-
इस्राइल के आक्रामक हवाई हमले के बाद – गाजापट्टी में आतंकवादी गट से संघर्ष बंदी को मंजूरी
जेरूसलम: इस्राइल एवं हमास में सन २०१४ में हुए युद्ध के बाद गाजापट्टी में फिर एक बार नए संघर्ष का भड़का होने की आशंका जताई जा रही है। शनिवार को इस्राइल के गाजापट्टी पर किये आक्रामक हवाई हमले के बाद गाजापट्टी के हमास एवं इस्लामिक जिहाद इन दोनों आतंकवादी संगठनों ने इस्राइल के साथ संघर्षबंदी को मंजूरी दी है। तथा संघर्षबंदी के परिणाम वास्तव में जमीन पर दिखाई नहीं देते, तब तक इस्राइल की कार्रवाई शुरू रहेगी ऐसी चेतावनी इस्राइल के नेताओं ने दी है।
शुक्रवार की रात गाजापट्टी के हमास एवं अन्य आतंकवादी संगठनों ने इस्राइल में जोरदार रॉकेट हमले किए थे। गाजापट्टी तथा इस्राइल के यंत्रणा ने दिए जानकारी के अनुसार लगभग २०० रॉकेट हमले किए गए हैं। इन हमलों में लगभग ३० हमले इस्राइल के आयर्न डोम यंत्रणा ने नाकाम करने का दावा इस्राइल ने किया है। इन हमलों में इस्राइल के सदेरॉत शहर में ४ लोग जख्मी होने की बात कही जा रही है।
इस्राइल की तरफ से हमास की सुरंगें और प्रशिक्षण अड्डों पर जोरदार हवाई हमले; गाझा से हुए रॉकेट हमलों को प्रत्युत्तर
जेरुसलेम – शनिवार की सुबह इस्राइल के लड़ाकू विमानों ने गाझापट्टी में स्थित हमास की सुरंगों और प्रशिक्षण अड्डों पर जोरदार हवाई हमले किए। शुक्रवार को इस्राइल की सीमा के पास हुए प्रदर्शन और गाझापट्टी से हुए रॉकेट हमले इनको प्रत्युत्तर देने के लिए यह हमले किए गए हैं, ऐसा दावा इस्राइल के लष्कर ने किया है। हवाई हमलों में ‘काईट बम’ बनाने वाले केंद्र और प्रशिक्षण अड्डे लक्ष्य किए गए हैं और किसी भी प्रकार की जीवित हानी न होने की जानकारी भी इस्राइली रक्षा बलों ने दी है।
पिछले तीन महीनों से हमास के नेतृत्व में इस्राइल की सीमा के पास प्रदर्शन शुरू हैं। इन प्रदर्शनों के साथ साथ गाझा के पैलेस्टिनियों की तरफ से ‘काईट बम’ और ‘बलून बम’ के हमले बढ़ गए हैं। पिछले कुछ हफ़्तों से हमास ने इस्राइल में वापस रॉकेट हमले भी शुरू किए हैं|
शुक्रवार की रात इस्राइल के पाँच इलाकों में करीब ३१ से अधिक रॉकेट हमले किए गए हैं। इन हमलों में किसी भी तरह का जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है। कुछ रॉकेट हमले इस्राइल के ‘आयर्न डोम’ इस यंत्रणा की सहायता से नाकाम किए गए हैं, ऐसा दावा भी इस्राइल ने किया है।
इस्राइल ने सीरियन लष्कर का ड्रोन गिराया
जेरुसलेम – इस्राइल की कब्जे वाली गोलान पहाड़ियों में घुसपैठ करने वाले सीरियन लष्कर का ड्रोन गिराने का दावा इस्राइल के लष्कर ने किया है। ड्रोन की घुसपैठ की वजह से गोलान इलाके में तनाव निर्माण होने की वजह से यह कार्रवाई करनी पड़ी ऐसा इस्राइल के लष्कर ने कहा है।
इस्राइल के लष्कर ने दी जानकारी के अनुसार, बुधवार दोपहर को एक ड्रोन ने गोलान पहाड़ियों की सीमा के अन्दर १० किलोमीटर तक घुसपैठ की थी। जॉर्डन की दरी पार करके घुसपैठ करने वाले इस ड्रोन ने गोलान इलाके में १६ मिनट तक पहरा दिया। लष्करी कार्रवाई करने से पहले यह ड्रोन रशिया का है या नहीं, इसकी जाँच करने के बाद ही इस्राइल ने ‘पैट्रियोट’ मिसाइल भेदी यंत्रणा की सहायता से ड्रोन को नीचे गिराया। गैलिली के समुन्दर में इस ड्रोन के टुकड़े गिरने की जानकारी लष्कर ने दी है।
