सद्गुरु श्री अनिरुद्ध के प्रति रहने वाले श्रद्धावानों के प्रेम से भक्तिरचनाओं का उदय हुआ। अनेक ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ श्रद्धावानों ने अपनी भक्तिरचनाओं में सद्गुरु श्री अनिरुद्ध का गुणसंकीर्तन किया है। इनमें से चुनिंदा भक्तिरचनाओं का सत्संग करने की संकल्पना त्रिनाथों की कृपा से वर्ष २०१३ में प्रत्यक्ष में आयी, वह ‘न्हाऊ तुझिया प्रेमे’ इस अनिरुद्ध प्रेमयात्रा के स्वरूप में।
‘न्हाऊ तुझिया प्रेमे’ इस अनिरुद्ध-प्रेम की वर्षा में सराबोर होकर श्रद्धावान भक्तों के मन शान्ति, तृप्ति, सन्तोष और आनन्द से ओतप्रोत भर गये। परन्तु इसके साथ ही ‘भावभक्तीची शिरापुरी। कितीही खा सदा अपुरी। जरी आकंठ सेविली तरी। तृप्ति न परिपूर्ण कधींही॥’ अर्थात् ‘भावभक्ति की शीरा-पुरी का चाहे कितना भी सेवन क्यों न किया जाये, परन्तु फिर भी कभी तृप्ति नहीं होती’ यह प्रेमपिपासा भी श्रद्धावानों के मन में उछल रही थी।
और हम सब अनिरुद्ध-प्रेमी श्रद्धावान भक्तों की यह भक्तिकामना पूरी हो रही है, ‘न्हाऊ तुझिया प्रेमे’ – २ इस रूप में। ‘न्हाऊ तुझिया प्रेमे’ – २ इस अनिरुद्ध-प्रेम-सत्संग का आयोजन दिनांक ३१ डिसेंबर २०१९ को किया गया है। स्थल वही है – पद्मश्री डॉ. डि. वाय. पाटिल स्टेडियम, नेरुळ, नवी मुंबई.
वर्ष २०१३ की ‘न्हाऊ तुझिया प्रेमे’ इस प्रेमयात्रा में सम्मिलित हुए श्रद्धावान भक्तों को अनिरुद्ध-प्रेम के पुन:प्रत्यय का आनन्द प्राप्त करने के लिए और जो श्रद्धावान भक्त सम्मिलित नहीं हो सके, उनके लिए इस अनिरुद्ध-प्रेमरस में भीगने का अनुभव प्राप्त करने के लिए यह एक स्वर्णिम अवसर है।
पिपासा ३, ४ और ५ का आगमन
पिपासा यह पुकार है उस भक्तरूपी मयूर की, जो सद्गुरु श्री अनिरुद्धजी की प्रेमपिपासा से व्याकुल होकर, अनिरुद्ध-गुणसंकीर्तन में बेभान होकर नाचने की इच्छा रखता है। स्वयं को पूर्णत: भूलकर मात्र उस एक ही अनिरुद्ध प्रेमसागर में समाने की इच्छा से तेजी से बह रही नदी की उत्कटता ही पिपासा है। ‘बापू भेटला ज्या क्षणी मन हे जाहले उन्मनी। माझ्या अनिरुद्ध प्रेमळा त्याला माझिया कळवळा॥’ अर्थात् ‘जिस पल बापु मिले उस पल यह मन उन्मन हो गया, मेरा अनिरुद्ध प्रेममय है, प्रेमल है, उसके दिल में ही मेरे प्रति आत्मीयता है’ इस जीवनमंत्र का जाप करनेवाले भगीरथ भक्त का पुरुषार्थ है, पिपासा।
हम पिपासा भाग १ और २ की भक्तिरचनाओं में इस प्रेमपिपासा को अनुभव कर ही चुके हैं। हम सभी अनिरुद्ध-प्रेमी श्रद्धावान भक्तों के लिए एक खुशखबर है कि जल्द ही पिपासा भाग ३, ४ और ५ का आगमन होनेवाला है। इससे पहले प्रकाशित हुई पिपासा की भक्तिरचनाओं के समान ही इन रचनाओं में भी अनिरुद्धजी के प्रति रहनेवाले प्रेम से सराबोर ऐसीं अनेक भक्तिरचनाएं हम सभी को अनिरुद्ध-प्रेमरस से भिगो देनेवाली हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
अमेरीका पर हमला करने के लिए चीन द्वारा वैमानिकों को प्रशिक्षण – अमेरीकी रक्षा मुख्यालय ‘पेंटॅगॉन’ का आरोप
वॉशिंग्टन/बीजिंग – ‘विवादास्पद सागरी क्षेत्र का कब्जा लेने के लिए चीन अपनी सेना को तैयार कर रहा है| साथही अमेरीका पर हमले करने के लिए चीन अपने वैमानिकों को प्रशिक्षित कर रहा है’, ऐसा आरोप अमेरीका का रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने अपने रिपोर्ट में किया| लेकिन पेंटॅगॉन का ये रिपोर्ट तुर्क पर आधारीत होने की आलोचना करते हुए चीन ने उसे ठूकरा दिया| इससे पहले ही अमेरीका और चीन में व्यापार युद्ध के कारण काफी तनाव निर्माण हो चूका है, जिसमें अब नई बात जूड गई है|
