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अभानावस्था में गलती (अनकॉन्शसली इन्करेक्ट)
(Unconsciously Incorrect)
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Aniruddha Bapu |
मानव के जीवन में किसी भी बीमारी (disease) का, संकट का, अनुचितता का निर्माण होने की पहली स्थिति है- अभानावस्था में गलती (अनकॉन्शसली इन्करेक्ट / Unconsciously Incorrect)। मानव से जब गलती हो रही होती है और ‘वह गलती कर रहा है’ इस बात का उसे एहसास तक नहीं होता, तब उसकी उस स्थिति को कहते हैं- अभानावस्था में गलती (अनकॉन्शसली इन्करेक्ट / Unconsciously Incorrect)। मानव के हाथों हो रही गलती की स्थितियों के बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें ने अपने ०४ दिसंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
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कॉन्शसली इन्करेक्ट
(Consciously Incorrect)
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मानव को स्वयं में सुधार करने का प्रयास करते रहना चाहिए। अभानावस्था में गलती (अनकॉन्शसली इन्करेक्ट) इस स्थिति से उभरकर मानव को चाहिए कि वह उससे क्या गलत हो रहा है यह जानकर, गलती का स्वीकार कर ‘कॉन्शसली इन्करेक्ट’ (Consciously Incorrect) इस स्थिति तक प्रगति करें। मानव के हाथों हो रही गलती का और उस में सुधार करना आवश्यक है इस बात का मानव को एहसास होना इस स्थिति के बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें ने अपने ०४ दिसंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
विडियो लिंक-http://www.aniruddhafriend-samirsinh.com/consciously-incorrect/
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
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‘कॉन्शसली करेक्ट’ और ‘अन्कॉन्शसली करेक्ट’
(Consciously Correct And Unconsciously Correct)
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सुधार की प्रक्रिया जीवन में घटित करने के लिए मानव को मन को अनुशासन में रखना पडता है। ‘कॉन्शसली इन्करेक्ट’ (Consciously Incorrect) इस स्थिति से ‘कॉन्शसली करेक्ट’ (Consciously correct) इस स्थिति तक मानव को जाना चाहिए। हर एक बात को ‘कॉन्शसली करेक्ट’ करने का अभ्यास निरंतर करते रहनेवाला मानव धीरे धीरे अपने आप ‘अन्कॉन्शसली करेक्ट’ (Unconsciously correct) इस स्थिति तक पहुंच जाता है। ‘कॉन्शसली करेक्ट’ और ‘अन्कॉन्शसली करेक्ट’ इन स्थितियों के बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने ०४ दिसंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
विडियो लिंक-http://www.aniruddhafriend-samirsinh.com/consciously-correct-and-unconsciously-correct/
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
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‘कॉन्शसली करेक्ट’ – २
(Consciously Correct – 2)
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सुधार की प्रक्रिया जीवन में घटित करने के लिए मानव को मन को अनुशासन में रखना पडता है। ‘कॉन्शसली इन्करेक्ट’ (Consciously Incorrect) इस स्थिति से ‘कॉन्शसली करेक्ट’ (Consciously correct) इस स्थिति तक मानव को जाना चाहिए। हर एक बात को ‘कॉन्शसली करेक्ट’ करने का अभ्यास निरंतर करते रहनेवाला मानव धीरे धीरे अपने आप ‘अन्कॉन्शसली करेक्ट’ (Unconsciously correct) इस स्थिति तक पहुंच जाता है। ‘कॉन्शसली करेक्ट’ और ‘अन्कॉन्शसली करेक्ट’ इन स्थितियों के बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने ०४ दिसंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
विडियो लिंक-http://www.aniruddhafriend-samirsinh.com/consciously-correct-2/
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
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सकारात्मक विचारों पर अपना ध्यान केन्द्रित करें
(Focus On Positive Thoughts)
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जो नहीं करना है प्राय: उसपर मानव अपना ध्यान केन्द्रित करता रहता है। जो करना चाहिए उसपर मन केन्द्रित करने के बजाय जो नहीं करना है उसपर मानव अपना ध्यान केन्द्रित करता रहता है। जिस बात पर आप अपना मन केन्द्रित (फोकस) करते हो वही बात आपके जीवन में जडें मजबूत करती है। इसलिए मानव को चाहिए कि वह सकारात्मक विचारों (Positive Thoughts) पर अपना ध्यान केन्द्रित करें सकारात्मक विचारों पर अपना ध्यान केन्द्रित करने के बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने ०४ दिसंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
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करुणा इस शब्द का अर्थ
(Meaning Of Compassion)