इससे पहले रशियन ड्रोन ने इस्राइल की सीमारेखा के पास से उड़ान भरी थी। इस पर इस्राइल ने नाराजगी जताकर, इसके आगे अपने देश की सीमा में किसी भी देश ने घुसपैठ की तो कार्रवाई करने की चेतावनी इस्राइल ने दी थी। ऐसे में इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू रशिया के दौरे पर गए हैं। इस पृष्ठभूमि पर बुधवार को इस्राइल की सीमारेखा में घुसपैठ करने वाला ड्रोन रशिया का तो नहीं है, इसकी जाँच इस्राइल के लष्कर ने की।
सीरिया स्थित ईरान के ‘टी-४’ अड्डे पर इस्रायल का और एक हवाई हमला – सीरियन मीडिया का इल्जाम
बैरुत/ दमास्कस – सिरियन सेना एवं रशियन विमानों ने इस्रायल की सीमा के पास दारा भाग में कार्यवाही शुरु थी। उसी समय रविवार को सिरिया के होम्स प्रांत में ईरान के टी-४ हवाई अड्डे पर जोरदार हमला हुआ । इस्रायल के लड़ाकू विमानों ने यह हमला करने का आरोप सिरियन माध्यम कर रहे हैं। पिछले ५ महीनों में टी-४ पर हुआ यह तिसरा हमला हैं, ऐसा माध्यमों का कहना हैं ।सिरियन माध्यमों के इशारों पर इस्रायल ने प्रतिक्रिया नहीं दी है।
सिरिया के सरकारी वृत्त संस्था द्वारा दिए जानकारी के अनुसार रविवार को होम्स प्रांत के तियास में टी-४ हवाई अड्डे पर हमले हुए हैं। अब तक लेबनॉन के सीमा का उपयोग करके इस्रायल के लड़ाकू विमानों ने जॉर्डन के सीमा से यह हमले करने का दावा सिरियन वृत्त संस्था ने किया है। कुल मिलाकर ६ मिसाइल टी-४ हवाई अड्डे पर गिरने की जानकारी सामने आ रही है। तथा सिरियन सेना के हवाई सुरक्षा यंत्रणा ने कई मिसाइलों के हमले रोकने का दावा सिरियन माध्यम कर रहे हैं।
था इस्रायल के इस हमले में किसी भी प्रकार की जीवित हानि ना होने की बात सिरियन माध्यमों ने कही है। तथा इस हमले में टी-४ हवाई अड्डे पर तैनात ईरानी और सिरिया समर्थक जवान ढेर होने की आशंका ब्रिटन स्थित मानवाधिकार संगठनों ने व्यक्त की है। टी-४ हवाई अड्डे पर हुए हमले के बारे में सिरियन सेना ने तथा सिरियन माध्यमों के इशारों पर इस्रायल ने प्रतिक्रिया देने की बात टाली है।
-
अमरिका को छोड़कर अन्य देश ईरान परमाणु अनुबंध का पालन करेंगे – रशियन विदेश मंत्री का आश्वासन
व्हिएन्ना – ईरान के साथ हुए परमाणु अनुबंध का पालन करने के लिए अमरिका छोड़कर अन्य सभी देश और ईरान के बीच स्वतंत्र यंत्रणा निर्माण की जाएगी और सभी देश उसे लागू करेंगे, ऐसा आश्वासन रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव ने दिया है। गुरुवार को व्हिएन्ना में ईरान और ईरान परमाणु अनुबंध के अमरिका छोड़कर अन्य देशों की स्वतंत्र बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में अमरिका की आलोचना करते हुए सभी सहभागी देशों ने ईरान के साथ का व्यापार और अन्य प्रावधानों का पालन करने का निर्णय लिया है। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को सहकार्य करने वाले देशों के खिलाफ प्रतिबन्ध लगाने की चेतावनी इससे पहले ही दी थी।
व्हिएन्ना में हुई बैठक में ईरान के साथ साथ रशिया, चीन, ब्रिटन, फ़्रांस, जर्मनी और यूरोपीय महासंघ के विदेश मंत्री उपस्थित थे। अमरिका ईरान के साथ के परमाणु अनुबंध से बाहर निकलने के बाद अन्य सभी देशों ने परमाणु अनुबन्ध कायम रखने के लिए जोरदार कोशिशें शुरू की हैं।