अमेरीका के पेंटॅगॉन ने वर्ष २०१७ में चीन की सैनिकी गतिविधियों पर आधारीत सालाना रिपोर्ट तैयार किया है| पेंटॅगॉन ने ये रिपोर्ट अमेरीकी कॉंग्रेस के सामने रखते हुए चीन द्वारा अमेरीका साथही अमेरीका के हितसंबंधों को खतरा होने की बात कही है| इसलिए पेंटॅगॉन ने पिछले कई वर्षों से चली आ रही चीन की सैनिकी गतिविधियों का दाखिला दिया| पेंटॅगॉन के रिपोर्ट में आरोप किया गया है कि, ‘बिते तीन वर्षों में चीन के ‘पिपल्स लिबरेशन आर्मी’ने समुद्री क्षेत्र पर बॉम्बर विमानों की गश्ती बढ़ाई है| चीन के बॉम्बर विमानों की ये गश्ती विवादास्पद समुद्री क्षेत्र में चिंता बढ़ाने वाली घटना है| इस समुद्री क्षेत्र का कब्जा करने के लिए साथही अमेरीका और अमेरीका के दोस्त देशों पर हमला चढ़ाने के लिए चीन अपने बॉम्बर विमानों को प्रशिक्षण दे रहा है|’
‘साउथ चाइना सी’ में फिलिपाईन्स की आपत्तियों पर चीन की चेतावनी
बीजिंग: साउथ चाइना सी में चीन के कृत्रिम द्वीपों के निर्माण पर आपत्ति जताते हुए चीन अपनी समुद्री आक्रामकता पर लगाम लगाए, ऐसी सलाह देने वाले फिलिपाईन्स को चीन ने चेतावनी दी है। साउथ चाइना सी में प्रवेश करने वाले विमानों और जहाजों को हटाना चीन का अधिकार है और फिलिपाईन्स इसमें दखल न दे, ऐसी चेतावनी चीन के विदेश मंत्रालय ने दी है।
दौरान, चीन ने फिलिपाईन्स को दी धमकी को कुछ घंटे भी नहीं बीते हैं, ऐसे में अमरिका ने फिलिपाईन्स की भूमिका का समर्थन किया है। साथ ही चीन ने साउथ चाइना सी में हमला किया तो अमरिका फिलिपाईन्स का भरोसेमंद देश साबित होगा, ऐसा आश्वासन अमरिका ने दिया है।
साउथ चाइना सी में अमरिकी बॉम्बर के गश्ती के बाद – चीन के विध्वंसक से मिसाइल का परीक्षण
बीजिंग – पिछले हफ्ते में साउथ चाइना सी के हवाई सीमा से गश्ती करनेवाले अमरिका के बी-५२ बॉम्बर विमान को चीन ने छह बार चेतावनी देकर वापसी करने के लिए कहा था। चीन के इन चेतावनी के बाद भी अमरिका के बॉम्बर ने गश्ती शुरू रखी। पर अमरिकी बॉम्बर के वापसी के बाद चीन ने अपने विध्वंसक से मिसाइल प्रक्षेपित करके अमरिका को चेतावनी देने की बात उजागर हुई है। साथ ही इस सागरी क्षेत्र में अमरिका एवं जापान के मिसाइल हमलो को प्रत्युत्तर देने के लिए चीन ने बड़ा युद्धाभ्यास का आयोजन किया है।
पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अपने नौसेना के लगभग १० विध्वंसक को साउथ चाइना सी में रवाना किया है। इस दौरान हवाई हमलों का मुकाबला करने का युद्धाभ्यास हुआ है, ऐसा चीन के वृत्तपत्र में प्रसिद्ध किया है। यह विध्वंसक विमानभेदी तथा विध्वंसक भेदी मिसाइलों से सज्ज होने का दावा किया जाता है। चीन के पड़ोसी खतरनाक गतिविधियां बढ़ाते समय इन मिसाइलों के परीक्षण होना आवश्यक था, ऐसा चीन में लष्करी विश्लेषक सॉन्ग झौंगपिंग ने चीन के सरकारी मुखपत्र से बोलते हुए स्पष्ट किया है।
साथ ही चीन के नौदल ने ईस्ट चाइना सी के सागरी क्षेत्र में बड़े युद्धाभ्यास का आयोजन किया है। अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों की अपनी सागर क्षेत्र में गतिविधियां खतरनाक रूप से बढ़ने का दावा करके चीन ने इस युद्धाभ्यास का आयोजन करने की जानकारी सामने आ रही है। पिछले महीने में इन तीनो देशो के साथ युद्ध भड़का तो उनके मिसाइल हमलो को जवाब देने के लिए यह युद्धाभ्यास का आयोजन किया है और इसमें शत्रु के विध्वंसक को जल समाधि देने का अभ्यास किया जाएगा। इसके लिए जमीन के साथ हवा से तथा सागरी मार्ग से हमला किया जाएगा ऐसी जानकारी चीन के मुखपत्र ने दी है।
अमरिका के प्रतिबंधों का निषेध करने के लिए ईरान रशिया से संवर्धित युरेनियम प्राप्त करेगा – ईरान के परमाणु ऊर्जा के संगठन के उपप्रमुख की घोषणा
