मानव के जीवन में लोग जो उसके बारे में कहते हैं उसके आधार पर वह मानव अपनी एक झूठी प्रतिमा बना लेता है और वही उसका सही मैं है यह वह मान लेता है । इस भ्रम कारण से ही उसके जीवन में रण चलता रहता है । भगवान की शरण में जाकर इस ‘ झूठे मैं ’ के रण से मुक्ति पायी जा सकती है, इस बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्रीअनिरुद्धसिंह ने अपने २१ अगस्त २०१४ के प्रवचन में मार्गदर्शन किया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
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