्टम’ की ओर होनेवाला प्रवास डॉ.टेसला के नेतृत्त्व में हुआ; इस बात से बौखलाकर एडिसन ने ‘एसी सिस्टम’ के विरोध में ऐसे प्रचार करने शुरु कर दिए जिससे लोग घबराकर उसका उपयोग ही न करें ऐसी स्थिति निर्माण कर दी। एडिसन ने अपने राजनैतिक पहचानों और पैसे की ताकद से अमरीका के अनेक राज्योंकी विधान-सभाओ मे भी एसी करंट के खिलाफ मोहिम खोली।

War of Currents

एडिसन का विरोध यहाँ तक ही नहीं रहा बल्कि ‘एसी’ विद्युतप्रवाह बिलकुल धोखादायक हैं इस बात को सिद्ध करने के लिए एडिसन ने प्राणियों को बिजली का करंट देकर मारकर जनता के मन में दहशत पैदा कर दी। इन प्राणियों में कुत्ते, बिल्ली, घोड़े आदि जानवरों की बली एडिसन ने चढ़ा दी। बिजली के झटके से हाथी समान महाकाय प्राणि भी मर सकता है, यह साबित करने के लिए 4 जनवरी 1903 के दिन हाथी को बिजली का करंट देकर एडिसनने उसका बली लेे लिया और उसका चित्रीकरण करके ‘इलेक्ट्राक्युटींग अ‍ॅन एलिङ्गंट’ नामक चित्रपट तैयार किया। हाथी समान पशु जब ‘एसी’ सिस्टम से मर सकता है, तब यह तुम्हारे बच्चों के लिए कितना धोखादायक हो सकता है, यह लोगों को दिखाने के लिए उनके सारे प्रयत्न शुरु थे। लोगों के दिल को दहला देनेवाले प्रयत्न उनके चलते ही रहे। और कुछ अंश तक उन्हें सङ्गलता भी मिली।

War of Currents
इस कार्य के लिए एडिसन ने दो इंजीनियर्स की भी नियुक्ति की थी। एक का नाम था ‘हेरॉल्ड ब्राऊन’। इन्होंने ही अपराधियों को मृत्युदंड देनेवाले इलेक्ट्रिकल चेअर की खोज की थी। अपने पास काम करनेवाले कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले संशोधन को भी एडिसन अपना नाम देते थे। इस इलेक्ट्रिक चेअर का उपयोग अमरीका के न्यूयॉर्क राज्य के अपराधियों को मृत्युदंड की सजा देने के लिए किया जानेवाला था। इसका श्रेय भी एडिसन ने ही लिया। इस सिस्टम के लिए एडिसन ने ब्राऊन को ‘एसी सिस्टम’ का उपयोग करने की सूचना की ताकि उसकी और भी अधिक बदनामी हो। मृत्युदंड की शिक्षा सुनाई जानेवाले ‘विल्यम केमलर’ नामक अपराधी को इसी सिस्टम से शिक्षा दी जानेवाली थी। परन्तु इस ऐसी पद्धती के अनुसार पहली बार शॉक देने पर उसकी मृत्यु नहीं हुई उन्हें तीन बार शॉक देना पड़ा था। इस अमानवीय हरकत पर माध्यमों के प्रतिनिधियों द्वारा उनकी जोरदार आलोचान की गई थी।

इतनी गिरी हुई हरकत करने पर भी एडिसन को अपने कार्य में सङ्गलता नहीं मिली। आज भी संपूर्ण विश्‍व में जिस विद्युत भारसंवाहन पद्धती का उपयोग किया जाता है वह डॉ.टेसला द्वारा संशोधित किए गए ‘अल्टरनेटिंग करंट सिस्टम’ पद्धति द्वारा ही। बिजली आज मानवी जीवन प्रमुख आधार बन चुकी है। बिजली के बिना मानो मानव जीवन अधूरा रह जाता है। और इस अधूरेपन को सुंदर एवं सुरक्षित तरह पूर्ण करने का काम किया टेसला पद्धति ने ही अर्थात ‘एसी सिस्टम’ ने ही। आखिरकार ‘वॉर ऑङ्ग करंटस्’ में विजय प्राप्त हुई तो वह डॉ.निकोल टेसला को ही।

http://www.aniruddhafriend-samirsinh.com/war-of-currents-dr-nikola-tesla/

0 comments:

Post a Comment