ईरान से होर्मूझ खाड़ी की सुरक्षा के लिए अमरिका तैयार – अमरिकी नौसेना के सेंट्रल कमांड की घोषणा
वॉशिंग्टन: ईरान का तेल निर्यात नहीं हो सकता, तो होर्मूझ की खाड़ी से अन्य किसी भी देश के तेल की यातायात नहीं होने देंगे, ऐसी धमकी ईरान ने दी थी| दुनिया भर से इस पर गुँज उठ रही है| अगर ईरान सच में होर्मूझ के खाड़ी में रोक लगाई तो तेल के दाम २५० डॉलर्स प्रति बॅरल तक जाएंगे, ऐसा डर कुछ लोगों ने जताया है| लेकिन अमरिका होर्मूझ खाड़ी की सुरक्षा के लिए तैयार है, ऐसी घोषणा कर अमरिका ने सभी को आश्वासन किया है|
अमरिकी नौसेना की ‘सेंट्रल कमांड’ जिनके पास पर्शियन खाड़ी से ओमान की खाड़ी, रेड सी और हिंदी महासागर तक की व्यापारी यातायात साथही हितसंबंधितों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, उन्होंने होर्मूझ खाड़ी की सुरक्षा की घोषणा की| अंतर्रराष्ट्रीय तेल व्यापार में से ३० प्रतिशत यातायात पर्शियन खाड़ी के होर्मूझ के खाड़ी से की जाती है| इस पृष्ठभूमी पर ‘अंतर्रराष्ट्रीय व्यापार और समुद्री यातायात के स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए अमरिका साथही अमरिका के दोस्त राष्ट्र तैयार है’, ऐसा अमरिकी नौसेना के सेंट्रल कमांड के प्रवक्ता कॅप्टन बिल अर्बन ने घोषित किया|
ईरान के राष्ट्राध्यक्ष के आदेश पर – होर्मुझ के खाड़ी क्षेत्र में ईंधन परिवहन को रोकेंगे – ईरान के कुद्स कोर्स के जनरल सुलेमानी
तेहरान: अमरिका के प्रतिबंधों का झटका ईरान के ईंधन निर्यात को लग रहा है। पर अगर ईरान ने ईंधन दूसरे देशों तक नहीं पहुंचाना है, तो दूसरे देशों के ईंधन का परिवहन भी नहीं होने देंगे, ऐसा कहकर ईरान के राष्ट्राध्यक्ष ने होर्मुझ के खाड़ी क्षेत्र में ईंधन परिवहन रोकने की धमकी दी थी। यह धमकी वास्तव में लाने की हिम्मत हमारे पास है, ऐसा ईरान के कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी ने कहा है।
यूरोप के दौरे पर होनेवाले ईरान के राष्ट्राध्यक्ष रोहानी ने कुच घंटों पहले अमरिका को संबोधित करके यह धमकी दी थी। अमरिका ने ईरान के ईंधन की निर्यात रोककर उनका नुकसान करने का प्रयत्न किया, तो होर्मुझ की खाड़ी क्षेत्र अमरिका के अरब मित्र देशों के ईंधन निर्यात भी बंद होगी, ऐसी चेतावनी रोहानी ने दी थी। फिलहाल इराक और सीरिया में कार्यान्वित होनेवाले ईरान समर्थक गट का नेतृत्व करनेवाले सुलेमानी ने राष्ट्राध्यक्ष रोहानी की भूमिका का स्वागत किया है।
यूरोपीय देश ईरान के साथ व्यापार करना रोक दें अन्यथा राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के क्रोध का सामना करें – अमरिकन सिनेटर न्यूट गिंगरीच
पॅरिस – ‘अमरिका के यूरोपीय मित्र देश ईरान के साथ कर रहे व्यापारी सहकार्य तुरंत रोक दे और ईरान की खूनी राजवट को सत्ता से बेदखल करने के लिए अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की सहायता करें। अन्यथा यूरोपीय देश ट्रम्प के क्रोध का सामना करें’, ऐसी चेतावनी अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के समर्थक और वरिष्ठ सिनेट सदस्य न्यूट गिंगरीच ने दिया है।