तेहरान/मॉस्को – अमरिका ने लगाए कठोर प्रतिबंधों का निषेध करने के लिए ईरान ने परमाणु कार्यक्रम की गति बढाने के लिए कदम उठाए हैं। इसके लिए ईरान ने रशिया को सौंपा हुआ संवर्धित युरेनियम का भंडार वापस लेने की घोषणा की है। ईरान ने संवर्धित युरेनियम का भंडार वापस पाकर परमाणु कार्यक्रम शुरू करना मतलब यूरोपीय देशों ने अभी तक जिन्दा रखे परमाणु अनुबंध का उल्लंघन करना है, ऐसा आरोप इस्राइली मीडिया ने किया है। उधर ईरान का कहना है कि उनकी इस कार्रवाई के लिए अमरिका जिम्मेदार है।
अमरिका परमाणु अनुबंध से पीछे हट गया है, लेकिन रशिया और यूरोपीय देशों ने इस अनुबंध का पालन करने का आश्वासन दिया था। साथ ही अमरिका पीछे हटने के बाद भी ईरान इस अनुबंध का उल्लंघन न करे, ऐसा कहकर रशिया, जर्मनी, फ़्रांस, ब्रिटन और चीन इन देशों ने ईरान को आश्वस्त किया था। लेकिन इस परमाणु अनुबंध के अनुसार ईरान ने रशिया को सौंपा संवर्धित युरेनियम का भंडार वापस लेने की तैयारी करके अपना समर्थन करने वाले देशों को झटका दिया है।
होर्मुझ की खाड़ी क्षेत्र में ईरान का भव्य युद्धाभ्यास अमरिका के लिए चेतावनी – अमरिका के सेंटकॉम के प्रमुख जनरल वोटल
वॉशिंग्टन: जागतिक स्तर पर ईंधन का लगभग २० प्रतिशत परिवहन होर्मुझ के खाड़ी क्षेत्र से होता है। ऐसी परिस्थिति में ईरान ने इस सागरी क्षेत्र में भव्य युद्धाभ्यास का आयोजन करके उसे गतिरोध करने की तैयारी की है। यह ईरान ने अमरिका को दी चेतावनी है, ऐसा अमरिका के सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल जोसेफ वोटल ने सूचित किया है। इस युद्ध अभ्यास के साथ ईरान के इस क्षेत्र में गतिविधियों के पीछे ईरान के जनरल कासेम सुलेमानी होने का दावा जनरल वोटल ने किया है।
ईरान के ‘इस्लामिक रेवोलुशनरी गार्ड्स कॉप्स’ ने पिछले हफ्ते में होर्मुझ एवं पर्शियन खाड़ी क्षेत्र में भव्य नौदल अभ्यास का आयोजन किया था। स्वार्म ड्रिल के तौर पर पहचाने जानेवाले इस युद्धाभ्यास में १०० से अधिक गतिमान गनबोट्स और गश्ती नौका शामिल हुए थे। प्रतिवर्ष अक्टूबर-नवंबर महीने के कालखंड में ईरान से इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया जाता है। पर अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान पर प्रतिबंध जारी करने के बारे में दिए धमकी की पृष्ठभूमि पर इस वर्ष नौदल युद्धाभ्यास समय से पहले आयोजित किया गया था।
साउथ चाइना सी क्षेत्र में चीन के दावेदारी को चुनौती देकर जापान एवं व्हिएतनाम का ईंधन सहयोग करार
हनोई – व्हिएतनाम के सरकारी ईंधन कंपनी ने जापान के दो कंपनियों के साथ ईंधन निर्यात का करार किया है। चीन हक बता रहे साउथ चाइना सी क्षेत्र में ‘नाइन डैश लाइन’ के पास सागरी क्षेत्र में ईंधन प्रदान करने की बात व्हिएतनाम ने मंजूर की है। इसकी वजह से व्हिएतनाम और जापान में हुए इस करार पर इस क्षेत्र में अपने अधिकार दिखाने का दावा करने वाले चीन से प्रतिक्रिया अपेक्षित है।
पेट्रो व्हिएतनाम इस कंपनी ने जापान के इदेमित्सू कोसान और तेईकोकू ऑइल इन दो कंपनियों के साथ यह करार किया है। इस करार के अनुसार व्हिएतनाम के सागर किनारे से ३०० किलोमीटर अंतर पर होने वाले सागरी क्षेत्र में इंधन गैस भंडार का उत्खनन करके वह जापान को प्रदान किया जाएगा। आने वाले कुछ महीनों में इस क्षेत्र के ईंधन का उत्खनन शुरू होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।
