महादुर्गेश्वर प्रपत्ति की रचना में प्रपत्ति करने वाले पुरुष श्रद्धावान चौकी पर श्रीचण्डिकाकुल की तसवीर रखकर उस तसवीर के सामने श्रीत्रिविक्रम की तसवीर अथवा मूर्ति रखते हैं। अनेक श्रद्धावानों से प्रपत्ति के संदर्भ में एक प्रश्न पूछा गया कि महादुर्गेश्वर प्रपत्ति में श्री महादुर्गेश्वर की तसवीर या मूर्ति कहीं पर दिखायी नहीं देती।
सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने श्रीचण्डिकाकुल तसवीर के उद्घाटन के समय, तथा सद्गुरु की श्रीस्वस्तिक्षेम तपश्चर्या के समय इस विषय में मार्गदर्शन किया था। सद्गुरु के द्वारा दी गयी जानकारी इस तरह है- ‘श्रीचण्डिकाकुल की तसवीर में श्रीहनुमानजी के सामने विराजमान ‘शिवलिंग’ यह हनुमानजी का ‘आत्मलिंग’ अर्थात् श्रीमहादुर्गेश्वर ही हैं।’
सद्गुरु के इस मार्गदर्शन में ही महादुर्गेश्वर प्रपत्तिसंबंधित प्रश्न का उत्तर मिलता है। श्रीचण्डिकाकुल की तसवीर में श्रीमहादुर्गेश्वर विराजमान हैं ही और इसी लिए महादुर्गेश्वर प्रपत्ति के समय श्रीचण्डिकाकुल की तसवीर रचना में रखी गयी है।
ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll
॥ नाथसंविध् ॥
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