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करुणा इस शब्द का अर्थ है, बिना किसी शर्त के प्रेम करना और करुणा यानी कंपॅशन यही सबसे बडी ताकत होती है। करुणा के बिना किसी के लिए कुछ करते समय उसमें उपकार की भावना रहती है। लेकिन करुणा के साथ मानव जो कुछ करता है वह केवल प्रेम के कारण करता है। करुणा (कंपॅशन) इस शब्द के अर्थ के बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने २५ दिसंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
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॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
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परिपूर्णता यह भ्रम है
(Perfection Is An Illusion)
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यदि किसी अपने के साथ झगडा होता है, तब भी ‘वह मेरा अपना है’ इस बात को भूलना नहीं चाहिए। खून का रिश्ता हो या मन का, हर रिश्ते की बुनियाद प्यार की होनी चाहिए। परिवार के दो सदस्यों के बीच मतभेद हो भी जाते हैं, तब भी वे एकदूसरे के शत्रु नहीं बन जाते। इस वर्ष हमें प्रेम बढाते समय इस बात का ध्यान रखना है। मानव के कुछ न कुछ खामियां रहती है, परिपूर्णता यह भ्रम है, इस बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने २५ दिसंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
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॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
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तुलना से न्यूनगंड का निर्माण होता है – भाग १
(Comparison Leads To Inferiority Complex Part 1)
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मानव अपनी तुलना अपने परदे के पीचे के किरदार की तुलना अन्य व्यक्तियों के परदे पर के किरदार के साथ करते हैं। स्वाभाविक रूप में, इस तुलना में अन्य व्यक्तियों के परदे पर का किरदार हमारे वास्तविक जीवन के किरदार को हरा देता है। कोई भी मानव परिपूर्ण नहीं होता, यह ध्यान में रखते हुए मानव को चाहिए कि वह अपना विकास करें, दूसरों की प्रतिमा के साथ स्वयं की तुलना न करें। इस तरह की जानेवाली तुलना से न्यूनगंड (Inferiority Complex) का निर्माण होता है, इस बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने २५ दिसंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
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तुलना से न्यूनगंड का निर्माण होता है – भाग २
(Comparison Leads To Inferiority Complex Part – 2)
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मानव अपनी तुलना अपने परदे के पीचे के किरदार की तुलना अन्य व्यक्तियों के परदे पर के किरदार के साथ करते हैं। स्वाभाविक रूप में, इस तुलना में अन्य व्यक्तियों के परदे पर का किरदार हमारे वास्तविक जीवन के किरदार को हरा देता है। कोई भी मानव परिपूर्ण नहीं होता, यह ध्यान में रखते हुए मानव को चाहिए कि वह अपना विकास करें, दूसरों की प्रतिमा के साथ स्वयं की तुलना न करें। इस तरह की जानेवाली तुलना से न्यूनगंड (Inferiority Complex) का निर्माण होता है, इस बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने २५ दिसंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
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तुम शरीर नहीं हो जिसमें आत्मा है, बल्कि तुम वह आत्मा हो जिसके पास शरीर है
(You Are Not A Human With A Soul But You Are A Soul With A Human Body)
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मानव ऐसा समझता है कि शरीर में आत्मा है, लेकिन यह गलत है। सच तो यह है कि मूलत: तुम एक आत्मा हो जिसके कार्य के लिए भगवान ने तुम्हें शरीर दिया है। मानव को चाहिए कि वह स्वयं को सत्य रूप में पहचान लें। आत्मा से ही मानव के शरीर, मन आदि को सामर्थ्य मिलता है। तुम शरीर नहीं हो जिसमें आत्मा है, बल्कि तुम वह आत्मा हो जिसके पास शरीर है (You Are Not A Human With A Soul But You Are A Soul With A Human Body), इस अल्बर्ट श्वाइत्झर के वाक्य के बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने २५ दिसंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
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अचल बन जाओ और भगवान को जान लो
(Be Still And Know The God)
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दिन में थोडासा समय निकालकर शान्ति से बैठ जाइए। उस वक्त मन में जो विचार आते रहें उन्हें वैसेही आने दे। ना तो विचारों को काबू करने की कोशिश करें और ना ही मन को काबू करनेकी कोशिश करें। इस तरह अचल स्थिति मे रहनेसे आप भगवान (The God) को जान सकोगे, इस बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने २५ दिसंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