Aniruddha Bapu |
प्रसव के समय गर्भ की स्थिति-गति का परिणाम उस शिशु के यानी मानव के मन पर होता है। उस अवस्था में जिन परिवर्तनों से वह गुजरता है, उसके परिणामस्वरूप उस प्रकार के विचार दृढ होते हैं। गर्भस्थ शिशु अवस्था से शुरू होनेवाली इस विचार-शृंखला के बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १८ सितंबर २०१४ के प्रवचन में मार्गदर्शन किया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
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