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अमेरीका पर हमला करने के लिए चीन द्वारा वैमानिकों को प्रशिक्षण – अमेरीकी रक्षा मुख्यालय ‘पेंटॅगॉन’ का आरोप
वॉशिंग्टन/बीजिंग – ‘विवादास्पद सागरी क्षेत्र का कब्जा लेने के लिए चीन अपनी सेना को तैयार कर रहा है| साथही अमेरीका पर हमले करने के लिए चीन अपने वैमानिकों को प्रशिक्षित कर रहा है’, ऐसा आरोप अमेरीका का रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने अपने रिपोर्ट में किया| लेकिन पेंटॅगॉन का ये रिपोर्ट तुर्क पर आधारीत होने की आलोचना करते हुए चीन ने उसे ठूकरा दिया| इससे पहले ही अमेरीका और चीन में व्यापार युद्ध के कारण काफी तनाव निर्माण हो चूका है, जिसमें अब नई बात जूड गई है|
अमेरीका के पेंटॅगॉन ने वर्ष २०१७ में चीन की सैनिकी गतिविधियों पर आधारीत सालाना रिपोर्ट तैयार किया है| पेंटॅगॉन ने ये रिपोर्ट अमेरीकी कॉंग्रेस के सामने रखते हुए चीन द्वारा अमेरीका साथही अमेरीका के हितसंबंधों को खतरा होने की बात कही है| इसलिए पेंटॅगॉन ने पिछले कई वर्षों से चली आ रही चीन की सैनिकी गतिविधियों का दाखिला दिया| पेंटॅगॉन के रिपोर्ट में आरोप किया गया है कि, ‘बिते तीन वर्षों में चीन के ‘पिपल्स लिबरेशन आर्मी’ने समुद्री क्षेत्र पर बॉम्बर विमानों की गश्ती बढ़ाई है| चीन के बॉम्बर विमानों की ये गश्ती विवादास्पद समुद्री क्षेत्र में चिंता बढ़ाने वाली घटना है| इस समुद्री क्षेत्र का कब्जा करने के लिए साथही अमेरीका और अमेरीका के दोस्त देशों पर हमला चढ़ाने के लिए चीन अपने बॉम्बर विमानों को प्रशिक्षण दे रहा है|’
‘साउथ चाइना सी’ में फिलिपाईन्स की आपत्तियों पर चीन की चेतावनी
बीजिंग: साउथ चाइना सी में चीन के कृत्रिम द्वीपों के निर्माण पर आपत्ति जताते हुए चीन अपनी समुद्री आक्रामकता पर लगाम लगाए, ऐसी सलाह देने वाले फिलिपाईन्स को चीन ने चेतावनी दी है। साउथ चाइना सी में प्रवेश करने वाले विमानों और जहाजों को हटाना चीन का अधिकार है और फिलिपाईन्स इसमें दखल न दे, ऐसी चेतावनी चीन के विदेश मंत्रालय ने दी है।
दौरान, चीन ने फिलिपाईन्स को दी धमकी को कुछ घंटे भी नहीं बीते हैं, ऐसे में अमरिका ने फिलिपाईन्स की भूमिका का समर्थन किया है। साथ ही चीन ने साउथ चाइना सी में हमला किया तो अमरिका फिलिपाईन्स का भरोसेमंद देश साबित होगा, ऐसा आश्वासन अमरिका ने दिया है।
साउथ चाइना सी में अमरिकी बॉम्बर के गश्ती के बाद – चीन के विध्वंसक से मिसाइल का परीक्षण
बीजिंग – पिछले हफ्ते में साउथ चाइना सी के हवाई सीमा से गश्ती करनेवाले अमरिका के बी-५२ बॉम्बर विमान को चीन ने छह बार चेतावनी देकर वापसी करने के लिए कहा था। चीन के इन चेतावनी के बाद भी अमरिका के बॉम्बर ने गश्ती शुरू रखी। पर अमरिकी बॉम्बर के वापसी के बाद चीन ने अपने विध्वंसक से मिसाइल प्रक्षेपित करके अमरिका को चेतावनी देने की बात उजागर हुई है। साथ ही इस सागरी क्षेत्र में अमरिका एवं जापान के मिसाइल हमलो को प्रत्युत्तर देने के लिए चीन ने बड़ा युद्धाभ्यास का आयोजन किया है।
पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अपने नौसेना के लगभग १० विध्वंसक को साउथ चाइना सी में रवाना किया है। इस दौरान हवाई हमलों का मुकाबला करने का युद्धाभ्यास हुआ है, ऐसा चीन के वृत्तपत्र में प्रसिद्ध किया है। यह विध्वंसक विमानभेदी तथा विध्वंसक भेदी मिसाइलों से सज्ज होने का दावा किया जाता है। चीन के पड़ोसी खतरनाक गतिविधियां बढ़ाते समय इन मिसाइलों के परीक्षण होना आवश्यक था, ऐसा चीन में लष्करी विश्लेषक सॉन्ग झौंगपिंग ने चीन के सरकारी मुखपत्र से बोलते हुए स्पष्ट किया है।
साथ ही चीन के नौदल ने ईस्ट चाइना सी के सागरी क्षेत्र में बड़े युद्धाभ्यास का आयोजन किया है। अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों की अपनी सागर क्षेत्र में गतिविधियां खतरनाक रूप से बढ़ने का दावा करके चीन ने इस युद्धाभ्यास का आयोजन करने की जानकारी सामने आ रही है। पिछले महीने में इन तीनो देशो के साथ युद्ध भड़का तो उनके मिसाइल हमलो को जवाब देने के लिए यह युद्धाभ्यास का आयोजन किया है और इसमें शत्रु के विध्वंसक को जल समाधि देने का अभ्यास किया जाएगा। इसके लिए जमीन के साथ हवा से तथा सागरी मार्ग से हमला किया जाएगा ऐसी जानकारी चीन के मुखपत्र ने दी है।
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अमरिका के प्रतिबंधों का निषेध करने के लिए ईरान रशिया से संवर्धित युरेनियम प्राप्त करेगा – ईरान के परमाणु ऊर्जा के संगठन के उपप्रमुख की घोषणा
तेहरान/मॉस्को – अमरिका ने लगाए कठोर प्रतिबंधों का निषेध करने के लिए ईरान ने परमाणु कार्यक्रम की गति बढाने के लिए कदम उठाए हैं। इसके लिए ईरान ने रशिया को सौंपा हुआ संवर्धित युरेनियम का भंडार वापस लेने की घोषणा की है। ईरान ने संवर्धित युरेनियम का भंडार वापस पाकर परमाणु कार्यक्रम शुरू करना मतलब यूरोपीय देशों ने अभी तक जिन्दा रखे परमाणु अनुबंध का उल्लंघन करना है, ऐसा आरोप इस्राइली मीडिया ने किया है। उधर ईरान का कहना है कि उनकी इस कार्रवाई के लिए अमरिका जिम्मेदार है।