जापान की कंपनियों के साथ हुए इस करार की वजह से व्हिएतनाम के ऊर्जा क्षेत्र को बहुत बड़ा लाभ होगा, ऐसी घोषणा पेट्रो व्हिएतनाम इस कंपनी ने की है। पिछले कई महीनों से साउथ चाइना सी में व्हिएतनाम से शुरू होने वाले ईंधन उत्खनन का विरोध करके चीन ने व्हिएतनामी जहाजों पर कार्रवाई की थी।
महादुर्गेश्वर प्रपत्ति की रचना में प्रपत्ति करने वाले पुरुष श्रद्धावान चौकी पर श्रीचण्डिकाकुल की तसवीर रखकर उस तसवीर के सामने श्रीत्रिविक्रम की तसवीर अथवा मूर्ति रखते हैं। अनेक श्रद्धावानों से प्रपत्ति के संदर्भ में एक प्रश्न पूछा गया कि महादुर्गेश्वर प्रपत्ति में श्री महादुर्गेश्वर की तसवीर या मूर्ति कहीं पर दिखायी नहीं देती।
सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने श्रीचण्डिकाकुल तसवीर के उद्घाटन के समय, तथा सद्गुरु की श्रीस्वस्तिक्षेम तपश्चर्या के समय इस विषय में मार्गदर्शन किया था। सद्गुरु के द्वारा दी गयी जानकारी इस तरह है- ‘श्रीचण्डिकाकुल की तसवीर में श्रीहनुमानजी के सामने विराजमान ‘शिवलिंग’ यह हनुमानजी का ‘आत्मलिंग’ अर्थात् श्रीमहादुर्गेश्वर ही हैं।’
सद्गुरु के इस मार्गदर्शन में ही महादुर्गेश्वर प्रपत्तिसंबंधित प्रश्न का उत्तर मिलता है। श्रीचण्डिकाकुल की तसवीर में श्रीमहादुर्गेश्वर विराजमान हैं ही और इसी लिए महादुर्गेश्वर प्रपत्ति के समय श्रीचण्डिकाकुल की तसवीर रचना में रखी गयी है।
ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll
॥ नाथसंविध् ॥
चीन का प्रभाव रोकने के लिए अमरिका की तरफ से ‘आसियन’ को ३० करोड़ डॉलर्स का रक्षा सहकार्य – विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ की घोषणा
सिंगापूर/वॉशिंग्टन: ‘इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में प्रादेशिक स्तर पर सुरक्षा मजबूत करने के लिए अमरिका ने दिया हुआ वचन पूरा करने के उद्देश्य से ३० करोड़ डॉलर्स की अतिरिक्त सहायता दी जा रही है। इस सहायता की वजह से इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में अमरिका का रक्षा सहकार्य अधिक मजबूत हो जाएगा, ऐसा भरोसा है’, इन शब्दों में अमरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने ‘आसियन’ देशों के साथ सहकार्य अधिक व्यापक करने का आश्वासन दिया है। अमरिका के विदेश मंत्री ने की हुई घोषणा चीन का इस इलाके में प्रभाव रोकने के लिए है, ऐसा माना जा रहा है।
सिंगापूर में आसियन की बैठक शुरू हैं और शुक्रवार को अमरिका और आसियन के बीच ‘मिनिस्ट्रीयल मीटिंग’ पूरी हुई। इस बैठक के दौरान साउथ चाइना सी में चीनकी तरफ से चल रहा सैन्यकरण और अंतर्राष्ट्रीय कानून तथा नियमों का पालन इन मुद्दों पर चर्चा हुई। इस बैठक में पॉम्पिओ ने अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘इंडो-पैसिफ़िक’ क्षेत्र के लिए बनाई नीति में आर्थिक विकास पर जोर दिया है, इसका एहसास दिलाया है। इसी नीति के हिस्से के तौर पर रक्षा सहकार्य पर जोर देने का निर्णय लिया है, ऐसी पॉम्पिओ ने घोषणा की है।
अमरिका के साथ बाहर के देशों को छोड़कर – ‘आसियन’ देशों के साथ संयुक्त लष्करी अभ्यास के लिए चीन का प्रस्ताव
बीजिंग: दक्षिण-पूर्व आशिया के अलावा अन्य क्षेत्र के देशों को छोड़कर ‘आसियन’ सदस्य देशों के साथ संयुक्त लष्करी अभ्यास करने का प्रस्ताव चीन ने दिया है। चीन का यह प्रस्ताव मतलब इंडो-पैसिफ़िक और उसका हिस्सा साउथ चाइना सी में अमरिका और उसके मित्र देशों के मोर्चे को मात देने की कोशिश दिखाई दे रही है। लष्करी अभ्यास के साथ साथ इंधन क्षेत्र की योजनाएं भी संयुक्तिक रूपसे लागू करने की चीन ने तैयारी दर्शाई है। उसके लिए भी विदेशी कंपनियों के सहभाग को नकारने की शर्त रखी है।