पॅरिस में आयोजित किए गए ‘फ्री ईरान रैली’ में बोलते समय गिंगरीच ने यूरोपीय देशों को यह सन्देश दिया है। ईरान के साथ सहकार्य को लेकर ट्रम्प ने इसके पहले ही चीन को चेतावनी दी थी। यूरोपीय देश ट्रम्प की मांग के अनुसार ईरान के साथ के संबंध से बाज नहीं आए तो चीन के बाद यूरोपीय देशों पर ही ट्रम्प की कार्रवाई हो सकती है, ऐसा दावा गिंगरीच ने किया है।
उसीके साथ ही अमरिका की ईरान के साथ नीति बदल गई है, इसकी गिंगरीच ने याद दिलाई है। ‘दो सालों पहले ईरान की राजवट को पैसों की आपूर्ति करने वाले और ईरान विषयक आर्थिक प्रतिबन्ध शिथिल करने वाले अमरिकी प्रशासन में ईरान पर कार्रवाई करने का साहस नहीं था।
-
अफ्रीका महाद्वीप में लष्करी प्रभाव बढाने के लिए चीन की गतिविधियाँ
बीजिंग – मंगलवार से बीजिंग में ‘चाइना अफ्रीका डिफेन्स एंड सिक्यूरिटी फोरम’ की बैठक शुरू हुई है। इस फोरम का आयोजन चीन के रक्षा विभाग ने किया है। पिछले दो दशकों में अफ्रीका में सिर्फ व्यापार और आर्थिक हितसंबंध बनाए रखने के लिए पहल करने वाले चीन ने अफ्रीका महाद्वीप की लष्करी और सुरक्षा विषयक नीतियों में खुलकर पहली बार दिलचस्पी दिखाई है। चीन के रक्षा विभाग की तरफ से हो रहा इसका आयोजन ध्यान आकर्षित करने वाला साबित हुआ है। इस फोरम की पृष्ठभूमि पर चीन की तरफ से अफ्रीका महाद्वीप में लष्करी प्रभाव बढाने के लिए शुरू की गई गतिविधियों का मुद्दा अग्रणी है।
पिछले वर्ष अगस्त महीने में चीन ने ‘जिबौती’ में अपना पहला रक्षा अड्डा कार्यान्वित किया था। तब चीन ने उसका इस्तेमाल केवल नौसेना और अन्य रक्षा बलों को अवश्य सामग्री की आपूर्ति करने के लिए और उनके प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा, ऐसा कहकर यह रक्षा अड्डा नहीं होने का दावा किया था। लेकिन उसके बाद इस इलाके में लष्करी अभ्यास और बड़ी मात्रा में लष्करी टुकडियां तैनात करके इसका इस्तेमाल रक्षा अड्डे के तौर पर ही किया जाएगा, यह स्पष्ट हुआ था।
तिब्बत में चीनी लष्कर का युद्धाभ्यास
बीजिंग – चीन ने तिब्बत में युद्धाभ्यास शुरू करके भारत को चेतावनी दी है। इस युद्धाभ्यास की जानकारी चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने दी है। सन १९६२ के युद्ध में चीन ने भारत पर जीत पाई थी। लेकिन इस जीत के फल चीन को नहीं खाने मिले, इसका कारण चीन की सेना को रसद की आपूर्ति करने के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थी, ऐसा ग्लोबल टाइम्स ने युद्धाभ्यास के बारे में दी खबर में कहा है।
ग्लोबल टाइम्स की खबर के अनुसार मंगलवार के दिन चीनी लष्कर ने यह युद्धाभ्यास किया है। लगभग ४५०० मीटर ऊंचाई पर स्थित क्विंटाई-तिब्बत इस पठार पर इस अभ्यास का आयोजन किया गया था। यहाँ की दुर्गम भौगोलिक रचना और कठीन वातावरण से यहाँ सैनिकों को रसद और लष्करी सामग्री की आपूर्ति करना कठिन हो जाता है। इस आपूर्ति में आने वाली रुकावटें दूर करके ऐसे दुर्गम इलाकों में भी तेजी से रसद की आपूर्ति करने की क्षमता चीन विकसित कर रहा है।
