-
|
Aniruddha Bapu |
सजल मूल जिन्ह सरितन्ह नाहीं …
(Sajal Mool Jinha Saritanha Naahi)
गंगाजी जैसी बारह महीने बहनेवाली नदियों का मूल सजल होने के कारण वे कभी नहीं सूखतीं। इसी तरह भगवान का नाम जिस मानव की जीवन-नदी का मूल होता है, उसका जीवन कभी नहीं सूखता। वहीं, जिन्हें केवल बरसात का ही आसरा है, वे वर्षा के बीत जाने पर फिर तुरंत ही सूख जाती हैं। भगवान से विमुख होकर जीने वाले मनुष्य की हालत ‘असजल मूल’ नदियों की तरह ही होती है, इस बात को ध्यान में रखना चाहिए। सजल मूल जिन्ह सरितन्ह नाहीं। बरषि गएँ पुनि तबहिं सुखाहीं॥ इस सुन्दरकाण्ड की चौपाई के बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें ने अपने १२ जनवरी २००६ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
-
|
Aniruddha Bapu |
दिव्य शक्ति (Divya Shakti)
कार्य की दृष्टि से शक्ति के विधायक और विघातक इस तरह दो प्रकार माने जाते हैं। मानव के जीवन में विधायक शक्ति को कार्यान्वित कर विश्व की विघातक शक्तियों को कम करने का काम दिव्यशक्ति (Divya Shakti) करती है। ‘जिससे पवित्रता और आनन्द उत्पन्न होता है, वही दिव्य है’ और जो इस दिव्यता को प्रदान करती है उसे देवी कहते हैं। ‘राधा’ यह इस दिव्यत्व का मूल स्रोत है। दिव्यशक्ति (Divya Shakti) यानी क्या, इसके बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें ने अपने १२ जनवरी २००६ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
-
|
Aniruddha Bapu |
विचार के विधायक और विघातक ये दो पहलू– भाग २(Constructive And Destructive Aspects Of Thought-Part 2)
हर एक विचार (Thought) की, हर एक बात की मानव के जीवन में एक भूमिका रहती है। विचार (Thought) या कोई बात ये विधायक और विघातक दो प्रकार के रहते हैं। वह विचार या बात विधायक या विघातक इनमें से किस रूप में कार्य करेगी, यह मानव अपनी कर्मस्वतन्त्रता का उपयोग किस तरह करता है, इसपर निर्भर करता है। भगवान का स्मरण करते हुए विवेक के साथ मानव को कर्मस्वतन्त्रता का उपयोग करना चाहिए। हर एक विचार के विधायक और विघातक दो पहलू होते हैं, इसके बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने १२ जनवरी २००६ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
-
|
Aniruddha Bapu |
विचार के विधायक और विघातक ये दो पहलू– भाग-१ (Constructive And Destructive Aspects Of Thought-Part 1)
हर एक विचार (Thought) की, हर एक बात की मानव के जीवन में एक भूमिका रहती है। विचार या कोई बात ये विधायक और विघातक दो प्रकार के रहते हैं। वह विचार (Thought) या बात विधायक या विघातक इनमें से किस रूप में कार्य करेगी, यह मानव अपनी कर्मस्वतन्त्रता का उपयोग किस तरह करता है, इसपर निर्भर करता है। भगवान का स्मरण करते हुए विवेक के साथ मानव को कर्मस्वतन्त्रता का उपयोग करना चाहिए। हर एक विचार के विधायक और विघातक दो पहलू होते हैं, इसके बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने १२ जनवरी २००६ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
विडियो लिंक-http://www.aniruddhafriend-samirsinh.com/constructive-and-destructive-aspects-of-thought/
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
-
|
Aniruddha Bapu |
साईनाथ कहते हैं- भजेगा मुझको जो भी जिस भाव से। पायेगा कृपा मेरी वह उसी प्रमाण से(Sainath Says, I Render To Each One According To His Faith)
सद्गुरुतत्त्व की उपासना करने वाले श्रद्धावानों के मन में ‘यह मेरा सद्गुरु मेरा भला ही करने वाला है’ यह भाव रहता है। इस एकसमान भाव के कारण सामूहिक
