परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुजी
ने गुरूवार ०८ मई २०१४ के हिंदी प्रवचन में भगवान से महज अस्थायी बातों के
लिए मन्नत न मानते हुए। स्थायी रुप में स्वयं के साथ रहनेवाली बातों के लिए
मन्नत माननी चाहिए। यह बात बापु ने स्पष्ट की। वह आप इस व्हिडियो में देख
सकते हैं। Aniruddha Bapu Hindi Discourse 08 May 2014
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुजी
ने गुरूवार ८ मई २०१४ के हिंदी प्रवचन में परमात्मा की भक्ति करते हुए
स्वयं मे रह्नेवाली अच्छी बातों को विकसित करके अपना जीवन बेहतरीन बनाईए।
यह बात बापु ने स्पष्ट की। वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
(Aniruddha Bapu Hindi Discourse 08 May 2014)
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु ने गुरूवार ०३ अप्रैल २०१४ के हिंदी
प्रवचन में गोपालकृष्ण की लीलाओं का उदाहरण देते हुए, परमात्मा मानवी रूप
धारण करके पृथ्वी पर अवतरित क्यों होते हैं, इस बात का विवेचन बापु ने
किया, वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु ने गुरूवार ०३ अप्रैल २०१४ के हिंदी
प्रवचन में मानवी देह की चौखट में सद्गुरुतत्त्व को सीमित रूप में नहीं
देखना चाहिए यह बात उन्होंने श्रीसाईसच्चरित की देव मामलेदारजी की कथा से
स्पष्ट की । वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु ने गुरूवार ०३ अप्रैल २०१४ के हिंदी प्रवचन में आदिमाता और उनकी भक्ति की महिमा अपरंपार है, वे कभी भी अपनी संतान से मुँह नहीं फेरती यह बात स्पष्ट की, वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं। (The Mother can never be a bad mother - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 03-April-2014)
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु ने गुरूवार ०३ अप्रैल २०१४ के हिंदी प्रवचन
में अपने दैनिक जीवन की छोटी छोटी बातें करना भी मनुष्य को परिश्रमपूर्वक सीखना
पडता है, तो फिर जाहिर है कि भक्ति करना भी उसे प्रयासपूर्वक सीखना ही चाहिए और
भक्ति कैसे करनी चाहिए यह चण्डिकाकुल से वह आसानी से सीख सकता है, यह बात स्पष्ट
की, वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु ने गुरूवार १ मे २०१४ के हिंदी
प्रवचन में दृढविश्वास की व्याख्या स्पष्ट करते हुए साईनाथ के चरणो में
दृढविश्वास कैसे रखना चाहिए। यह बात स्पष्ट की, वह आप इस व्हिडियो में देख
सकते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु ने गुरूवार १ मे २०१४ के हिंदी प्रवचन में भक्ति करने के लिए बुध्दि की आवश्यकता होती है, इसलिए मानव को बुध्दि का उचित उपयोग करके भक्ति करनी चाहिए। यह बात बापु ने स्पष्ट की, वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं। (Doing Bhakti is the true use of intelligence - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 1 May 2014)
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु ने गुरूवार ०३ अप्रैल २०१४ के हिंदी प्रवचन में साईनाथ जी के ग्यारह वचनो में से तिसरे वचन का स्पष्टीकरण करते हुए बाबा की शाश्वत लीला के बारे में बताया और शरीर धारण करना या न करना इससे साईनाथ की सक्रियता में कोई फ़र्क नहीं पडता। इस बात का विवेचन बापु ने किया, वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु ने गुरूवार १ मे २०१४ के हिंदी प्रवचन में भगवान से मन्नत मानना यह कोई लेन देन का व्यवहार नहीं है, बल्कि प्रेम से पितास्वरुप भगवान से प्रार्थना करना है, भगवान के प्रति कतज्ञता व्यक्त करना है। इसके बारे में बताया, वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुजी ने गुरूवार ३ अप्रैल २०१४ के हिंदी प्रवचन में साईनाथ जो कार्य कर रहे दिखाई देते हैं। उस मॆं छिपी साईनाथजी की अदभुतलीला को जानना मानव के बस की बात नहीं हैं। यह बात बापु ने स्पष्ट की। वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु ने गुरूवार ०३ अप्रैल २०१४ के हिंदी प्रवचन में श्री हरिगुरुग्राम में माँ के लिए दुनिया की विभिन्न भाषा ओ में कौन कौन से शब्द हैं, इस संदर्भ में बताते हुए बापु ने उन शब्दो में रहनेवाले समान सूत्र के बारे में बताया। वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुजी ने गुरूवार ६ मार्च २०१४ के हिंदी प्रवचन में श्रीत्रिविक्रमके 'त्रातारं इन्द्रं अवितारं इंद्रं.....' इस महत्वपूर्ण मन्त्र का अर्थ स्पष्ट किया है। वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुजी ने गुरूवार १७ अप्रैल २०१४ के हिंदी प्रवचन में अपने हाथों हुए पापों की भीषणता से न दबते हुए मनुष्य को चाहिए कि सभी पापों का नाश करके मेरा उध्दार करने में भगवान सक्षम हैं, इस विश्वास के साथ भगवान की भक्ति करके स्वयं में सुधार करें। यह बात स्पष्ट की। वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुजी ने गुरूवार १७ अप्रैल २०१४ के हिंदी प्रवचन में अपने हाथों हुए पापों को दोहराते रहने से मानव को कुछ भी हासिल नहीं होता। मानव में रहनेवाली अच्छाई को दॆखकर भगवान उसे बढावा देते हैं। यह मानव को ध्यान में रखना चाहिए। यह बात स्पष्ट की। वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुजी ने गुरूवार १७ अप्रैल २०१४ के हिंदी प्रवचन में मनुष्य के द्वारा हुई गलतियों की सजा देना यह भगवान का काम नहीं है, भगवान तो उसे माफ़ करके गलतियाँ सुधारने का बल देने को उत्सुक रहते हैं। यह बात स्पष्ट की। वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुजी ने गुरूवार १७ अप्रैल २०१४ के हिंदी प्रवचन में पुण्य और पाप दोनों बातों का अभिमान न करते हुए। सद्गुरुतत्व से सच कहकर सद्गुरु की शरण में रहना चाहिए और अपनी भक्ति में अधिक चौकन्ना रहना चाहिए और यह बात श्री साईसच्चरित में वर्णित पुंडलिकराव के कथा के आधार पर स्पष्ट की। वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु (Aniruddha Bapu)ने गुरुवार दि. १३-०३-२०१४ के हिंदी प्रवचन में समाधि स्थिति के बारे में बताते हुए यह कहा कि समाधि स्थिति में मनुष्य को शान्ति, तृप्ति और संतोष का अटूट अनुभव तो प्राप्त होता रहता है और अनुभव करनेवाला उससे अलग नहीं रहता।
भौतिक दूरी की अपेक्षा दिलों की दूरी का होना या न होना ज्यादा मायने रखता है। मनुष्य जिससे प्रेम करता है वह व्यक्ती दिल के करीब होने के कारण उससे मृदू भाषा में बात की जाती है’ वहीं जिस पर घुस्सा आता है, उससे दिल की दूरी बढ जाने के कारण मनुष्य ऊँची आवाज में बात करता है।
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुजी ने गुरूवार १७ अप्रैल २०१४ के हिंदी प्रवचन में शरीर की घृणा न करते हुए शरीर यह पुरुषार्थ करने के लिए सब से महत्त्वपूर्ण आद्य साधन है इस बात का ध्यान मनुष्य को रखना चाहिए। यह बात स्पष्ट की। वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।