यूरोप चीन और रशिया ईरान को वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे – जर्मन अखबार का दावा
बर्लिन – अमरिका ने जारी किए कठोर प्रतिबंधों से ईरान की रिहाई के लिए यूरोप चीन और रशिया ने ईरान को वित्तीय सहायता प्रदान करने के प्रयत्न शुरू किये है। आनेवाले हफ्ते में व्हिएन्ना में होनेवाले बैठक में इस बारे में निर्णय लिया जाएगा ऐसा, दावा जर्मनी के एक अखबार ने किया है। अमरिका के इन प्रतिबंधों को आवाहन देने के लिए यूरोपीय महासंघ ने इसके पहले ही ईरान के साथ यूरोप में व्यवहार करने के संकेत दिए हैं।
पिछले हफ्ते में राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प इनके नेतृत्व में अमरिका ने ईरान पर नए प्रतिबंध की घोषणा की है। इन प्रतिबंधों की वजह से ईरान से साथ व्यापार करने वाले यूरोपीय देशों को जबरदस्त झटका लगा है। इन प्रतिबंधों के चंगुल से बाहर निकलने के लिए यूरोपीय देशों ने अलग-अलग स्तर पर प्रयत्न शुरू किए हैं।
अमरिका ईरान के खिलाफ वैश्विक मोर्चा तैयार करेगा – अमरिका के विदेश मंत्रालय की घोषणा
वॉशिंग्टन: समविचारी देशों को एक करके अमरिका ईरान के खिलाफ मोर्चा खोलने वाला है, यह घोषणा अमरिका के विदेश मंत्रालय ने की है। इस दिशा में अमरिका के विदेश मंत्री माईक पॉम्पिओ ने कोशिश भी शुरू की है। अमरिका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ‘हिदर न्युअर्ट’ ने ईरान के खिलाफ वैश्विक मोर्चे की जानकारी दी है।
ईरान के खिलाफ इस वैश्विक मोर्चे में कौनसे देश शामिल होंगे, इसकी जानकारी न्युअर्ट ने नहीं दी है। लेकिन ईरान के संभावित खतरे का उल्लेख करके यह मोर्चा ईरान के खिलाफ होगा, ऐसा न्युअर्ट ने स्पष्ट किया है। ‘ईरान की खतरनाक गतिविधियों से सिर्फ खाड़ी को नहीं बल्कि वैश्विक सुरक्षा को खतरा है। ईरान की राजवट, परमाणु कार्यक्रम और आतंकवाद समर्थक नीतियों के बारे में वास्तववादी दृष्टिकोण से देखने वाले देशों को एक करके अमरिका उनका मोर्चा बनाने वाला है’, यह जानकारी न्युअर्ट ने दी है।
‘अमरिका बना रहा यह वैश्विक मोर्चा ईरान के खिलाफ नहीं होगा। बल्कि ईरान की राजवट और इस राजवट की गलत नीतियों के खिलाफ यह मोर्चा होगा। अमरिका हमेशा ईरानी जनता के पीछे रहेगा’, ऐसा न्युअर्ट ने कहा है। लेकिन यह वैश्विक मोर्चा ईरान के खिलाफ लष्करी कार्रवाई करेगा क्या, इस बारे में न्युअर्ट ने बात टाली है। लेकिन ईरान की खामेनी-रोहानी राजवट की तुलना अमरिका के लष्करी मोर्चे ने इराक और सीरिया से बेदखल किए ‘आईएस’ की राजवट से की है।
रशिया के यूरेशियन इकनोमिक झोन में ईरान का प्रवेश; ईरान के ईईयू करार पर हस्ताक्षर
अस्ताना – अमरिका ने ईरान के साथ परमाणु करार से बाहर निकलने का निर्णय लेने के बाद ईरान ने रशिया से सहयोग अधिक दृढ़ करने का निर्णय लिया है। गुरुवार को ईरान ने रशिया पुरस्कृत यूरेशियन इकनॉमिक यूनियन के साथ मुक्त आर्थिक क्षेत्र में शामिल होने के लिए महत्वपूर्ण करार पर हस्ताक्षर किए हैं। आनेवाले समय में अमरिका से ईरान पर कठोर प्रतिबंध जारी किए जाएंगे और इस पृष्ठभूमि पर रशिया के साथ सहयोग अधिक मजबूत होंगे, ऐसी गवाही ईरान के वरिष्ठ अधिकारियों ने दी।
ईरान के वरिष्ठ अधिकारी एवं यूरेशियन इकनोमिक कमीशन के बोर्ड के प्रमुख तिग्रान सर्गस्यान इन की अस्थाना में हुई बैठक में यूरेशियन इकनॉमिक यूनियन के मुख्य आर्थिक क्षेत्र के बारे में करार पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह करार ३ वर्षों के लिए है और इस दौरान ईरान के साथ चर्चा पुरी करके इरान को यूरेशियन इकनॉमिक यूनियन के मुख्य आर्थिक क्षेत्र में हमेशा के लिए शामिल किया जाने वाला है।