अमरिका परमाणु अनुबंध से पीछे हट गया है, लेकिन रशिया और यूरोपीय देशों ने इस अनुबंध का पालन करने का आश्वासन दिया था। साथ ही अमरिका पीछे हटने के बाद भी ईरान इस अनुबंध का उल्लंघन न करे, ऐसा कहकर रशिया, जर्मनी, फ़्रांस, ब्रिटन और चीन इन देशों ने ईरान को आश्वस्त किया था। लेकिन इस परमाणु अनुबंध के अनुसार ईरान ने रशिया को सौंपा संवर्धित युरेनियम का भंडार वापस लेने की तैयारी करके अपना समर्थन करने वाले देशों को झटका दिया है।
होर्मुझ की खाड़ी क्षेत्र में ईरान का भव्य युद्धाभ्यास अमरिका के लिए चेतावनी – अमरिका के सेंटकॉम के प्रमुख जनरल वोटल
वॉशिंग्टन: जागतिक स्तर पर ईंधन का लगभग २० प्रतिशत परिवहन होर्मुझ के खाड़ी क्षेत्र से होता है। ऐसी परिस्थिति में ईरान ने इस सागरी क्षेत्र में भव्य युद्धाभ्यास का आयोजन करके उसे गतिरोध करने की तैयारी की है। यह ईरान ने अमरिका को दी चेतावनी है, ऐसा अमरिका के सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल जोसेफ वोटल ने सूचित किया है। इस युद्ध अभ्यास के साथ ईरान के इस क्षेत्र में गतिविधियों के पीछे ईरान के जनरल कासेम सुलेमानी होने का दावा जनरल वोटल ने किया है।
ईरान के ‘इस्लामिक रेवोलुशनरी गार्ड्स कॉप्स’ ने पिछले हफ्ते में होर्मुझ एवं पर्शियन खाड़ी क्षेत्र में भव्य नौदल अभ्यास का आयोजन किया था। स्वार्म ड्रिल के तौर पर पहचाने जानेवाले इस युद्धाभ्यास में १०० से अधिक गतिमान गनबोट्स और गश्ती नौका शामिल हुए थे। प्रतिवर्ष अक्टूबर-नवंबर महीने के कालखंड में ईरान से इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया जाता है। पर अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान पर प्रतिबंध जारी करने के बारे में दिए धमकी की पृष्ठभूमि पर इस वर्ष नौदल युद्धाभ्यास समय से पहले आयोजित किया गया था।
साउथ चाइना सी क्षेत्र में चीन के दावेदारी को चुनौती देकर जापान एवं व्हिएतनाम का ईंधन सहयोग करार
हनोई – व्हिएतनाम के सरकारी ईंधन कंपनी ने जापान के दो कंपनियों के साथ ईंधन निर्यात का करार किया है। चीन हक बता रहे साउथ चाइना सी क्षेत्र में ‘नाइन डैश लाइन’ के पास सागरी क्षेत्र में ईंधन प्रदान करने की बात व्हिएतनाम ने मंजूर की है। इसकी वजह से व्हिएतनाम और जापान में हुए इस करार पर इस क्षेत्र में अपने अधिकार दिखाने का दावा करने वाले चीन से प्रतिक्रिया अपेक्षित है।
पेट्रो व्हिएतनाम इस कंपनी ने जापान के इदेमित्सू कोसान और तेईकोकू ऑइल इन दो कंपनियों के साथ यह करार किया है। इस करार के अनुसार व्हिएतनाम के सागर किनारे से ३०० किलोमीटर अंतर पर होने वाले सागरी क्षेत्र में इंधन गैस भंडार का उत्खनन करके वह जापान को प्रदान किया जाएगा। आने वाले कुछ महीनों में इस क्षेत्र के ईंधन का उत्खनन शुरू होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।
जापान की कंपनियों के साथ हुए इस करार की वजह से व्हिएतनाम के ऊर्जा क्षेत्र को बहुत बड़ा लाभ होगा, ऐसी घोषणा पेट्रो व्हिएतनाम इस कंपनी ने की है। पिछले कई महीनों से साउथ चाइना सी में व्हिएतनाम से शुरू होने वाले ईंधन उत्खनन का विरोध करके चीन ने व्हिएतनामी जहाजों पर कार्रवाई की थी।
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चीन का प्रभाव रोकने के लिए अमरिका की तरफ से ‘आसियन’ को ३० करोड़ डॉलर्स का रक्षा सहकार्य – विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ की घोषणा
सिंगापूर/वॉशिंग्टन: ‘इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में प्रादेशिक स्तर पर सुरक्षा मजबूत करने के लिए अमरिका ने दिया हुआ वचन पूरा करने के उद्देश्य से ३० करोड़ डॉलर्स की अतिरिक्त सहायता दी जा रही है। इस सहायता की वजह से इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में अमरिका का रक्षा सहकार्य अधिक मजबूत हो जाएगा, ऐसा भरोसा है’, इन शब्दों में अमरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने ‘आसियन’ देशों के साथ सहकार्य अधिक व्यापक करने का आश्वासन दिया है। अमरिका के विदेश मंत्री ने की हुई घोषणा चीन का इस इलाके में प्रभाव रोकने के लिए है, ऐसा माना जा रहा है।
सिंगापूर में आसियन की बैठक शुरू हैं और शुक्रवार को अमरिका और आसियन के बीच ‘मिनिस्ट्रीयल मीटिंग’ पूरी हुई। इस बैठक के दौरान साउथ चाइना सी में चीन की तरफ से चल रहा सैन्यकरण और अंतर्राष्ट्रीय कानून तथा नियमों का पालन इन मुद्दों पर चर्चा हुई। इस बैठक में पॉम्पिओ ने अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘इंडो-पैसिफ़िक’ क्षेत्र के लिए बनाई नीति में आर्थिक विकास पर जोर दिया है, इसका एहसास दिलाया है। इसी नीति के हिस्से के तौर पर रक्षा सहकार्य पर जोर देने का निर्णय लिया है, ऐसी पॉम्पिओ ने घोषणा की है।
अमरिका के साथ बाहर के देशों को छोड़कर – ‘आसियन’ देशों के साथ संयुक्त लष्करी अभ्यास के लिए चीन का प्रस्ताव