सिंगापूर में आसियन की बैठक शुरू हैं और गुरुवार को ‘आसियन-चीन मिनिस्ट्रीयल मीटिंग’ पूरी हुई। इस बैठक के लिए चीन के विदेश मंत्री वैंग ई उपस्थित थे। बैठक के दौरान चीन और आसियन देशों के बीच विविध क्षेत्र में सहकार्य पर चर्चा हुई। इसी चर्चा के दौरान चीन ने ‘आसियन’ देशों के साथ संयुक्त लष्करी अभ्यास और इंधन उत्खनन योजनाओं का प्रस्ताव दिया है।
‘चीन और दस आसियन सदस्य देशों ने नियमित रूपसे संयुक्त लष्करी अभ्यास करना चाहिए। लेकिन इस अभ्यास में क्षेत्र के बाहर के किसी भी देश का सहभाग नहीं चाहिए।
साउथ चाइना सी क्षेत्र में चीन के दावेदारी को चुनौती देकर जापान एवं व्हिएतनाम का ईंधन सहयोग करार
नोई – व्हिएतनाम के सरकारी ईंधन कंपनी ने जापान के दो कंपनियों के साथ ईंधन निर्यात का करार किया है। चीन हक बता रहे साउथ चाइना सी क्षेत्र में ‘नाइन डैश लाइन’ के पास सागरी क्षेत्र में ईंधन प्रदान करने की बात व्हिएतनाम ने मंजूर की है। इसकी वजह से व्हिएतनाम और जापान में हुए इस करार पर इस क्षेत्र में अपने अधिकार दिखाने का दावा करने वाले चीन से प्रतिक्रिया अपेक्षित है।
पेट्रो व्हिएतनाम इस कंपनी ने जापान के इदेमित्सू कोसान और तेईकोकू ऑइल इन दो कंपनियों के साथ यह करार किया है। इस करार के अनुसार व्हिएतनाम के सागर किनारे से ३०० किलोमीटर अंतर पर होने वाले सागरी क्षेत्र में इंधन गैस भंडार का उत्खनन करके वह जापान को प्रदान किया जाएगा। आने वाले कुछ महीनों में इस क्षेत्र के ईंधन का उत्खनन शुरू होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।
जापान की कंपनियों के साथ हुए इस करार की वजह से व्हिएतनाम के ऊर्जा क्षेत्र को बहुत बड़ा लाभ होगा, ऐसी घोषणा पेट्रो व्हिएतनाम इस कंपनी ने की है।
भारत-व्हिएतनाम के बीच रक्षा सहकार्य पर विशेष चर्चा
नई दिल्ली: बुधवार को राजधानी दिल्ली में ११ वा ‘व्हिएतनाम-इंडिया डिफेन्स पॉलिसी डायलोग’ संपन्न हुआ। इस बैठक के लिए व्हिएतनाम का लष्करी प्रतिनिधि मंडल भारत में आया था। इस बैठक का नेतृत्व भारत के रक्षा सचिव संजय मिश्रा और व्हिएतनाम के नेशनल डिफेन्स के उपमंत्री लेफ्टिनेंट जनरल ‘न्गुयेन ची विन्ह’ ने किया। इस दौरान दोनों देशों के बीच मिसाइल और हेलिकॉप्टर की खरीदारी के विषय में चर्चा पूरी हुई।
एक घंटे तक चली इस बैठक में आकाश, जमीन से आकाश में हमला करने वाले मिसाइल, ध्रुव और एडवांस्ड सॅटेलाईट हेलिकॉप्टर्स की खरीदारी पर दोनों देशों के बीच चर्चा हुई है। साथ ही इस चर्चा में भारत-रशिया ने संयुक्त रूपसे विकसित किए ‘ब्रम्होस’ मिसाइल की खरीदारी का मुद्दा भी था। व्हिएतनाम भारत से ब्रम्होस खरीदने के लिए उत्सुक है। लेकिन इस व्यवहार पर चीन ने आपत्तिजताई है।व्हिएतनामने भारत से ब्रम्होस ख़रीदा तो इस क्षेत्र की शांति भंग होगी, ऐसी चीन ने चेतावनी दी है।
उसी समय दोनों देशों ने लष्करी सहकार्य अधिक दृढ करने का निश्चित किया है। साथ हीभारतने व्हिएतनाम के रक्षा क्षेत्र के लिए दिए कर्ज का उल्लेख करके लेफ्टिनेंट जनरल विन्ह ने उसके लिए भारत को धन्यवाद दिया है। इस दौरे में जनरल विन्ह ने लष्कर प्रमुख बिपिन रावत से भी मुलाकात की।
ठीक तेरह साल पहले अगस्त २००५ में, सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध (परमपूज्य बापू) ने “अनिरुद्धाज् युनिवर्सल बँक ऑफ रामनाम” का शुभारंभ किया।
श्रद्धावानों को प्रारब्ध से लड़ने की ताकत प्राप्त होकर, जीवन की समस्याओं को मात देने के लिए सहायता मिलें और उनके जीवन में सुखशांति क़ायम हों, इस हेतु से स्थापन हुआ यह अनोखा बँक अब श्रद्धावानों के लिए एक बेहतरीन उपहार लेकर आया है और वह है – ‘ऑनलाईन/डिजिटल रामनाम बही’!