अमरिकी प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि पर – ईरान-ब्रिटन के बीच इंधन विषयक अनुबंध
तेहरान/लंडन: अमरिका ने ईरान पर लादे कठोर प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि पर ईरान और ब्रिटन ने महत्वपूर्ण इंधन अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। अमरिका ने यूरोपियन कंपनियों को ईरान से बाहर निकलने के लिए छः महीनों का अवधि दिया है, ऐसी स्थिति में ब्रिटिश कंपनी ने ईरान के साथ नया इंधन अनुबंध करना आश्चर्यचकित करने वाली बात है। ईरान के इंधन मंत्री बिजन झांगनेह ने ब्रिटन के साथ हुए अनुबंध की जानकारी दी है और अन्य यूरोपियन कंपनियां ईरान को आवश्यक समर्थन देंगी, ऐसी अपेक्षा व्यक्त की है।
अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले हफ्ते ईरान के साथ के परमाणु अनुबंध से अमरिका के बाहर निकलने की घोषणा की थी। उसके बाद ट्रम्प ने ईरान पर कठोर प्रतिबन्ध घोषित करके, ईरान के साथ व्यवहार करने वाली सभी विदेशी कंपनियों को निर्णायक चेतावनी दी थी। ईरान के इंधन और अन्य क्षेत्रों में बड़ा निवेश करने वाली यूरोपीय कंपनियों को छः महीनों में व्यवहार बंद करके ईरान से बाहर निकलने की सूचना भी दी गई है।
मालदीव के सागरी क्षेत्र में भारत और मालदीव के नौदल की संयुक्त गश्ती
माले: हिंद महासागर में मालदीव के विशेष आर्थिक क्षेत्र में भारत और मालदीव के नौदल संयुक्त गश्ती करने वाले हैं पिछले कई वर्षों में मालदीव पर चीन का प्रभाव बढ़ा है। तथा ३ महीनों में मालदीव में इमरजेंसी के बाद यह देश चीन के पक्ष से अधिक झुकता दिखाई दे रहा है। इस पृष्ठभूमि पर दोनों देशों के नौदल के संयुक्त गश्ती का यह निर्णय महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मालदीव के सागरी क्षेत्र में भारतीय नौदल की आयएनएस सुमेधा यह युद्धनौका संयुक्त गश्ती में शामिल हुई है। तथा वहां भारत और मालदीव के नौदल का संयुक्त युद्धाभ्यास भी होनेवाला है। संयुक्त गश्ती और युद्धाभ्यास के माध्यम से मालदीव के ईईझेड सुरक्षा उपलब्ध कराने का भारतीय नौदल का प्रयत्न होने की बात नौदल के प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा ने कही है।
पनडुब्बी से परमाणु हमला करने की क्षमता प्राप्त किये देशों में भारत का समावेश
नई दिल्ली: पनडुब्बियों से परमाणु शस्त्र दागनेवाला भारत यह दुनिया का पांचवा देश बना है। भारतीय रक्षा संशोधन एवं विकास संस्था ने (डीआरडीओ) ने विकसित किए बीओ-५ यह मिसाइल के परीक्षण पूर्ण हुए हैं और यह मिसाइल भारतीय नौसेना की ‘अरिहंत’ इस परमाणु पनडुब्बी पर तैनात होंगे, ऐसा वृत्त है। परमाणु विस्फोटक ले जाने की क्षमता होनेवाले मिसाइलों की तैनाती की वजह से भारत के परमाणु प्रति हमला करने की क्षमता में बड़ी तादाद में बढ़त हुई है। दिल्ली में डीआरडीओ का वार्षिक पुरस्कार समारोह हालही में संपन्न हुआ है। उस समय रक्षामंत्री निर्मला सीतारामनउपस्थित थे।
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार वायुसेना अंदमान निकोबार में लडाकू विमान तैनात करेगी
नई दिल्ली: दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार अंदमान-निकोबार में स्थित भारतीय वायुसेना के अड्डों पर लडाकू विमान तैनात किए जाने वाले हैं। बदलती वैश्विक परिस्थिति और हिन्द महासागर में चीन की बढती गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर यह फैसला लिया गया है। इस वजह से मलाक्क्का, सुन्दा, लोम्बोक इन सामुद्रधुनियों के साथ साथ हिन्द महासागर के पश्चिम में स्थित क्षेत्र में भारत की रक्षा सिद्धता बढने वाली है। लड़ाकू विमानों की तैनाती के लिए ‘कार निकोबार’ और ‘कॅम्पबेल’ खाड़ी के पास स्थित वायुसेना के अड्डों को चुने जाने की खबर है।