अपने ‘झूठे मैं’ के कारण
मानव स्वयं के बारे में गलत कल्पनाएँ ही करता रहता है । मानव जब कुछ भी
नहीं करता, तब भी उसका मन विचार करते रहता है और विचार यह भी एक कर्म होने
के कारण कर्मफल के रूप में इन विचारों का परिणाम अवश्य ही मानव पर होता
रहता है । ‘झूठे मैं’ से प्रेरित विचारों की घातकता के बारे में परम पूज्य
सद्गुरु श्रीअनिरुद्धसिंह ने अपने ११ सितंबर २०१४ के प्रवचन में मार्गदर्शन
किया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
विडियो लिंक -http://aniruddhafriend-
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