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अनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में स्वतंत्रता दिवस समारोह बड़े शानदार तरीके से मनाया गया। अनिरुद्धास् अकैडमी ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट के डी.एम.वीस. द्वारा बड़ा ही प्रशंसनीय परेड पेश किया गया। मैं इसके फोटो संलग्न कर रहा हूँ।
इस समारोह में कुल १६३ डी.एम.वीस. इस परेड में शामिल हुए। परेड की जानकारी निम्नलिखित है।
- राष्ट्रीय ध्वज धारक > सुशांतसिंह राउत
- गुरुक्षेत्रम् ध्वज धारक > प्रेमावीरा कदम
- स्कन्द ध्वज धारक > प्रीतीवीरा रास्कर
- प्रमुख परेड कमाण्डर > दीपालीवीरा राउत
- प्लाटून क्र. १ - अंजलीवीरा सिंग
- प्लाटून क्र. २ - रुपेशसिंह मड़गे
- प्लाटून क्र. ३ - रविनावीरा खवले
- प्लाटून क्र. ४ - प्रवीणसिंह नाईक
- रेस्क्यू (बचाव) प्लाटून - सागरसिंह पाटील
- घोष पथक - शलाकावीरा गोवलकर
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Aniruddha Bapu |
भक्तमाता श्रीलक्ष्मी
स्वयं ऐश्वर्य स्वरूपा हैं, वहीं भक्तमाता राधाजी ऐश्वर्य की जननी हैं ।
सागर और सागर का जल, सूर्य और सूर्यप्रकाश ये जिस तरह अलग नहीं हैं, उसी
तरह राधाजी और श्रीलक्ष्मीजी अलग नहीं हैं । राधाजी और श्रीलक्ष्मी ये
भक्तमाता आह्लादिनी के ही दो स्वरूप हैं, इस बारे में पूज्य सद्गुरु श्री
अनिरुद्ध बापू ने अपने २५ मार्च २००४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस
व्हिडियो में देख सकते हैं l
विडियो लिंक -http://aniruddhafriend-samirsinh.com/radhaji-and-shreelakshmi-are-two-forms-of-bhaktamata-aalhadini/
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Aniruddha Bapu |
भक्तमाता पंकजा
श्रीलक्ष्मी कमल में विराजमान हैं । कमल यह कीचड में से ऊपर उठकर हमेशा
ऊर्ध्व दिशा में आगे बढता रहता है । इसी तरह कुमार्ग को त्यागकर सन्मार्ग
पर आगे बढनेवाले के जीवन में भक्तमाता पंकजा श्रीलक्ष्मी प्रकट होती हैं ।
भक्तमाता पंकजा श्रीलक्ष्मी के बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध
बापू ने अपने २५ मार्च २००४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में
देख सकते हैं |
विडियो लिंक -http://aniruddhafriend-samirsinh.com/bhaktamata-pankaja-shreelakshmi/
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Aniruddha Bapu |
भक्तमाता
राधाजी का एक नाम श्रीमती है । भक्तमाता राधाजी हर प्रकार का धन भक्त को
देती हैं, भौतिक धन देती हैं । इसलिए वे श्रीमती हैं। साथ ही मन को सुमति
देनेवालीं भी भक्तमाता राधाजी ही हैं । भक्तमाता राधाजी के ‘श्रीमती’ इस
नाम के बारे में सद्गुरु श्रीअनिरुद्धसिंह ने अपने २५ मार्च २००४ के प्रवचन
में बतायी, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
विडियो लिंक -http://aniruddhafriend-samirsinh.com/bhaktamata-radha-shreemati/
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Aniruddha Bapu |
आसुरी
मार्ग से हासिल की गयी संपत्ति को ऐश्वर्य नहीं कहा जाता क्योंकि वह न तो
प्राणमय होता है और ना ही वह ऊर्ध्व दिशा में ले जाने वाला होता है । उसे
पंक यानी दलदल कहते हैं और दलदल में फँसे हुए व्यक्ति का दलदल से बाहर
निकलना असंभव होता है । ऐश्वर्य और पंक के बीच का फ़र्क परम पूज्य सद्गुरु
श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने २५ मार्च २००४ के प्रवचन में स्पष्ट किया, जो
आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं |
विडियो लिंक -http://aniruddhafriend-samirsinh.com/the-difference-between-aishwarya-and-pank/
