परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुजी ने गुरूवार १७ अप्रैल २०१४ के हिंदी प्रवचन में पुण्य और पाप दोनों बातों का अभिमान न करते हुए। सद्गुरुतत्व से सच कहकर सद्गुरु की शरण में रहना चाहिए और अपनी भक्ति में अधिक चौकन्ना रहना चाहिए और यह बात श्री साईसच्चरित में वर्णित पुंडलिकराव के कथा के आधार पर स्पष्ट की। वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
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