बीजिंग: दक्षिण-पूर्व आशिया के अलावा अन्य क्षेत्र के देशों को छोड़कर ‘आसियन’ सदस्य देशों के साथ संयुक्त लष्करी अभ्यास करने का प्रस्ताव चीन ने दिया है। चीन का यह प्रस्ताव मतलब इंडो-पैसिफ़िक और उसका हिस्सा साउथ चाइना सी में अमरिका और उसके मित्र देशों के मोर्चे को मात देने की कोशिश दिखाई दे रही है। लष्करी अभ्यास के साथ साथ इंधन क्षेत्र की योजनाएं भी संयुक्तिक रूपसे लागू करने की चीन ने तैयारी दर्शाई है। उसके लिए भी विदेशी कंपनियों के सहभाग को नकारने की शर्त रखी है।
सिंगापूर में आसियन की बैठक शुरू हैं और गुरुवार को ‘आसियन-चीन मिनिस्ट्रीयल मीटिंग’ पूरी हुई। इस बैठक के लिए चीन के विदेश मंत्री वैंग ई उपस्थित थे। बैठक के दौरान चीन और आसियन देशों के बीच विविध क्षेत्र में सहकार्य पर चर्चा हुई। इसी चर्चा के दौरान चीन ने ‘आसियन’ देशों के साथ संयुक्त लष्करी अभ्यास और इंधन उत्खनन योजनाओं का प्रस्ताव दिया है।
‘चीन और दस आसियन सदस्य देशों ने नियमित रूपसे संयुक्त लष्करी अभ्यास करना चाहिए। लेकिन इस अभ्यास में क्षेत्र के बाहर के किसी भी देश का सहभाग नहीं चाहिए।
साउथ चाइना सी क्षेत्र में चीन के दावेदारी को चुनौती देकर जापान एवं व्हिएतनाम का ईंधन सहयोग करार
नोई – व्हिएतनाम के सरकारी ईंधन कंपनी ने जापान के दो कंपनियों के साथ ईंधन निर्यात का करार किया है। चीन हक बता रहे साउथ चाइना सी क्षेत्र में ‘नाइन डैश लाइन’ के पास सागरी क्षेत्र में ईंधन प्रदान करने की बात व्हिएतनाम ने मंजूर की है। इसकी वजह से व्हिएतनाम और जापान में हुए इस करार पर इस क्षेत्र में अपने अधिकार दिखाने का दावा करने वाले चीन से प्रतिक्रिया अपेक्षित है।
पेट्रो व्हिएतनाम इस कंपनी ने जापान के इदेमित्सू कोसान और तेईकोकू ऑइल इन दो कंपनियों के साथ यह करार किया है। इस करार के अनुसार व्हिएतनाम के सागर किनारे से ३०० किलोमीटर अंतर पर होने वाले सागरी क्षेत्र में इंधन गैस भंडार का उत्खनन करके वह जापान को प्रदान किया जाएगा। आने वाले कुछ महीनों में इस क्षेत्र के ईंधन का उत्खनन शुरू होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।
जापान की कंपनियों के साथ हुए इस करार की वजह से व्हिएतनाम के ऊर्जा क्षेत्र को बहुत बड़ा लाभ होगा, ऐसी घोषणा पेट्रो व्हिएतनाम इस कंपनी ने की है।
भारत-व्हिएतनाम के बीच रक्षा सहकार्य पर विशेष चर्चा
नई दिल्ली: बुधवार को राजधानी दिल्ली में ११ वा ‘व्हिएतनाम-इंडिया डिफेन्स पॉलिसी डायलोग’ संपन्न हुआ। इस बैठक के लिए व्हिएतनाम का लष्करी प्रतिनिधि मंडल भारत में आया था। इस बैठक का नेतृत्व भारत के रक्षा सचिव संजय मिश्रा और व्हिएतनाम के नेशनल डिफेन्स के उपमंत्री लेफ्टिनेंट जनरल ‘न्गुयेन ची विन्ह’ ने किया। इस दौरान दोनों देशों के बीच मिसाइल और हेलिकॉप्टर की खरीदारी के विषय में चर्चा पूरी हुई।
एक घंटे तक चली इस बैठक में आकाश, जमीन से आकाश में हमला करने वाले मिसाइल, ध्रुव और एडवांस्ड सॅटेलाईट हेलिकॉप्टर्स की खरीदारी पर दोनों देशों के बीच चर्चा हुई है। साथ ही इस चर्चा में भारत-रशिया ने संयुक्त रूपसे विकसित किए ‘ब्रम्होस’ मिसाइल की खरीदारी का मुद्दा भी था। व्हिएतनाम भारत से ब्रम्होस खरीदने के लिए उत्सुक है। लेकिन इस व्यवहार पर चीन ने आपत्ति जताई है। व्हिएतनाम ने भारत से ब्रम्होस ख़रीदा तो इस क्षेत्र की शांति भंग होगी, ऐसी चीन ने चेतावनी दी है।
उसी समय दोनों देशों ने लष्करी सहकार्य अधिक दृढ करने का निश्चित किया है। साथ ही भारत ने व्हिएतनाम के रक्षा क्षेत्र के लिए दिए कर्ज का उल्लेख करके लेफ्टिनेंट जनरल विन्ह ने उसके लिए भारत को धन्यवाद दिया है। इस दौरे में जनरल विन्ह ने लष्कर प्रमुख बिपिन रावत से भी मुलाकात की।
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रशिया ईरान को सीरिया से बाहर नहीं निकाल सकता – इस्राइल में स्थित रशिया के राजदूत का विधान
तेल अवीव: ‘जिस तरह से सीरिया में स्थित ईरान के अड्डों पर इस्राइल की तरफ से हो रहे हमलों को रशिया रोक नहीं सकता। उसी तरह से रशिया ईरान को सीरिया से बाहर नहीं निकाल सकता’, ऐसी टिप्पणी इस्राइल में स्थित रशियन राजदूत ‘एंटोली व्हिक्टोरोव्ह’ ने की है। साथ ही सीरिया के युद्ध में ईरान का सहभाग वैध है और आतंकवाद विरोधी संघर्ष में ईरान की तरफ से बड़ी सहायता मिलने का दावा भी उन्होंने किया है।
इस्राइल के न्यूज़ चैनल को दिए साक्षात्कार में बोलते समय व्हिक्टोरोव्ह ने ईरान सीरिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, ऐसा कहकर सीरिया में ईरान की सैन्य तैनाती का समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के मापदंडों के अनुसार सीरिया में ईरानी लष्कर की तैनाती पूरी तरह से क़ानूनी होने का दावा विक्टोरोव्ह ने किया है। ‘इस्राइल की माँग के अनुसार रशिया ईरान के दोस्तों से सीरिया से निकलने की सिर्फ माँग कर सकता है। लेकिन इसके लिए रशिया ईरान पर दबाव नहीं डाल सकता’, ऐसा व्हिक्टोरोव्ह ने स्पष्ट कहा है।