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Aniruddha Bapu |
पृथ्वी के साथ जुडा हुआ
भौतिक धन, साधनसामग्री, जो प्राणसहित होती है, विकास की ओर ले जाने वाली
होती है, उसे ही ऐश्वर्य कहा जाता है । ऐश्वर्य इस शब्द का अर्थ उस शब्द
में रहने वाले बीजों के आधार पर क्या होता है, यह बात परम पुज्य बापूने
अपने गुरुवार दिनांक २५ मार्च २००४ के हिन्दी प्रवचन में बतायी, जो आप इस
व्हिडियो में देख सकते हैं l
विडियो लिंक -http://aniruddhafriend-samirsinh.com/the-meaning-of-aishwarya
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जो
भी भगवानमें विश्वास करते है, वो मानते है की, भगवान के पास हमे सब कुछ
देने की शक्ति है। भगवान के देने की शक्तिही राधाजी है। राधाजी भक्तोंको
आराधना करने के लिए प्रेरित करती है। राधाजी हमे आनंद कैसे पाना है ये भी
सिखाती है। इस बारेमें परम पुज्य बापूने अपने गुरुवार दिनांक २५ मार्च २००४
के हिन्दी प्रवचन मे मार्गदर्शन किया, वह आप इस व्हिडीओमें देख सकते है।
विडियो लिंक -http://aniruddhafriend-samirsinh.com/radha-the-divine-treasure
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चाहे सुख हो या दुख,
मानव को किसी भी स्थिति में भगवान से दूरी बढानी नहीं चाहिए । जीवन के हर
मोड पर, कदम कदम पर भगवान से जुडे रहना जरूरी है । मानव के जीवनरूपी वर्तुल
(सर्कल) की केन्द्रबिन्दु भगवान ही रहनी चाहिए । जो भगवान का हमेशा चिन्तन
करता है, उसके योगक्षेम की चिन्ता भगवान करते हैं । बुद्धि से भगवान की
पर्युपासना करने की ताकत राधाजी देती हैं, इस बारे में परमपूज्य सद्गुरु
अनिरुद्ध बापू ने अपने गुरूवार दिनांक २६ फरवरी २००४ के हिंदी प्रवचन में
मार्गदर्शन किया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
विडियो लिंक -http://aniruddhafriend-samirsinh.com/importance-of-chintan
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उपासना शब्द का अर्थ
हैं भगवान के नज़दीक बैठना। याने भगवान के गुणों के नज़दीक बैठना। मेरे मन
को भगवान के नज़दीक बिठाने की कोशिश करना, कम से कम मेरी बुद्धी पूरी तरह से
भगवान के शरण में लगानाl इस बारे में परमपूज्य सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने
अपने गुरूवार दिनांक २६ फरवरी २००४ के हिंदी प्रवचन में मार्गदर्शन किया वह
आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
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जब तक हम बुद्धी का अपराध
नहीं करते तब तक प्राणो से ताकत आती रहती हैंl जबभी बुद्धी का अपराध करते
हैं तो प्राणो की ताकत हम तक आ नहीं पहुचती l हमारे नीतिमन को ताकतवर बनाने
के लिए बुद्धी का इस्तेमाल करके हमें भगवान के शरण जाना चाहिए, इस बारे
में परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने गुरूवार दिनांक २६ फरवरी
२००४ के हिंदी प्रवचन में मार्गदर्शन किया वह आप इस व्हिडियो में देख सकते
हैं l
विडियो लिंक -http://aniruddhafriend-samirsinh.com/one-should-seek-gods-refuge
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श्रद्धावान को स्वयं के जीवन की कभी भी घृणा नहीं करनी चाहिए । मेरा जीवन यह मेरे भगवान की देन है’, यह बात हर एक श्रद्धावान को याद रखनी चाहिए । भगवान की देन कभी भी गलत, घातक, अहितकारी, दुखदायी नहीं हो सकती । भगवान पर भरोसा करनेवाले श्रद्धावान को जीवन को सकारात्मक नजरिये से देखना चाहिए, इस बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु ने अपने गुरूवार दिनांक २४ जुलाई २०१४ के हिंदी प्रवचन में मार्गदर्शन किया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l