उपासना में सम्मिलित होनेवाले श्रद्धावानों को व्यक्तिगत उपासना की अपेक्षा उस सामूहिक उपासना से कई गुना अधिक लाभ मिलता है। साईनाथजी के ‘भजेगा मुझको जो भी जिस भाव से। पायेगा कृपा मेरी वह उसी प्रमाण से ॥’ , इस वचन के बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १६ अक्टूबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
-
|
Aniruddha Bapu |
आदिमाता जिसे क्षमा न कर सके इतना बडा कोई पाप ही नहीं है (There Is No Sin Too Great For Aadimata To Forgive)
मातृवात्सल्य उपनिषद् में हम पढते हैं कि कोई भी यदि सच्चे दिल से पश्चात्तापपूर्वक आदिमाता की शरण में जाकर सुधरने के लिए प्रयास करता है तो वह चाहे कितना भी पापी क्यों न हो, यहाँ तक कि राक्षस या शैतान भी क्यों न हो, मगर तब भी उसे आदिमाता क्षमा अवश्य करती हैं। लेकिन आदिमाता चण्डिका पर, चण्डिकापुत्र सद्गुरुतत्त्व पर, उनके क्षमा करने के सामर्थ्य पर मानव को भरोसा रखना चाहिए, इस बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १६ अक्टूबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
-
|
Aniruddha Bapu |
अनुभव यह वास्तव एवं सत्य भी होता है
(Experience Is The Fact And The Truth Also)
अनुभव यह महज महसूस करने की बात नहीं होती, बल्कि वह प्रत्यक्ष सत्य साक्षात्कार होता है। सद्गुरुतत्त्व के प्रति रहने वाले भाव के कारण जो परिवर्तन जीवन में आते हैं, उसे अनुभव कहते हैं। अनुभव बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने २० नवंबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
-
|
Aniruddha Bapu |
सद्गुरुतत्त्व पर मनुष्य का जितना विश्वास होता है, उतनी कृपा वह प्राप्त करता है (SadguruTattva renders to everyone according to his faith)
भगवान ने इस विश्व को अपने सामर्थ्य से बनाया है, उन्हें किसीकी जरूरत नहीं पडी थी। वे हर एक के जीवन में उस व्यक्ति के लिए जो भी उचित है वही करते हैं; बस मानव को भगवान पर भरोसा रखना चाहिए। ‘भजेगा मुझको जो भी जिस भाव से। पायेगा मेरी कृपा वह उसी प्रमाण से ॥’ इस साईवचन के बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने २८ नवंबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
-
|
Aniruddha Bapu |
भगवान को हर काम में शामिल करो
(Include God in everything you do)
आपकी हर कठिनाई में आप भगवानसे (God) मदद मांगिये । छोटी चीज के लिये भी भगवान (God) को पुकारना सिखो। There is nothing wrong. इसके बारे मे परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूने अपने २८ नवंबर २०१४ के हिंदी प्रवचन मे बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते है ।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
-
|
Aniruddha Bapu |
भगवान हैं यह जानने से, महसूस करने से, पहचानने से जो आनन्द होता हैं वहीं भगवान का सहीं स्वरुप हैं। इसके बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने २८ नवंबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
-
|
Aniruddha Bapu |
भगवान हमारा भार उठाने के लिये तैयार है।
(God will take care of your burdens )
हम भगवान (God) से सब कुछ माँग सकते है। अगर हमारी श्रद्धा कम हो रही है, तो भी हमे उसीसे माँगनी चाहीये। हम भगवान से श्रद्धा, विश्वास, भरोसा, सबुरी सब कुछ माँग सकते है। इसके बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने २८ नवंबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
-
|
Aniruddha Bapu |
परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु ने गुरूवार ६ मार्च २०१४ के हिंदी प्रवचन में श्रीत्रिविक्रमके ‘त्रातारं इन्द्रं अवितारं इंद्रं…..’ इस महत्वपूर्ण मन्त्र का अर्थ स्पष्ट किया है। वह आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