‘ऑनलाईन/डिजिटल रामनाम बही’ का शुभारंभ करते हुए “अनिरुद्धाज् युनिवर्सल बँक ऑफ रामनाम” को बहुत ही खुशी हो रही है। इस ऍन्ड्रॉईड ऍप को डाऊनलोड करने के लिएhttps://goo.gl/x8oCsWपर क्लिक करें।
इस ऍप के द्वारा आप अपने ऍन्ड्रॉईड फोन अथवा टॅब्लेट पर रामनाम बही लिख सकते हैं। इस ऍप को प्लेस्टोअर से विनामूल्य डाऊनलोड किया जा सकता है। इस ऍप में रामनाम बही खरीदने की और उसे लिखने की सुविधा है। इस ऍप के कारण कहीं भी, यहाँ तक कि प्रवास करते समय भी रामनाम बही लिखने की सुविधा युजर को प्राप्त हो सकती है। एक बार यह ‘रामनाम बही’ ऍप डाऊनलोड करने के बाद उसका ऑफलाईन भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि किसी ने अब तक अपना रामनाम बँक अकाऊन्ट नहीं खोला है, तो उसे ऑनलाईन खोलने की सुविधा भी इस ऍप के द्वारा दी गयी है। यदि रामनाम बँक में पहले से अकाऊन्ट है, तो ‘साईन-अप’ के समय अकाऊन्ट नंबर दें। इस ऍप के द्वारा लिखी गयी रामनामबही पूरी होने के बाद वह अपनेआप ही आपके रामनाम बँक खाते में जमा होगी और जमा बहियों का रेकॉर्ड अपडेट किया जायेगा।
मुझे यक़ीन है कि हर कोई इस अवसर का आनन्दपूर्वक लाभ उठायेगा।
रशिया ईरान को सीरिया से बाहर नहीं निकाल सकता – इस्राइल में स्थित रशिया के राजदूत का विधान
तेल अवीव: ‘जिस तरह से सीरिया में स्थित ईरान के अड्डों पर इस्राइल की तरफ से हो रहे हमलों को रशिया रोक नहीं सकता। उसी तरह से रशिया ईरान को सीरिया से बाहर नहीं निकाल सकता’, ऐसी टिप्पणी इस्राइल में स्थित रशियन राजदूत ‘एंटोली व्हिक्टोरोव्ह’ ने की है। साथ ही सीरिया के युद्ध में ईरान का सहभाग वैध है और आतंकवाद विरोधी संघर्ष में ईरान की तरफ से बड़ी सहायता मिलने का दावा भी उन्होंने किया है।
इस्राइल के न्यूज़ चैनल को दिए साक्षात्कार में बोलते समय व्हिक्टोरोव्ह ने ईरान सीरिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, ऐसा कहकर सीरिया में ईरानकी सैन्य तैनाती का समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के मापदंडों के अनुसार सीरिया में ईरानी लष्कर की तैनाती पूरी तरह से क़ानूनी होने का दावा विक्टोरोव्ह ने किया है। ‘इस्राइल की माँग के अनुसार रशिया ईरान के दोस्तों से सीरिया से निकलने की सिर्फ माँग कर सकता है। लेकिन इसके लिए रशिया ईरान पर दबाव नहीं डाल सकता’, ऐसा व्हिक्टोरोव्ह ने स्पष्ट कहा है।
उसीके साथ ही सिरे में तैनात ईरान का सैन्य इस्राइल की सीमारेखा से १०० किलोमीटर की दूरी पर रखने का आश्वासन रशिया ने इस्राइल को नहीं दिया है, ऐसा खुलासा भी व्हिक्टोरोव्ह ने किया है। लेकिन सीरिया में स्थित ईरान के अड्डों पर हमलों को रशिया विरोध नहीं करेगा, कुछ इस तरह की तटस्थ भूमिका रशियन राजदूत ने अपनाई है। पिछले कुछ हफ़्तों में रशियाने सीरिया में तैनात ईरान के लष्कर को गोलान सीमारेखा से १०० किलोमीटर दूर रखने की बात मान्य करने की बात इस्राइली अधिकारी ने घोषित की थी। लेकिन रशियन राजदूत ने इस दावे को ख़ारिज किया है।
अमरिका और पश्चिमी देश रशिया के खिलाफ कर रहे लष्करी षडयंत्र का एहसास है – रशिया के विदेश मंत्री का दावा
मॉस्को: अमरिका और अन्य पश्चिमी देशों का लष्कर रशिया के खिलाफ क्या षडयंत्र रच रहे हैं, इसकी रशिया को पूरी कल्पना है, ऐसा दावा रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लाव्हरोव्ह ने किया है। साथ ही उहोंने अमरिका की तरफ से अंतरिक्ष का सैन्यकरण शुरू होने का आरोप किया है। लाव्हरोव्ह के इस वक्तव्य की पृष्ठभूमि पर, रशिया के एक संसद सदस्य ने नाटो ने रशिया के टुकड़े करने कि योजना बनाने का आरोप लगाया है।