उसीके साथ ही सिरे में तैनात ईरान का सैन्य इस्राइल की सीमारेखा से १०० किलोमीटर की दूरी पर रखने का आश्वासन रशिया ने इस्राइल को नहीं दिया है, ऐसा खुलासा भी व्हिक्टोरोव्ह ने किया है। लेकिन सीरिया में स्थित ईरान के अड्डों पर हमलों को रशिया विरोध नहीं करेगा, कुछ इस तरह की तटस्थ भूमिका रशियन राजदूत ने अपनाई है। पिछले कुछ हफ़्तों में रशिया ने सीरिया में तैनात ईरान के लष्कर को गोलान सीमारेखा से १०० किलोमीटर दूर रखने की बात मान्य करने की बात इस्राइली अधिकारी ने घोषित की थी। लेकिन रशियन राजदूत ने इस दावे को ख़ारिज किया है।
अमरिका और पश्चिमी देश रशिया के खिलाफ कर रहे लष्करी षडयंत्र का एहसास है – रशिया के विदेश मंत्री का दावा
मॉस्को: अमरिका और अन्य पश्चिमी देशों का लष्कर रशिया के खिलाफ क्या षडयंत्र रच रहे हैं, इसकी रशिया को पूरी कल्पना है, ऐसा दावा रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लाव्हरोव्ह ने किया है। साथ ही उहोंने अमरिका की तरफ से अंतरिक्ष का सैन्यकरण शुरू होने का आरोप किया है। लाव्हरोव्ह के इस वक्तव्य की पृष्ठभूमि पर, रशिया के एक संसद सदस्य ने नाटो ने रशिया के टुकड़े करने कि योजना बनाने का आरोप लगाया है।
राजधानी मॉस्को के पास स्थित ‘व्लादिमीर रीजन’ में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में रशियन विदेश मंत्री ने देश को संभावित खतरे का एहसास दिलाया। ‘अमरिका और पश्चिमी देशों का लष्कर रशिया के खिलाफ किस तरह के षडयंत्र रच रहे हैं, इसका हमें पूरा एहसास है। लेकिन रशियन जनता ने उसकी चिंता करने की कोई जरुरत नहीं। रशिया पूरी तरह से सुरक्षित है’, ऐसा आश्वासन लाव्हरोव्ह ने दिया है।
अमरिका और पश्चिमी देशों की गतिविधियों की आलोचना करते समय रशियन विदेशमंत्री ने अंतरिक्ष के सैन्यकरण के मुद्दे को भी उपस्थित किया है। अंतरिक्ष संशोधन के मामले में अमरिका अन्य देशों के साथ सहकार्य करने के लिए उत्सुक नहीं है, ऐसा आरोप लाव्हरोव्ह ने किया है। उसी समय रशिया, चीन, यूरोप के साथ साथ अन्य देश अंतरिक्ष में हथियार प्रतियोगिता के खिलाफ अनुबंध करने के लिए तैयार हैं, ऐसे में अमरिका इसका विरोध कर रहा है, इस बात की तरफ भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया है।
रशिया का आरक्षित सोने का भंडार २ हजार टन के समिप
मॉस्को: अंतरराष्ट्रीय चलन के तौर पर रशिया का डॉलर को विरोध नहीं है, पर अमरिका डॉलर का शस्त्र की तरह उपयोग कर रहा है। इसकी वजह से डॉलर पर विश्वास कम होता जा रहा है, ऐसा कह कर रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन दुनिया भर के निरीक्षक और वित्ततज्ञ का ध्यान केंद्रित किया है। दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स परिषद में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन डॉलर पर अविश्वास दिखा रहे थे, उसी समय रशिया का आरक्षित सोने का भंडार लगभग २००० टन पर जाने की बात उजागर हुई है।
पिछले कई वर्षों से रशिया अपने आर्थिक धारणा में सोने के भंडार को सबसे अधिक महत्व दिया जा रहा है। रशिया के केंद्रीय बैंक ने पिछले ६ महीनों के अवधि में लगभग १०६ टन सोने की खरीदारी की थी। इस खरीदारी के बाद रशिया के पास आरक्षित सोने का भंडार लगभग २००० टन के आसपास गया है और विदेशी जमापूंजी का विचार करते हुए रशिया के पास सोने का आरक्षित भंडार का हिस्सा लगभग १८ प्रतिशत तक जा पहुंचा है।
रशियन वित्त व्यवस्था के इतिहास में सोने का हिस्सा विदेशी जमा पूंजी में इतने बड़े तादाद में होने का यह पहला अवसर है। इस दौरान रशिया का सोने का भंडार २००० टन के आसपास पहुंचने का यह दूसरे महायुद्ध के बाद का पहला अवसर है। दूसरे महायुद्ध के पहले वर्ष १९४१ में सोवियत रशिया ने सोने २८०० टन आरक्षित भंडार रखा था। इसके बाद अब रशिया के सोने के आरक्षित भंडार का प्रमाण बढ़ रहा है, तभी अमरिकी डॉलर्स में हो रही निवेश में गिरावट होती दिखाई दे रही है।
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इस्राइल के आक्रामक हवाई हमले के बाद – गाजापट्टी में आतंकवादी गट से संघर्ष बंदी को मंजूरी
जेरूसलम: इस्राइल एवं हमास में सन २०१४ में हुए युद्ध के बाद गाजापट्टी में फिर एक बार नए संघर्ष का भड़का होने की आशंका जताई जा रही है। शनिवार को इस्राइल के गाजापट्टी पर किये आक्रामक हवाई हमले के बाद गाजापट्टी के हमास एवं इस्लामिक जिहाद इन दोनों आतंकवादी संगठनों ने इस्राइल के साथ संघर्षबंदी को मंजूरी दी है। तथा संघर्षबंदी के परिणाम वास्तव में जमीन पर दिखाई नहीं देते, तब तक इस्राइल की कार्रवाई शुरू रहेगी ऐसी चेतावनी इस्राइल के नेताओं ने दी है।
शुक्रवार की रात गाजापट्टी के हमास एवं अन्य आतंकवादी संगठनों ने इस्राइल में जोरदार रॉकेट हमले किए थे। गाजापट्टी तथा इस्राइल के यंत्रणा ने दिए जानकारी के अनुसार लगभग २०० रॉकेट हमले किए गए हैं। इन हमलों में लगभग ३० हमले इस्राइल के आयर्न डोम यंत्रणा ने नाकाम करने का दावा इस्राइल ने किया है। इन हमलों में इस्राइल के सदेरॉत शहर में ४ लोग जख्मी होने की बात कही जा रही है।
