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हरि ॐ। यह ब्लाग हमें सदगुरु श्री अनिरुद्ध बापू (डा. अनिरुद्ध जोशी) के बारें में हिंदी में जानकारी प्रदान करता है।

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सहस्र तुलसीपत्र अर्चन विशेषांक

दैनिक ‘प्रत्यक्ष’ के कार्यकारी संपादक श्री. अनिरुद्ध धैर्यधर जोशी अर्थात हम सबके चहीते सद्गुरु अनिरुद्ध बापू द्वारा लिखित, संतश्रेष्ठ श्रीतुलसीदासजी के ‘श्रीरामचरितमानस’ लिखित सुन्दरकाण्ड पर आधारित ‘तुलसीपत्र’ नामक अग्रलेखश्रृंखला का 1000वां लेख दि. 05-08-2014 को प्रकाशित हुआ। इस अग्रलेखश्रृंखला द्वारा बापू श्रद्धावानों के जीवन के सभी क्षेत्रों में विकास करने संबंधी मार्गदर्शन कर रहे हैं, दुष्प्रारब्ध से लड़ने की कलाकुशलता सिखा रहे हैं और साथ ही साथ संकटों से समर्थरूप से मुकाबला करके उन पर मात करने की कला भी सिखा रहे हैं।

आप सबको यह बताने में हमें बड़ा हर्ष हो रहा है कि,  ‘तुलसीपत्र’ अग्रलेखश्रृंखला में सद्गुरु श्री अनिरुद्ध के 1000 लेख पूरे होने के उपलक्ष्यमें अक्तूबर महीने के मासिक ‘कृपासिंधु’ का अंक ‘सहस्र तुलसीपत्र अर्चन विशेषांक’ के नाम से प्रकाशित किया जाएगा। 

इस अग्रलेखश्रृंखला में सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने चण्डिकाकुल की पहचान, वेदों में से विद्या, गुरुशिष्य का नाता, भगवान किरातरुद्र और माता शिवगंगागौरी के सात अवतार, हल्दी, आमला, जव, मोगरा जैसे वनस्पतियों की उत्पत्ति की कथा, शिव-पारवती विवाह, स्कन्द-कार्तिकेय और ब्रह्मणस्पति-गणपति की जन्मकथा, गणपतिवाहन मूषकराज कथा जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर मार्गदर्शन किया है।

परमपूज्य बापू द्वारा लिखे गए इस सहस्र तुलसीपत्रों का संपूर्ण विवरण करना असंभव है, परंतु सहस्र तुलसीपत्र अर्चन विशेषांक में डॉ. योगिंद्रसिंह जोशी इनमें से कुछ सार प्रस्तुत मुद्दों पर विवेचन करेंगे। 

इसकी वजह से बापू ने अग्रलेखशृंखला द्वारा जो अनमोल मार्गदर्शन किया है उसका एक बार फिर पुनः अवलोकन होगा। सद्गुरु श्री अनिरुद्ध अपने श्रद्धावान मित्रों के लिए जो अथक मेहनत कर रहे हैं, उनके प्रेम के प्रति यह हमारी प्रतिक्रिया होगी, उनकी मेहनत के प्रति हमारा अभिवन्दन होगा।
  
अक्तूबर 2014 में ‘कृपासिंधु’ का यह विशेषांक मराठी, हिन्दी और अंग्रेजी इन तीन भाषाओँ में एकसाथ प्रकाशित होगा, तो नवम्बर महीने में यह विशेषांक गुजराती भाषा में भी प्रकाशित किया जाएगा। सभी श्रद्धावान कृपया इस बात को नोट करें। 

- श्री. समीरसिंह दत्तोपाध्ये,
प्रकाशक, कृपासिंधु

|| हरि ॐ || श्रीराम || अंबज्ञ ||

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