‘मातृवात्सल्यविन्दानम्’ त्रिंशोऽध्याय: का याने अध्याय ३० का नाम उस अध्याय के अन्त में ‘दत्तमंगलचण्डिकाप्रकटनम्’ यह छपा है। वहॉं पर ‘दत्तमंगलचण्डिकाप्रकटनकारणम्’ ऐसा परिवर्तन करें और ‘मातृवात्सल्यविन्दानम्’ एकत्रिंशोऽध्याय: का यानी अध्याय ३१ का नाम उस अध्याय के अन्त में ‘गुरुभक्तिमहिमानम्’ यह छपा है। वहॉं पर ‘दत्तमंगलचण्डिकाप्रकटनम् तथा गुरुभक्तिमहिमानम्’ यह परिवर्तन करें।
अध्याय ३० – ‘दत्तमंगलचण्डिकाप्रकटनकारणम्’
अध्याय ३१ – ‘दत्तमंगलचण्डिकाप्रकटनम् तथा गुरुभक्तिमहिमानम्’
अध्याय ३१ – ‘दत्तमंगलचण्डिकाप्रकटनम् तथा गुरुभक्तिमहिमानम्’
श्रद्धावान ‘मातृवात्सल्यविन्दानम्’ ग्रन्थ की अपनी कापी में ऊपर निर्दिष्ट किये गये परिवर्तन कर लें और इसके बाद उन अध्यायोंके नाम ऊपर निर्दिष्ट नामोंके अनुसार पढें।
यह परिवर्तन ‘पुण्यक्षेत्रम्’ के कार्य के आरंभ के कारण किया जा रहा है – सद्गुरु श्री अनिरुद्ध की आज्ञा के अनुसार।
॥ हरि ॐ ॥ श्रीराम ॥ अंबज्ञ ॥
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