इस्राइल की तरफ से हमास की सुरंगें और प्रशिक्षण अड्डों पर जोरदार हवाई हमले; गाझा से हुए रॉकेट हमलों को प्रत्युत्तर
जेरुसलेम – शनिवार की सुबह इस्राइल के लड़ाकू विमानों ने गाझापट्टी में स्थित हमास की सुरंगों और प्रशिक्षण अड्डों पर जोरदार हवाई हमले किए। शुक्रवार को इस्राइल की सीमा के पास हुए प्रदर्शन और गाझापट्टी से हुए रॉकेट हमले इनको प्रत्युत्तर देने के लिए यह हमले किए गए हैं, ऐसा दावा इस्राइल के लष्कर ने किया है। हवाई हमलों में ‘काईट बम’ बनाने वाले केंद्र और प्रशिक्षण अड्डे लक्ष्य किए गए हैं और किसी भी प्रकार की जीवित हानी न होने की जानकारी भी इस्राइली रक्षा बलों ने दी है।
पिछले तीन महीनों से हमास के नेतृत्व में इस्राइल की सीमा के पास प्रदर्शन शुरू हैं। इन प्रदर्शनों के साथ साथ गाझा के पैलेस्टिनियों की तरफ से ‘काईट बम’ और ‘बलून बम’ के हमले बढ़ गए हैं। पिछले कुछ हफ़्तों से हमास ने इस्राइल में वापस रॉकेट हमले भी शुरू किए हैं|
शुक्रवार की रात इस्राइल के पाँच इलाकों में करीब ३१ से अधिक रॉकेट हमले किए गए हैं। इन हमलों में किसी भी तरह का जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है। कुछ रॉकेट हमले इस्राइल के ‘आयर्न डोम’ इस यंत्रणा की सहायता से नाकाम किए गए हैं, ऐसा दावा भी इस्राइल ने किया है।
इस्राइल ने सीरियन लष्कर का ड्रोन गिराया
जेरुसलेम – इस्राइल की कब्जे वाली गोलान पहाड़ियों में घुसपैठ करने वाले सीरियन लष्कर का ड्रोन गिराने का दावा इस्राइल के लष्कर ने किया है। ड्रोन की घुसपैठ की वजह से गोलान इलाके में तनाव निर्माण होने की वजह से यह कार्रवाई करनी पड़ी ऐसा इस्राइल के लष्कर ने कहा है।
इस्राइल के लष्कर ने दी जानकारी के अनुसार, बुधवार दोपहर को एक ड्रोन ने गोलान पहाड़ियों की सीमा के अन्दर १० किलोमीटर तक घुसपैठ की थी। जॉर्डन की दरी पार करके घुसपैठ करने वाले इस ड्रोन ने गोलान इलाके में १६ मिनट तक पहरा दिया। लष्करी कार्रवाई करने से पहले यह ड्रोन रशिया का है या नहीं, इसकी जाँच करने के बाद ही इस्राइल ने ‘पैट्रियोट’ मिसाइल भेदी यंत्रणा की सहायता से ड्रोन को नीचे गिराया। गैलिली के समुन्दर में इस ड्रोन के टुकड़े गिरने की जानकारी लष्कर ने दी है।
इससे पहले रशियन ड्रोन ने इस्राइल की सीमारेखा के पास से उड़ान भरी थी। इस पर इस्राइल ने नाराजगी जताकर, इसके आगे अपने देश की सीमा में किसी भी देश ने घुसपैठ की तो कार्रवाई करने की चेतावनी इस्राइल ने दी थी। ऐसे में इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू रशिया के दौरे पर गए हैं। इस पृष्ठभूमि पर बुधवार को इस्राइल की सीमारेखा में घुसपैठ करने वाला ड्रोन रशिया का तो नहीं है, इसकी जाँच इस्राइल के लष्कर ने की।
सीरिया स्थित ईरान के ‘टी-४’ अड्डे पर इस्रायल का और एक हवाई हमला – सीरियन मीडिया का इल्जाम
बैरुत/ दमास्कस – सिरियन सेना एवं रशियन विमानों ने इस्रायल की सीमा के पास दारा भाग में कार्यवाही शुरु थी। उसी समय रविवार को सिरिया के होम्स प्रांत में ईरान के टी-४ हवाई अड्डे पर जोरदार हमला हुआ । इस्रायल के लड़ाकू विमानों ने यह हमला करने का आरोप सिरियन माध्यम कर रहे हैं। पिछले ५ महीनों में टी-४ पर हुआ यह तिसरा हमला हैं, ऐसा माध्यमों का कहना हैं ।सिरियन माध्यमों के इशारों पर इस्रायल ने प्रतिक्रिया नहीं दी है।
सिरिया के सरकारी वृत्त संस्था द्वारा दिए जानकारी के अनुसार रविवार को होम्स प्रांत के तियास में टी-४ हवाई अड्डे पर हमले हुए हैं। अब तक लेबनॉन के सीमा का उपयोग करके इस्रायल के लड़ाकू विमानों ने जॉर्डन के सीमा से यह हमले करने का दावा सिरियन वृत्त संस्था ने किया है। कुल मिलाकर ६ मिसाइल टी-४ हवाई अड्डे पर गिरने की जानकारी सामने आ रही है। तथा सिरियन सेना के हवाई सुरक्षा यंत्रणा ने कई मिसाइलों के हमले रोकने का दावा सिरियन माध्यम कर रहे हैं।
था इस्रायल के इस हमले में किसी भी प्रकार की जीवित हानि ना होने की बात सिरियन माध्यमों ने कही है। तथा इस हमले में टी-४ हवाई अड्डे पर तैनात ईरानी और सिरिया समर्थक जवान ढेर होने की आशंका ब्रिटन स्थित मानवाधिकार संगठनों ने व्यक्त की है। टी-४ हवाई अड्डे पर हुए हमले के बारे में सिरियन सेना ने तथा सिरियन माध्यमों के इशारों पर इस्रायल ने प्रतिक्रिया देने की बात टाली है।
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अमरिका को छोड़कर अन्य देश ईरान परमाणु अनुबंध का पालन करेंगे – रशियन विदेश मंत्री का आश्वासन
व्हिएन्ना – ईरान के साथ हुए परमाणु अनुबंध का पालन करने के लिए अमरिका छोड़कर अन्य सभी देश और ईरान के बीच स्वतंत्र यंत्रणा निर्माण की जाएगी और सभी देश उसे लागू करेंगे, ऐसा आश्वासन रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव ने दिया है। गुरुवार को व्हिएन्ना में ईरान और ईरान परमाणु अनुबंध के अमरिका छोड़कर अन्य देशों की स्वतंत्र बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में अमरिका की आलोचना करते हुए सभी सहभागी देशों ने ईरान के साथ का व्यापार और अन्य प्रावधानों का पालन करने का निर्णय लिया है। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को सहकार्य करने वाले देशों के खिलाफ प्रतिबन्ध लगाने की चेतावनी इससे पहले ही दी थी।
