६ मई २०१० को ’रामराज्य २०२५’ इस संकल्पना पर आधारित परमपूज्य बापु का प्रवचन श्रद्धावानों ने सुना ही है। इस प्रवचन में बापु ने अनेकविध विषयों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी थी। उनमें एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा था- ’अच्छी तरह अंग्रेजी (इंग्लिश) भाषा में बातचीत करना सीखना’। उस समय बापु ने कहा था, “आज अंग्रेजी यह दुनिया के व्यवहार की भाषा बन गयी है। अपनी मातृभाषा पर नाज अवश्य होना चाहिए, लेकिन आज की घडी में अपनी लौकिक प्रगति के लिए अंग्रेजी में सुधार लाना आवश्यक है। यदि दुनिया की स्पर्धा में हमें बने रहना है, तो प्रवाही रूप से अंग्रेजी में बात करना आना ही चाहिए। इसके लिए हम ‘अनिरुद्धाज् इन्स्टिट्यूट ऑफ लँग्वेज अॅण्ड लिंग्विस्टिक्स’ इस संस्था की स्थापना कर रहे हैं।” बापु ने आगे कहा था, “कई लोग अंग्रेजी में बात करनी हो, तो पहले अपनी मातृभाषा में विचार करते हैं और फिर अंग्रेजी में बोलते हैं। यह गलत है। इससे विचार करने और उसे अभिव्यक्त करने में एक खाई सी बन जाती है। इस खाई के कारण भाषा धाराप्रवाही (फ्लुएंट) नहीं रहती। भाषा का प्रवाही रहना आवश्यक है। भाषा की जो फ्लुएन्सी है, वह महत्त्वपूर्ण है।”
साथ ही इस इन्स्टिट्यूट की प्रमुख एवं सर्वेसर्वा स्वयं ‘सौ. स्वप्नगंधावीरा अनिरुद्धसिंह जोशी’ (यानी हम सबकी प्रिय नंदाई) रहने वाली हैं, यह भी बापु ने उस वक्त घोषित किया था। हम सब जानते ही हैं कि गत कई वर्षों से नंदाई ‘स्त्रियों के आत्मबल-विकास वर्ग (कोर्स)’ का संचालन कर रही हैं, जिसमें अंग्रेजी सीखना यह आत्मबल के पाठ्यक्रम का एक महत्त्वपूर्ण अंग होता है। आत्मबल के वर्ग में प्रवेश ली हुईं कुछ महिलाओं को अंग्रेजी भाषा की कोई जानकारी नहीं रहती। लेकिन उन्हीं महिलाओं को नंदाई महज ६ महीने की कालावधि में अंग्रेजी भाषा बोलना एवं लिखना सिखाती हैं, जिससे कि आत्मबल का क्लास की हुईं महिलाएं प्रतिदिन के व्यवहार के लिए आवश्यक रहने वाली अंग्रेजी भाषा का उपयोग कर सकती हैं। साथ ही आत्मबल के कोर्स के अन्त में रहने वाले स्नेहसंमेलन में इन्हीं में से कुछ महिलाएं अंग्रेजी नाटिका में आत्मविश्वास के साथ हिस्सा लेती हैं।
इसी अनुषंग से, अंग्रेजी भाषा सीखने के लिए उपयोगी साबित होनेवालीं, स्वयं नंदाई के द्वारा लिखी गयीं पुस्तकें, संच (Set) के स्वरूप में शीघ्र ही प्रकाशित हो रही हैं। इन पुस्तकों के आधार से सभी इच्छुक श्रद्धावानों के लिए अंग्रेजी सीखने का सहज एवं सुलभ मार्ग खुल जायेगा। इस पुस्तक को देखना, पढना और उसका उपयोग करना यह एक अनोखा आनन्ददायक अनुभव होगा। साथ ही बापु को अपेक्षित रहने वाले रामराज्य के प्रवास का यह एक महत्त्वपूर्ण पडाव होगा, यह निश्चित है।