राजधानी मॉस्को के पास स्थित ‘व्लादिमीर रीजन’ में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में रशियन विदेश मंत्री ने देश को संभावित खतरे का एहसास दिलाया। ‘अमरिका और पश्चिमी देशों का लष्कर रशियाके खिलाफ किस तरह के षडयंत्र रच रहे हैं, इसका हमें पूरा एहसास है। लेकिन रशियन जनता ने उसकी चिंता करने की कोई जरुरत नहीं। रशिया पूरी तरह से सुरक्षित है’, ऐसा आश्वासन लाव्हरोव्ह ने दिया है।
अमरिका और पश्चिमी देशों की गतिविधियों की आलोचना करते समय रशियन विदेशमंत्री ने अंतरिक्ष के सैन्यकरण के मुद्दे को भी उपस्थित किया है। अंतरिक्ष संशोधन के मामले में अमरिकाअन्य देशों के साथ सहकार्य करने के लिए उत्सुक नहीं है, ऐसा आरोप लाव्हरोव्ह ने किया है। उसी समय रशिया, चीन, यूरोप के साथ साथ अन्य देश अंतरिक्ष में हथियार प्रतियोगिता के खिलाफ अनुबंध करने के लिए तैयार हैं, ऐसे में अमरिका इसका विरोध कर रहा है, इस बात की तरफ भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया है।
मॉस्को: अंतरराष्ट्रीय चलन के तौर पर रशिया का डॉलर को विरोध नहीं है, पर अमरिका डॉलर का शस्त्र की तरह उपयोग कर रहा है। इसकी वजह से डॉलर पर विश्वास कम होता जा रहा है, ऐसा कह कर रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन दुनिया भर के निरीक्षक और वित्ततज्ञ का ध्यान केंद्रित किया है। दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स परिषद में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन डॉलर पर अविश्वास दिखा रहे थे, उसी समय रशिया का आरक्षित सोने का भंडार लगभग २००० टन पर जाने की बात उजागर हुई है।
पिछले कई वर्षों से रशिया अपने आर्थिक धारणा में सोने के भंडार को सबसे अधिक महत्व दिया जा रहा है।रशिया के केंद्रीय बैंक ने पिछले ६ महीनों के अवधि में लगभग १०६ टन सोने की खरीदारी की थी। इस खरीदारी के बाद रशिया के पास आरक्षित सोने का भंडार लगभग २००० टन के आसपास गया है और विदेशी जमापूंजी का विचार करते हुए रशिया के पास सोने का आरक्षित भंडार का हिस्सा लगभग १८ प्रतिशत तक जा पहुंचा है।
रशियन वित्त व्यवस्था के इतिहास में सोने का हिस्सा विदेशी जमा पूंजी में इतने बड़े तादाद में होने का यह पहला अवसर है। इस दौरान रशिया का सोने का भंडार २००० टन के आसपास पहुंचने का यह दूसरे महायुद्ध के बाद का पहला अवसर है। दूसरे महायुद्ध के पहले वर्ष १९४१ में सोवियत रशिया ने सोने २८०० टन आरक्षित भंडार रखा था। इसके बाद अब रशिया के सोने के आरक्षित भंडार का प्रमाण बढ़ रहा है, तभी अमरिकी डॉलर्स में हो रही निवेश में गिरावट होती दिखाई दे रही है।
कल गुरुवार २ अगस्त २०१८ के दिन श्रीहरिगुरुग्राम में बापू ने, अत्यधिक महत्त्वपूर्ण ‘स्वयंभगवान त्रिविक्रम के अठारह वचनों’ के बारे में बताया। हम इन वचनों का लाभ गुरुवार १६/०८/२०१८ को बापू के साथ ले पायेंगे। इसी के साथ बापू ने ‘स्वयंभगवान त्रिविक्रम’ का गजर शारण्य तथा आनंद भाव से कैसे करना है इसके बारे मे भी बताया है।
इसकी वीड़ियो क्लिप मैं blog तथा WhatsApp और YouTube पर अपलोड़ कर रहा हूँ।
इस व्हिडीओ का शब्दांकन निचे दिया गया है –
“मैंने पहिले बात की है, दो घंटे पहले भी बात की मेरे बच्चों के साथ। आप को भी बताता हूँ जो नहीं थे। ये जो भाव है ये हिलने का, हाथ उपर करने का, ये शरणागती का भाव है, ‘Hey Lord Trivikram, we are your eternal servitors…not servant…’Servitor’. Servant यानी नौकर, Servitors यानी दास। वो दास्य है, जो प्रेमस्वरूप है, वो दास होता है, ओके। ये दास्यभावना से, शरणागत भावना से जब करना है, तब हाथ ऊपर करना। आनंद से करना है तो हिल-डूलकर के करना और किसी भी पोझिशन में करो, प्रेम से करो। इस भाव के साथ करो, दास्य से, दास्य भक्ती जो होती है सबसे महान होती है। दास्यभक्त कौन है सबसे श्रेष्ठ – हनुमानजी। हनुमान