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हरि ॐ। यह ब्लाग हमें सदगुरु श्री अनिरुद्ध बापू (डा. अनिरुद्ध जोशी) के बारें में हिंदी में जानकारी प्रदान करता है।

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श्री साईं महिमा

                                                हरि ॐ

श्रीसाईसच्चरितका महिमा कथन करते हूऐं मेरे सद्‍गुरु श्री अनिरुध्दसिंह (अनिरुध्द बापू) कहते है, श्रीसाईसच्चरित यह केवल श्रीसाईनाथका चरित्रकथन नही। यह ग्रंथ विविध भक्तोंका जीवन और उन्हे साईक्रिपा कैसे प्राप्त हूई इन बातों का विवेचन है। यह ग्रंथ इतिहास बताता है। इनमे जितना साईनाथजीका चरित्र है उतनाही साईभक्तोंका चरित्र है और इसलिये यह ग्रंथ हमारेलीये परमेश्वरकी क्रिपा कैसे प्राप्त की जाए यह बतानेवाला मार्गदर्शक है । श्रीसाईमहिमाके प्रथम चौपाईमें बापू कहते है ,
"साईनाथ मेरा देव ; साईनाथ मेरा माव ; साईनाथ मेरा साव ; साईनाथ सद्गुरु !"
   




















सन १९९५ मे जब उपासनाकी शुरुवात हुई; बापू खुद यह उपासना करते । तत्‌पश्चात सुचितदादा वह उपासना करने लगे । ‘साईमहिमा ’ यह इस उपासना का अंग था और सब उपस्थित श्रध्दावान इस उपासनामें शामिल होकर नियमित उनके साथ उपासना का पाठ करते थे । बापू कहते है, श्रीसाईनाथ यह उनके दिग्दर्शक ( दिशा दर्शन कराने वाले ) गुरु है । आन्हिक में अचिन्त्यदानी स्तोत्रके चौपाईमें  यही  उद्देशीत की गई साईनाथकी प्रार्थना है ।

साईरामा तव शरणम्‌‍ । कृपासिंधो तव शरणम्‌ । दिगंबरा दीनदयाला । दिशादर्शका तव शरणम्‌।ॐ कृपासिंधू श्री साईनाथाय नम: । और ॐ अभयदाता श्रीस्वामीसमर्थाय नम: ।" यह बापूजीके कार्यके आद्य और प्रमुख जाप जो शुरवातसेही अपने गुरुवारके उपासना का एक अंग है । कलीयुग में मतिभ्रष्ट जीवको उचित मार्गपर लानेवाले साईनाथ है । खेदजनस स्थिती या जीवनकी प्रतिकुलतासे व्यथित होकर मानव गलत राहपर भटक जाता है । परमेश्वर का प्यार और क्रिपा प्राप्त कर लेना तो दूर वह दु:खके चक्रव्यूहमे घुमता रहता है । बाहर कैसे निकले यह ना समझकर, पिछे हटें तो पानी सर के बल निकल चूका होता है, अब मार्ग नही ऐसी अवस्था होती है । लेकीन एसे परिस्थितीमें भक्तिमार्गपर डाला हूआ एक कदम...... सिर्फ एक कदम भी उसको दु:ख की खाईसे निकालकर उचित मार्ग का दिशादर्शन करवा दे सकता है । श्रीसाईमहिमा में बापू आगे कहते है - श्रीसाईसच्चरित भक्तिका यह मार्ग हमें समझा देता है । भक्ति कैसे करें यह ग्रंथ हमे बताता  तो है लेकीन यह बताते वक्त अपनी भक्ति बढाकर अधिक दृढभी करवाता है । भक्तिमार्गमे अपना कदम अधिक मजबूत करता है । भक्ति निर्धारीत बनाता है ।

बापूजीका हिंदी प्रवचन श्रीसाईसच्चरितपर आधारीत होता है । उन्होने शुरु की हूई पंचशील इम्तेहानभी श्रीसाईसच्चरितपर अधारीत है । यह सब वे केवल हमारेलीये, अपना भक्तिमार्गका सफर आसान हो , सुखकर तथा परिपूर्ण हो, इस इम्तेहान के कारण हम जो पढाई और साईभक्तोंका चिंतन करते है इसमेसे हमें रोजके जीवनशैलीमें मार्गदर्शक तत्वकी प्राप्ती हो और उनका आचरण हम करे इस हेतूसेही करते है ।
श्रीसाईसच्चरितपर आधारित यह फोरम हरेक श्रध्दावानको श्रीसाईनाथकी सीख समझ लेनेके लीये वह अपने जींदगीमे आचरीत करने के लीये सचमुच उपयुक्त होगी, यह मै निश्चित रुपसे कह सकता हू । इस फोरमद्वारा हमारे सामने श्रीसाईसच्चरितके संबंधमें आनेवाला विषय, एखाद कथा ( प्रसंग ) रखी जाएगी । सदस्य उस विषयमें अपना मत अंग्रेजी, हिंन्दी या मराठी इनमेसे कीसीभी भाषामें व्यक्त कर सकते है । यह संवाद इस ग्रंथकी अनेक खुबीया खुलकर दिखाएगी ओर वह अधिक आसान करके उसके गहराईतक पहूंचनेमे मद्द्त करेगी । वैसेभी साईनाथजीने हमे बचन दियाही है

मग जो गाई वाडेकोडे । माझे चरित्र माझे पवाडे । तयाच्या मी मागेपुढे । चोहीकडे उभाची । (" जो मेरे चरित्र और कृत्यों का श्रध्दापूर्वक गायन करेगा उसकी मै हर प्रकार से सदैव सहायता करुंगा ।")
तो अब  ‘ साई द गायडिंग स्पिरीट’ इस फोरमका शुभारंभ करते हूऐ मै बताना चाहता हू की मेरे सद्गुरुजीने श्रीअनिरुध्द बापूजीने ( अनिरुध्दसिंह ) लीखा हूआ ‘श्री साईमहिमा ’ यह स्तोत्र सारे श्रध्दावानोंको मार्गदर्शक और अश्वासक हो जाए और यह निश्चित है ।




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