चाहे सुख हो या दुख,
मानव को किसी भी स्थिति में भगवान से दूरी बढानी नहीं चाहिए । जीवन के हर
मोड पर, कदम कदम पर भगवान से जुडे रहना जरूरी है । मानव के जीवनरूपी वर्तुल
(सर्कल) की केन्द्रबिन्दु भगवान ही रहनी चाहिए । जो भगवान का हमेशा चिन्तन
करता है, उसके योगक्षेम की चिन्ता भगवान करते हैं । बुद्धि से भगवान की
पर्युपासना करने की ताकत राधाजी देती हैं, इस बारे में परमपूज्य सद्गुरु
अनिरुद्ध बापू ने अपने गुरूवार दिनांक २६ फरवरी २००४ के हिंदी प्रवचन में
मार्गदर्शन किया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
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