व्हिएन्ना में हुई बैठक में ईरान के साथ साथ रशिया, चीन, ब्रिटन, फ़्रांस, जर्मनी और यूरोपीय महासंघ के विदेश मंत्री उपस्थित थे। अमरिका ईरान के साथ के परमाणु अनुबंध से बाहर निकलने के बाद अन्य सभी देशों ने परमाणु अनुबन्ध कायम रखने के लिए जोरदार कोशिशें शुरू की हैं।
ईरान से होर्मूझ खाड़ी की सुरक्षा के लिए अमरिका तैयार – अमरिकी नौसेना के सेंट्रल कमांड की घोषणा
वॉशिंग्टन: ईरान का तेल निर्यात नहीं हो सकता, तो होर्मूझ की खाड़ी से अन्य किसी भी देश के तेल की यातायात नहीं होने देंगे, ऐसी धमकी ईरान ने दी थी| दुनिया भर से इस पर गुँज उठ रही है| अगर ईरान सच में होर्मूझ के खाड़ी में रोक लगाई तो तेल के दाम २५० डॉलर्स प्रति बॅरल तक जाएंगे, ऐसा डर कुछ लोगों ने जताया है| लेकिन अमरिका होर्मूझ खाड़ी की सुरक्षा के लिए तैयार है, ऐसी घोषणा कर अमरिका ने सभी को आश्वासन किया है|
अमरिकी नौसेना की ‘सेंट्रल कमांड’ जिनके पास पर्शियन खाड़ी से ओमान की खाड़ी, रेड सी और हिंदी महासागर तक की व्यापारी यातायात साथही हितसंबंधितों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, उन्होंने होर्मूझ खाड़ी की सुरक्षा की घोषणा की| अंतर्रराष्ट्रीय तेल व्यापार में से ३० प्रतिशत यातायात पर्शियन खाड़ी के होर्मूझ के खाड़ी से की जाती है| इस पृष्ठभूमी पर ‘अंतर्रराष्ट्रीय व्यापार और समुद्री यातायात के स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए अमरिका साथही अमरिका के दोस्त राष्ट्र तैयार है’, ऐसा अमरिकी नौसेना के सेंट्रल कमांड के प्रवक्ता कॅप्टन बिल अर्बन ने घोषित किया|
ईरान के राष्ट्राध्यक्ष के आदेश पर – होर्मुझ के खाड़ी क्षेत्र में ईंधन परिवहन को रोकेंगे – ईरान के कुद्स कोर्स के जनरल सुलेमानी
तेहरान: अमरिका के प्रतिबंधों का झटका ईरान के ईंधन निर्यात को लग रहा है। पर अगर ईरान ने ईंधन दूसरे देशों तक नहीं पहुंचाना है, तो दूसरे देशों के ईंधन का परिवहन भी नहीं होने देंगे, ऐसा कहकर ईरान के राष्ट्राध्यक्ष ने होर्मुझ के खाड़ी क्षेत्र में ईंधन परिवहन रोकने की धमकी दी थी। यह धमकी वास्तव में लाने की हिम्मत हमारे पास है, ऐसा ईरान के कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी ने कहा है।
यूरोप के दौरे पर होनेवाले ईरान के राष्ट्राध्यक्ष रोहानी ने कुच घंटों पहले अमरिका को संबोधित करके यह धमकी दी थी। अमरिका ने ईरान के ईंधन की निर्यात रोककर उनका नुकसान करने का प्रयत्न किया, तो होर्मुझ की खाड़ी क्षेत्र अमरिका के अरब मित्र देशों के ईंधन निर्यात भी बंद होगी, ऐसी चेतावनी रोहानी ने दी थी। फिलहाल इराक और सीरिया में कार्यान्वित होनेवाले ईरान समर्थक गट का नेतृत्व करनेवाले सुलेमानी ने राष्ट्राध्यक्ष रोहानी की भूमिका का स्वागत किया है।
यूरोपीय देश ईरान के साथ व्यापार करना रोक दें अन्यथा राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के क्रोध का सामना करें – अमरिकन सिनेटर न्यूट गिंगरीच
पॅरिस – ‘अमरिका के यूरोपीय मित्र देश ईरान के साथ कर रहे व्यापारी सहकार्य तुरंत रोक दे और ईरान की खूनी राजवट को सत्ता से बेदखल करने के लिए अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की सहायता करें। अन्यथा यूरोपीय देश ट्रम्प के क्रोध का सामना करें’, ऐसी चेतावनी अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के समर्थक और वरिष्ठ सिनेट सदस्य न्यूट गिंगरीच ने दिया है।
पॅरिस में आयोजित किए गए ‘फ्री ईरान रैली’ में बोलते समय गिंगरीच ने यूरोपीय देशों को यह सन्देश दिया है। ईरान के साथ सहकार्य को लेकर ट्रम्प ने इसके पहले ही चीन को चेतावनी दी थी। यूरोपीय देश ट्रम्प की मांग के अनुसार ईरान के साथ के संबंध से बाज नहीं आए तो चीन के बाद यूरोपीय देशों पर ही ट्रम्प की कार्रवाई हो सकती है, ऐसा दावा गिंगरीच ने किया है।
उसीके साथ ही अमरिका की ईरान के साथ नीति बदल गई है, इसकी गिंगरीच ने याद दिलाई है। ‘दो सालों पहले ईरान की राजवट को पैसों की आपूर्ति करने वाले और ईरान विषयक आर्थिक प्रतिबन्ध शिथिल करने वाले अमरिकी प्रशासन में ईरान पर कार्रवाई करने का साहस नहीं था।
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अफ्रीका महाद्वीप में लष्करी प्रभाव बढाने के लिए चीन की गतिविधियाँ
बीजिंग – मंगलवार से बीजिंग में ‘चाइना अफ्रीका डिफेन्स एंड सिक्यूरिटी फोरम’ की बैठक शुरू हुई है। इस फोरम का आयोजन चीन के रक्षा विभाग ने किया है। पिछले दो दशकों में अफ्रीका में सिर्फ व्यापार और आर्थिक हितसंबंध बनाए रखने के लिए पहल करने वाले चीन ने अफ्रीका महाद्वीप की लष्करी और सुरक्षा विषयक नीतियों में खुलकर पहली बार दिलचस्पी दिखाई है। चीन के रक्षा विभाग की तरफ से हो रहा इसका आयोजन ध्यान आकर्षित करने वाला साबित हुआ है। इस फोरम की पृष्ठभूमि पर चीन की तरफ से अफ्रीका महाद्वीप में लष्करी प्रभाव बढाने के लिए शुरू की गई गतिविधियों का मुद्दा अग्रणी है।
