Aniruddha Bapu |
मातृवात्सल्य उपनिषद् में हम पढते हैं कि कोई भी यदि सच्चे दिल से पश्चात्तापपूर्वक आदिमाता की शरण में जाकर सुधरने के लिए प्रयास करता है तो वह चाहे कितना भी पापी क्यों न हो, यहाँ तक कि राक्षस या शैतान भी क्यों न हो, मगर तब भी उसे आदिमाता क्षमा अवश्य करती हैं। लेकिन आदिमाता चण्डिका पर, चण्डिकापुत्र सद्गुरुतत्त्व पर, उनके क्षमा करने के सामर्थ्य पर मानव को भरोसा रखना चाहिए, इस बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १६ अक्टूबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं |
विडियो लिंक-http://aniruddhafriend-
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