३० अगस्त २००९ के रोज़ दैनिक प्रत्यक्ष में छपे हुए अग्रलेख में परमपूज्य सद्गुरु बापूजी ने उन्हें 'क्या पसंद है और क्या पसंद नहीं है' यह स्पष्टरूप में कहा था। इस अग्रलेख के जरिए बापूजी ने ९ मानदण्ड दिए थे जो संस्था से जुड़े हुए प्रत्येक कार्यकर्ता के लिए संचालित किए जाते हैं। संस्था के कार्य में सेवा करनेवाले प्रत्येक कार्यकर्ता के लिए यह मानदण्ड हमेशा लागू रहेंगे। इन मानदण्डों के आधार पर प्रत्येक श्रद्धावान को किसी भी अधिकारपद पर कार्यरत व्यक्ति का बर्ताव परखने का भी सम्पूर्ण अधिकार है।
इस वर्ष के अनिरुद्ध पूर्णिमा के मेरे भाषण में मैंने कहा था कि इन मानदण्डों की सूची मैं मेरे ब्लॉग पर जाहिर करूँगा। वे निम्नलिखित हैं :-
परमपूज्य सद्गुरु श्रीअनिरुद्धांजी ने श्रद्धावानों के लिए दिए हुए मानदण्ड -
१. प्रतिदिन दो बार आह्निक करना।
२. आह्निक, रामरक्षा, सद्गुरुगायत्री, सद्गुरुचलीसा, हनुमानचलीसा एवं दत्तबावनी कण्ठस्थ करना और क़िताब में देखे बगैर उन्हें पढ़ना। हर चार महीनों में कम से कम एक रामनाम बही लिखकर पूरी करना और उसे रामनाम बैंक में जमा करना।
३. सहकर्मियों तथा अपने अधिकारक्षेत्र में कार्य करनेवालों के साथ मग़रूरी से एवं रुखाई से पेश न आना। सहकर्मियों अथवा अपने अधिकारक्षेत्र में कार्य करनेवालों से हुई किसी ग़लती के लिए उन्हें ताकीद ज़रूर दें, लेकिन उन्हें अपमानित न करें।
४. उपासनाओं के समय उस स्थल पर मौजूद किसी भी व्यक्ति को ‘मैं उपासनाओं से बढ़कर हूँ अथवा मुझे उपासना की ज़रूरत नहीं है’ इस तरह का बर्ताव नहीं करना है।
0 comments:
Post a Comment