पिछले वर्ष अगस्त महीने में चीन ने ‘जिबौती’ में अपना पहला रक्षा अड्डा कार्यान्वित किया था। तब चीन ने उसका इस्तेमाल केवल नौसेना और अन्य रक्षा बलों को अवश्य सामग्री की आपूर्ति करने के लिए और उनके प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा, ऐसा कहकर यह रक्षा अड्डा नहीं होने का दावा किया था। लेकिन उसके बाद इस इलाके में लष्करी अभ्यास और बड़ी मात्रा में लष्करी टुकडियां तैनात करके इसका इस्तेमाल रक्षा अड्डे के तौर पर ही किया जाएगा, यह स्पष्ट हुआ था।
तिब्बत में चीनी लष्कर का युद्धाभ्यास
बीजिंग – चीन ने तिब्बत में युद्धाभ्यास शुरू करके भारत को चेतावनी दी है। इस युद्धाभ्यास की जानकारी चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने दी है। सन १९६२ के युद्ध में चीन ने भारत पर जीत पाई थी। लेकिन इस जीत के फल चीन को नहीं खाने मिले, इसका कारण चीन की सेना को रसद की आपूर्ति करने के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थी, ऐसा ग्लोबल टाइम्स ने युद्धाभ्यास के बारे में दी खबर में कहा है।
ग्लोबल टाइम्स की खबर के अनुसार मंगलवार के दिन चीनी लष्कर ने यह युद्धाभ्यास किया है। लगभग ४५०० मीटर ऊंचाई पर स्थित क्विंटाई-तिब्बत इस पठार पर इस अभ्यास का आयोजन किया गया था। यहाँ की दुर्गम भौगोलिक रचना और कठीन वातावरण से यहाँ सैनिकों को रसद और लष्करी सामग्री की आपूर्ति करना कठिन हो जाता है। इस आपूर्ति में आने वाली रुकावटें दूर करके ऐसे दुर्गम इलाकों में भी तेजी से रसद की आपूर्ति करने की क्षमता चीन विकसित कर रहा है।
सदर अभ्यास में लष्कर के साथ चीन की अन्य सरकारी यंत्रणा, स्थानीय कंपनियों की भी सहायता ली गई थी है। तिब्बत की स्थानीय कंपनियों की तरफ से इंधन और सरकारी यंत्रणाओं का इस्तेमाल अनाज की आपूर्ति के लिए किया गया। लष्करी और नगरी सहकार्य की दिशा में चीन ने रखा यह कदम महत्वपूर्ण साबित होता है। आने वाले समय में मजबूत लष्कर निर्माण का लक्ष्य हासिल करने के लिए चीन की यह व्यूहरचना है’, ऐसा विश्लेषकों ने दावा किया है।
चीन दुनिया भर के देशों को कर्ज के जाल में फंसा रहा है – अमरिकी दैनिक की रिपोर्ट
वॉशिंग्टन/बीजिंग: श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाकर चीन ने, भारत की सीमा के सिर्फ कुछ ही मीलों की दूरी पर स्थित सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण जगह पाने में सफलता प्राप्त की है। ऐसा दावा अमरीका के अग्रणी दैनिक ने किया है। पिछले वर्ष के अंत में एक अनुबंध के अनुसार, श्रीलंका की सरकार ने ‘हंबंटोटा’ बंदरगाह और उसके पास की १५ हजार एकड़ जगह चीन को ९९ सालों के लिए दी है। यह घटना मतलब चीन दुनिया के विविध देशों को कर्ज के जाल में फंसाकर अपना स्वार्थ पाने के लिए दबाव डाल रहा है, इसका स्पष्ट उदहारण है, इस बात की तरफ इस रिपोर्ट में ध्यान आकर्षित किया गया है।
अमरिका के ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने हाल ही में श्रीलंका के हंबंटोटा पर चीन के कब्जे के सन्दर्भ में स्वतंत्र लेख प्रसिद्ध किया था। इस लेख में, चीन ने श्रीलंकन अर्थव्यवस्था की कमजोरी का फायदा अपने सामरिक हितसंबंध के लिए किस तरह से करके लिया है, इसका पर्दाफाश किया है। हंबंटोटा बंदरगाह व्यापारी और व्यवहारिक दृष्टिकोण से सफल होने वाला नहीं है, इस वजह से भारत ने उसे वित्तीय सहायता देने से इन्कार किया था। लेकिन श्रीलंका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष महिंदा राजपक्षे ने उसके लिए चीन की तरफ माँग करने के बाद आर्थिक सहायता को तुरंत मंजूरी दी गई।
चीन की तरफ से वैश्विक लोकतंत्र को खतरा है – तैवान के राष्ट्राध्यक्ष की आलोचना
तैपेई: ‘चीन की तरफ से सिर्फ तैवान की सुरक्षा के लिए ही खतरा नहीं है, बल्कि इस क्षेत्र को और इससे भी ज्यादा वैश्विक लोकतंत्र को खतरा है। क्योंकि आज चीन जो कुछ भी तैवान के साथ कर रहा है, वैसा ही दुनिया के अन्य किसी भी देश के साथ हो सकता है। चीन के विस्तारवाद से अन्य देशों को भी उतना ही खतरा है’, ऐसी चेतावनी तैवान की राष्ट्राध्यक्ष ‘त्साई इंग-वेन’ ने दी है। उसीके साथ ही चीन को रोकने के लिए अन्य देश तैवान के साथ एकजुट हो जाएं, ऐसी पुकार तैवान की राष्ट्राध्यक्ष ने दी है।
आजादी की सुरक्षा के लिए चीन के सामने खड़े रहने का समय आ गया है’, ऐसी घोषणा राष्ट्राध्यक्ष ‘त्साई’ ने एक अंतर्राष्ट्रीय वृत्तसंस्था को दिए हुए साक्षात्कार में की है। ‘तैवान की तरह चीन की तरफ से अन्य देशों का लोकतंत्र, स्वातंत्र्य और व्यापारी स्वातंत्र्य अबाधित रह नहीं सकता है। लेकिन अगर समान लोकतंत्र के मूल्यों को संभालकर रखने वाले सभी देश लोकतंत्र और स्वातंत्र्य के बचाव के लिए एक हुए तो चीन का बढ़ता एकाधिकार तंत्र रोका जा सकता है’, ऐसा भरोसा त्साई ने जताया है।