जैसी भक्ती किसी में नहीं हो सकती। इसी लिए दास्यभाव की जो भक्ती होती है, right the servitorship, I am eternal server of God, I want to serve you always in every birth. हर जनम में मैं आपकी सेवा करना चाहता हूँ, आपका ही दास रहना चाहता हूँ। कैसे भी करे, कुछ भी करूँ लेकिन आपकी सेवा में रहूँ, आपके नामसुमिरन में रहूँ, आपके पूजन में रहूँ, ओके। और ये सेवा क्या होती है? ये शरणागती क्या होती है? अनुसंधान क्या होता है? अनुसंधान यानी सतत संपर्क, नित्य संपर्क कैसे हो सकता है? ये सभी अभी आहिस्ते-आहिस्ते करके खुलनेवाला है हमारे सामने। अग्रलेख जो है, जो अल्टरनेट डे आते हैं प्रत्यक्ष में, त्रिविक्रम की कथा उनके साथ ही आ रही है । अब थोडे दिन में गुणवर्णन शुरु होगा। actually शुरु हो गया है, मैने अभी लिखके रखे हुए हैं तो आयेगा अभी दो-एक हफ्ते में। लेकिन यहाँ भी हम सिखते जायेंगे। १६ तारीख को गुरुवार के दिन यहां यानी अभी इतने देर से नहीं। जो प्रॉपर टाईम हमारा उपासना का होता है, उपासने के बाद। भगवान त्रिविक्रम के – स्वयं भगवान त्रिविक्रम के अठारह वचन हैं, प्रॉमिसेस हैं अपने भक्तों के लिए वो सादर किए जायेंगे और वो वचन जो हैं, शब्दांकित किए हैं, खुद ये डॉक्टर अनिरुद्ध धैर्यधर जोशी ने। ये अठारह वचन हैं, वो हम लोग सुनेंगे, अपनायेंगे। मराठी हिंदी दोनों में अभी उपलब्ध हैं, आहिस्ते करके सभी भाषाओं में भी आ जायेंगे। इसके साथ साथ हम सीख लेंगे की मैंने जो बताया कि ये इटर्नल सर्व्हिटारशिप (eternal servitorship) क्या होती है। ये नित्य दास्यभाव कैसा होता है, ये नित्यानुसंधान कैसे रख सकते हैं? ओके, इसके लिए कुछ योजनाएँ बनायी गयी हैं। योजनाएँ यानी working plans नहीं, भाव के प्लॅन्स। मन से कैसे करें? सेवा यानी सिर्फ झाडू मारना नहीं, झाडू मारना भी सेवा है, मैला साफ करना भी सेवा है, कुछ भी काम करना सेवा है, लेकिन इसके साथ-साथ उसमें प्यार रखना, उसके नाम पर प्यार रखना, उसके शब्द का आदर करना, ये जो है, ये भी सेवा है। रामनाम बही लिखना ये भी सेवा है, जप करना ये भी सेवा है, गोधडी सिलाना ये भी सेवा है, ओ.के.। प्रवचन सुनना ये भी सेवा है, अनुभव कथन करना भी सेवा है, अनुभव सुनना भी सेवा है, ये ध्यान में रखिये। ये सभी बताया जायेगा, हमें सिखाया जायेगा कि कैसे हम हमारा पूरा लाईफ, हमारी पूरी जिंदगी इस भगवान के साथ, जो स्वयं-भगवान एकमेव हैं – त्रिविक्रम, उसके, उसकी छाया में, उसके प्रेमछाया में, उसके प्रेमछत्र के नीचे ये जिंदगी ही नहीं हर जिंदगी, क्या करेंगे? समर्थता से जियेंगे। अशक्त होकर नहीं, दु:खी होकर नहीं, दरिद्री होकर नहीं, दुर्बल होकर नहीं। अपनी जो मान है, नेक है, मान जो है वो कैसे रखे ? ऐसे ओके। एक बार हम लोग उसके दास हो गये तो हमें दूसरे किसी के सामने झुकना नहीं पड़ेगा, ओके। सो, १६ तारीख को, ये त्रिविक्रमजी के अठारह वचन जैसे मुझे लगा मैंने लिखे हुए हैं। कृपया आप मीठा मान लीजिए। तो सुनेंगे? उपासना के बाद करेंगे, ओके। और सब लोग सीखने को तैयार हैं? कि अनुसंधान त्रिविक्रमजी के साथ कैसे रखना है? नक्की? ओके। तो मैं इसलिये एक बताता हूँ कि ये जो अनुसंधान है, ये नित्य सुमिरन हैं, ये नित्य दास्यत्व है, इसके लिए एक ऐसा कुछ बनाया जा रहा है, एक domain जैसा बनाया जा रहा है, कि जो निरंतर हर एक श्रद्धावान को रास्ता दिखाता रहेगा, ताकद देता रहेगा, सहायता देता रहेगा, मदत करता रहेगा, उसके साथ-साथ रहेगा। और मुख्य है जीना सिखायेगा, नहीं तो हमें इतनी जीवनीय शक्ती देगा की हम हमारा पूरा जीवन उस भगवान के चरणों के सहारे बस सूख से, समृद्धी से, बल से, गर्व से नहीं, स्वाभिमान से, ओके। जियेंगे, जिके दिखायेंगे और बार-बार उसी के साथ आते रहेंगे, ओके।”