सदर अभ्यास में लष्कर के साथ चीन की अन्य सरकारी यंत्रणा, स्थानीय कंपनियों की भी सहायता ली गई थी है। तिब्बत की स्थानीय कंपनियों की तरफ से इंधन और सरकारी यंत्रणाओं का इस्तेमाल अनाज की आपूर्ति के लिए किया गया। लष्करी और नगरी सहकार्य की दिशा में चीन ने रखा यह कदम महत्वपूर्ण साबित होता है। आने वाले समय में मजबूत लष्कर निर्माण का लक्ष्य हासिल करने के लिए चीन की यह व्यूहरचना है’, ऐसा विश्लेषकों ने दावा किया है।
चीन दुनिया भर के देशों को कर्ज के जाल में फंसा रहा है – अमरिकी दैनिक की रिपोर्ट
वॉशिंग्टन/बीजिंग: श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाकर चीन ने, भारत की सीमा के सिर्फ कुछ ही मीलों की दूरी पर स्थित सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण जगह पाने में सफलता प्राप्त की है। ऐसा दावा अमरीका के अग्रणी दैनिक ने किया है। पिछले वर्ष के अंत में एक अनुबंध के अनुसार, श्रीलंका की सरकार ने ‘हंबंटोटा’ बंदरगाह और उसके पास की १५ हजार एकड़ जगह चीन को ९९ सालों के लिए दी है। यह घटना मतलब चीन दुनिया के विविध देशों को कर्ज के जाल में फंसाकर अपना स्वार्थ पाने के लिए दबाव डाल रहा है, इसका स्पष्ट उदहारण है, इस बात की तरफ इस रिपोर्ट में ध्यान आकर्षित किया गया है।
अमरिका के ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने हाल ही में श्रीलंका के हंबंटोटा पर चीन के कब्जे के सन्दर्भ में स्वतंत्र लेख प्रसिद्ध किया था। इस लेख में, चीन ने श्रीलंकन अर्थव्यवस्था की कमजोरी का फायदा अपने सामरिक हितसंबंध के लिए किस तरह से करके लिया है, इसका पर्दाफाश किया है। हंबंटोटा बंदरगाह व्यापारी और व्यवहारिक दृष्टिकोण से सफल होने वाला नहीं है, इस वजह से भारत ने उसे वित्तीय सहायता देने से इन्कार किया था। लेकिन श्रीलंका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष महिंदा राजपक्षे ने उसके लिए चीन की तरफ माँग करने के बाद आर्थिक सहायता को तुरंत मंजूरी दी गई।
चीन की तरफ से वैश्विक लोकतंत्र को खतरा है – तैवान के राष्ट्राध्यक्ष की आलोचना
तैपेई: ‘चीन की तरफ से सिर्फ तैवान की सुरक्षा के लिए ही खतरा नहीं है, बल्कि इस क्षेत्र को और इससे भी ज्यादा वैश्विक लोकतंत्र को खतरा है। क्योंकि आज चीन जो कुछ भी तैवान के साथ कर रहा है, वैसा ही दुनिया के अन्य किसी भी देश के साथ हो सकता है। चीन के विस्तारवाद से अन्य देशों को भी उतना ही खतरा है’, ऐसी चेतावनी तैवान की राष्ट्राध्यक्ष ‘त्साई इंग-वेन’ ने दी है। उसीके साथ ही चीन को रोकने के लिए अन्य देश तैवान के साथ एकजुट हो जाएं, ऐसी पुकार तैवान की राष्ट्राध्यक्ष ने दी है।
आजादी की सुरक्षा के लिए चीन के सामने खड़े रहने का समय आ गया है’, ऐसी घोषणा राष्ट्राध्यक्ष ‘त्साई’ ने एक अंतर्राष्ट्रीय वृत्तसंस्था को दिए हुए साक्षात्कार में की है। ‘तैवान की तरह चीन की तरफ से अन्य देशों का लोकतंत्र, स्वातंत्र्य और व्यापारी स्वातंत्र्य अबाधित रह नहीं सकता है। लेकिन अगर समान लोकतंत्र के मूल्यों को संभालकर रखने वाले सभी देश लोकतंत्र और स्वातंत्र्य के बचाव के लिए एक हुए तो चीन का बढ़ता एकाधिकार तंत्र रोका जा सकता है’, ऐसा भरोसा त्साई ने जताया है।
इसके अलावा सोमवार को राजधानी तैपेई में आयोजित ‘ग्लोबल हक सॉलिडेटरी ऑफ़ डेमोक्रेसी’ इस परिसंवाद में बोलते समय भी त्साई ने चीन के खिलाफ अन्य देशों को एक होने का आवाहन किया।