इसके अलावा सोमवार को राजधानी तैपेई में आयोजित ‘ग्लोबल हक सॉलिडेटरी ऑफ़ डेमोक्रेसी’ इस परिसंवाद में बोलते समय भी त्साई ने चीन के खिलाफ अन्य देशों को एक होने का आवाहन किया।
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जम्मू-कश्मीर में हुई मुठभेड़ में – ‘लष्कर’ के कमांडर के साथ साथ दो आतंकवादी ढेर
मुंबई: जम्मू-कश्मीर के ‘लष्कर-ए-तोएबा’ का कमांडर ‘शकूर दार’ और उसके साथियों को सुरक्षा बालों ने ढेर कर दिया है। इस दौरान हुई मुठभेड़ में एक आतंकवादी ने सरेंडर किया है। पिछले एक हफ्ते में जम्मू-कश्मीर में हुई यह चौथी बड़ी मुठभेड़ है। दो दिनों पहले ही जम्मू-कश्मीर के ‘आईएस’ संलग्न आतंकवादी संगठन के चार आतंकवादियों को मारा गया था। जम्मू-कश्मीर में इन दिनों ढाई सौ आतंकवादी कार्यरत हैं और राज्य से आतंकवादियों के उच्चाटन के लिए रक्षा बलों ने व्यापक कार्रवाई शुरू की है।
आठ दिनों पहले जम्मू-कश्मीर की संघर्षबंदी खत्म हुई थी। उसके बाद दो दिनों में ही इस राज्य में राज्यपाल शासन लागू हुआ है और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई तीव्र हुई है। एक हफ्ते में चार बड़ी मुठभेड़ हुईं हैं और इसमें १३ आतंकवादी मारे गए हैं। रविवार को हुई मुठभेड़ में ‘लश्कर’ कमांडर शकूर मारा गया है। दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में छेदार गाँव में यह मुठभेड़ हुई है।
जम्मू-कश्मीर में हुई मुठभेड़ में ‘आईएसजेके’ के आतंकवादी ढेर – राज्य से संघर्षबंदी हटाने के बाद पहली बड़ी सफलता
मुंबई: जम्मू-कश्मीर से संघर्षबंदी हटाने के बाद सुरक्षादलों की आतंकवाद के खिलाफ की मुहीम को पहली बड़ी सफलता मिली है| इराक और सीरिया में धूम मचाने वाले ‘आईएस’ आतंकवादी संगठन से संलग्न ‘इस्लामिक स्टेट जम्मू एंड कश्मीर’ (आईएसजेके) के चार आतंकवादियों को सुरक्षा दलों ने मुठभेड़ में मार दिया है| इसमें ‘आईएसजेके’ का प्रमुख दावूद का समावेश है| इस मुठभेड़ में एक पुलिस जवान भी शहीद हुआ है|
जम्मू-कश्मीर में रमझान महीने के लिए लागू की गई संघर्षबंदी पॉंच दिनों पहले हटाई गई थी और फिरसे आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन आलआउट शुरू किया गया था| इसके बाद दूसरे ही दिन चार आतंकवादी मुठभेड़ में मारे गए और बुधवार को और तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया था| शुक्रवार को सुरक्षा दल और आतंकवादियों के बीच और एक बड़ी मुठभेड़ हुई्|
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के श्रीगुफवारा गॉंव में कुछ आतंकवादियों के छिपने की जानकारी सुरक्षा दलों को मिली थी| उसके बाद पुलिस और लष्कर ने संयुक्त कार्रवाई शुरू की और इस इलाके को घेर लिया था|
जम्मू कश्मीर में संघर्ष विराम वापस लेने के बाद ४ आतंकवादी ढेर
जम्मू – सरकार ने जम्मू-कश्मीर में संघर्ष विराम वापस लेने की घोषणा करने के बाद दूसरे ही दिन सेना ने चार आतंकवादियों को ढेर किया है। राज्य के बांदीपुरा जिले में यह कार्रवाई की गई है। शहीद जवान औरंगजेब कि आतंकवादियों ने हत्या की थी, उसका बदला लेने की मांग जम्मू कश्मीर की जनता कर रही है। इस पृष्ठभूमि पर सेना ने यह कार्रवाई करके उस का महत्व बढ़ाया है।
इस्लाम धर्मियों लोगों का पवित्र रमजान महीना में जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के विरोध में शुरू ऑपरेशन ऑलआउट रोका गया था। पर ऑपरेशन ऑलआउट फिर से जोरदार शुरू हुआ है। संघर्षबंदी पीछे लेने की घोषणा होते ही कुछ ही घंटों में सेना ने चार आतंकवादियों को ढेर करके आतंकवादी संगठन को कड़ी चेतावनी दी है।
जम्मू-कश्मीर में फिर से ‘ऑपरेशन ऑलआउट’
नई दिल्ली: पिछले महीने से जम्मू-कश्मीर में रोके गए आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन ऑलआउट फिर से शुरू किया गया है। इस राज्य को आतंकवाद और हिंसाचार से मुक्त करने के लिए आतंकवाद विरोधी कठोर कार्रवाई की जाए, ऐसे आदेश सुरक्षा दल को दिए गए हैं, ऐसा कहकर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह घोषणा की है। कई दिनों पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल ने जल्द ही आतंकवादियों के विरोध में कार्यवाही शुरु होगी ऐसा घोषित किया था।
इस्लाम धर्मयों के पवित्र रमजान महीने के दौरान आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन रोका गया था। स्थानीय लोगों को दिलासा देने के लिए यह निर्णय लिया गया था। लष्कर ने घोषित किए संघर्षबंदी के अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे हैं। तथा संघर्षबंदी के कालखंड भी बढ़ाया जायेगा ऐसे संकेत सरकार ने दिए थे। पर पिछले महीने में आतंकवादियों ने और विद्रोहियों ने कार्रवाई बढ़ी है। १७ मई से १३ जून के कार्यकाल में आतंकवादियों के ६६ कार्यवाहियाँ दर्ज हुई है। संघर्षबंदी का फायदा लेकर आतंकवादी सुरक्षादल के जवानों को लक्ष्य करते उजागर हुए हैं और विद्रोहियों से किए जानेवाले पत्थर फेंक की घटनाएं भी इस समय में बढ़ी थी।